गालियां और बुरा मेरे खाते में जाने दो, अच्छा आपके खाते में
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आदरणीय सभापति जी पूरी दुनिया चुनौतियों से जूझ रही है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इन सबसे गुजरना होगा। इस दशक के प्रारंभ में ही हमारे राष्ट्रपति ने संयुक्त सदन में जो उबोधन दिया, जो नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला था। यह उद्बोधन आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला था। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में करीब-करीब 13-14 घंटे तक सांसदों ने अपने बहुमूल्य और कई पहलुओं पर विचार रखे। सबका आभार व्यक्त करता हूं। अच्छा होता कि राष्ट्रपति का भाषण सुनने के लिए भी सभी लोग होते, तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती। राष्ट्रपति के भाषण की पुरा मेरे खाते ताकत इतनी थी, कई लोग न सुनने के बावजूद बहुत लोग बोल पाए। इससे भाषण का मूल्य आंका जा सकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि हम कोई स्टैटिक अवस्था में जीने वाले लोग थोड़े हैं। अच्छे सुझाव आते हैं तो अच्छे सुधार भी होते हैं। आइए, देश को आगे ले जाने के लिए मिलकर काम करें। गालियां मेरे खाते में जाने दो। अच्छा आपके खाते में, बुरा मेरे खाते में। आओ मिलकर अच्छा करें। उन्होंने कहा कि आंदोलन करने वाले लोगों से अपील है कि वहां बूढ़े लोग भी बैठे, आंदोलन स्वत्म करें। मिलकर चर्चा करते हैं।