ब्रह्मा और सरस्वती की पहली संतान मनु ने लिया था मनुष्य रूप में पृथ्वी पर पहला जन्म

देवी सरस्वती की सुंदरता से आकर्षित होकर ब्रह्मा जी ने किया था विवाह



ब्रह्मा जी की पत्नी माँ सरस्वती के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। उनमें से एक यह है कि ब्रह्मा जी ने सरस्वती को अपने मुख से प्रकट किया। माना जाता है कि देवी सरस्वती महालक्ष्मी का प्रधान रूप हैं जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। माँ सरस्वती कई अन्य नामों से भी जानी जाती हैं जैसे कि शारदा, शतरूपा, वाणी, वाग्देवी, वागेश्वरी एवं भारती। मत्स्य पुराण के अनुसार ब्रह्मा जोकि सृष्टि के रचयिता हैं, संसार की रचना करते समय अपने मह से सरस्वती, सान्थ्य तथा ब्राह्मी को उत्पन्न किया। वे सरस्वती की सुंदरता से आकर्षित हो उठे। यह देख सरस्वती ने हर दिशा में छिपने का प्रयास किया परन्तु ब्रह्मा जी के पांच मुंह थे जो हर दिशा में अपनी दृष्टि बनाये हुए थे। जब सरस्वती आकाश में छिपने गयी तो ब्रह्मा जी के पांचवे मुख ने उन्हें वहां भी खोज निकाला। माना जाता है कि उनका पांचवा मुख काल भैरव ने काट दिया था। सरस्वती के हर प्रयत्न के बाद विवश हो कर उन्होंने ब्रह्मा जी से विवाह करने का निर्णय लिया। इसके बाद वे दोनों 100 वर्षों तक जंगल में रहे और उन्होंने एक संतान को जन्म दिया जिसे मनु कहा जाने लगा। वह पृथ्वी पे जन्म लेने वाला पहला मानव माना जाता है। माना तो यह भी जाता है कि ब्रह्मा जी ने जब मानव-रचना की तब वह संतुष्ट नहीं हो पाए। उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर कुछ जल पृथ्वी पर छिड़का और अद्भुत शक्ति स्वरुप सरस्वती प्रकट हुई। जब सरस्वती ने वीणा से मधुर संगीत बजाय तब पृथ्वी को वाणी प्राप्त हुई।

आखिर ब्रह्मा जी ने क्यों किया था अपनी ही पुत्री सरस्वती से विवाह

पुराण के अनुसार जब ब्रह्मा जी सृष्टी का निर्माण कर रहे थे तो उस समय उनके वीर्य से उनकी बेटी सरस्वती ने भी जन्म लिया। इसलिए ऐसा माना जाता है कि सरस्वती जी की कोई माता नहीं अपितु केवल पिता ही थे। सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है। विद्या की देवी सरस्वती इतनी सुंदर थीं कि उनके आकर्षण से खुद ब्रह्मा जी भी नहीं बच सके और उन्हें सरस्वती को अपनी पत्नी बनाने का विचार किया। लेकिन अपने पिता की इस अवस्था को भांपते हुए सरस्वती जी ने उनसे बचने के लिए चारों दिशाओं में छिपने का प्रयास किया लेकिन अंत में वह सफल नहीं हो पाई और विवश होकर उन्हे अपने पिता से विवाह करना पड़ा।