आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश से कदमताल की तैयारी

 ग्रेडिंग-पैकेजिंग से लेकर कोल्ड स्टोरेज का काम करेंगी सहकारी समितियां


भोपाल.
प्रदेश में आत्मनिर्भर मप्र का रोडमैप तैयार कर लिया गया है। इस कड़ी में अब सहकारिता विभाग ने प्रदेश की प्राथमिक कृषि सारव सहकारी समितियों को भी आत्मनिर्भर बनाने की योजना तैयार की है। इसके तहत अब ये समितियां केवल परंपरागत कामों तक ही सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि नए क्षेत्र में हाथ आजमाएंगी और मप्र को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान देंगी। यह समितियां अब गे्रंडिंग से लेकर पैकेजिंग तक का काम करेंगी। इतना ही नहीं, कोल्ड स्टोरेज का संचालन भी करेंगी।

    सहकारिता विभाग ने जो योजना तैयार की है, उसके हिसाब से आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत प्रदेश की प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को पोस्ट हार्वेस्टिंग इकाइयों एवं मल्टी सर्विस सेंटर के रूप में बदला जाएगा। इस योजना के तहत पात्र प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को महज एक प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण उपलव्य कराया जाएगा। यह पहली बार होगा कि इन समितियों को मात्र एक फीसदी ब्याज दर पर कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। विभाग ने अब तक प्रदेश में कुल 150 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों एवं 55 विपणन सहकारी समितियों का चयन भी कर लिया है, जिनको इस योजना के तहत ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। मप्र देश में बड़े कृषि उत्पादक राज्यों में शामिल है। गेहूं के उत्पादन में तो वह देश का नंबर वन राज्य बन गया है। मप्र ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है। उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में भी मप्र अग्रणी राज्यों में शुमार है यहां से उद्यानिकी फसलें दूसरे राज्यों को भेजी जाती हैं। पपीता, केला सहित अन्य फसलों के उत्पादन के मामले में भी मप्र का बड़ा नाम है। यहां से उत्पादित फसलों को दूसरे राज्यों में भेजा जाता है, लेकिन कई बार बेहतर पैकेजिंग की कमी और सुरक्षित भंडारण क्षमता की कमी के कारण उत्पादक किसानों को उतना फायदा नहीं हो पाता। कई बार तो उचित भंडारण नहीं होने के कारण फसलों के खराब होने का अंदेशा हमेशा बना रहता है। इसी तरह सुरक्षित भंडारण की कमी के कारण वे बेहतर दाम के इंतजार में भंडारण भी नहीं कर सकते। इससे उन्हें उपज का सही दाम नहीं मिल पाता। इसी बात को देखते हुए अब प्रदेश में एक चेन विकसित करने की तैयारी की गई है जो कि इस समस्या से निजात दिलाएगी। इसकी जिम्मेदारी प्रदेश की प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों और विपणन सहकारी समितियों के कंधे पर होगी।

    इन समितियों को पोस्ट हार्वेस्ट एक्टिविटी सेंटर जैसे शोटिंग ग्रेडिंग, पैकिंग, प्रोसेसिंग पैक हाउस, कोल्ड स्टोरेज आदि के रूप में विकसित किया जाएगा। ये समितियां उत्पादों की ग्रेडिंग का काम करेंगी। उत्पादों की क्वालिटी के हिसाब से उन्हें ग्रेडिंग देकर एक ही उत्पाद के लिए अलग-अलग दाम हासिल किए जा सकेंगे पैकेजिंग का भी अपना महत्व है, बेहतर पैकेजिंग के बगैर उत्पादों की कीमतों पर भी असर होता है। इसी कारण अब ये समितियां पैकेजिंग का काम करेंगी। साथ ही समितियां राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए कर्ज से कोल्ड स्टोरेज बनाएंगी, जिससे कि किसानों की उपज का सुरक्षित भंडारण किया जा सके। इससे किसान उपज को खराब होने से बचा सकेंगे, साथ ही दाम कम मिलने पर सही दाम के लिए इंतजार भी कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें समिति को न्यूनतम शुल्क ही देना होगा।

समितियों में कृषक सुविधा केंद्र भी बनेंगे

    प्रदेश में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में कृषक सुविधा केन्द्र भी बनाए जाएंगे। जहां किसानों को उनकी आवश्यकता की समस्त जानकारियां एवं सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। यहां उन्हें देशभर की मंडियों में अनाज के दामों की ताजा जानकारी मिल सकेगी। केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए शुरू की गई योजनाओं और कार्यक्रमों की भी जानकारी मिलेगी साथ ही उन्हें यह भी बताया जाएगा कि वे योजनाओं का फायदा किस तरह ले सकते हैं। विभाग इस प्रयास में है कि प्रदेश की सहकारी समितियों में अधिक से अधिक इस योजना के तहत पोस्ट हार्वेस्टिंग अधोसंरचना निर्मित की जा सके, जिससे कि उस क्षेत्र के किसानों को स्थानीय स्तर पर ही इन समितियों के माध्यम से लाभ मिल सके और किसानों की उपज का मूल्य संवर्धन किया जा सके। इससे उनके लाभ में बढ़ोतरी हो सकेगी और उपज की हानियों को कम किया जा सकेगा।

प्रशिक्षण की भी रहेगी व्यवस्था

    किसानों और समिति के सदस्यों को इस योजना के संबध में पूरा प्रशिक्षण दिया जाएगा। समिति के सदस्यों को प्रोजेक्ट्स का भागीदार बनाया जाएगा, ताकि वे भी उसके स्वामित्त में शामिल हो सके। किसानों को खेती की नई-नई तकनीकों की जानकारी देने के लिये विशेषज्ञ की सेवाएं भी ली जाएंगी। विभाग ने इस संबंध में कार्ययोजना तैयार की है। अब इस पर अमल करने की तैयारी है।