सिंहस्थ घोटाला : करोड़ों के घोटाले में क्लीनचिट की तैयारी?


भोपाल. पांच साल पहले उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ में खरीदी में करोड़ों रुपए के कथित घोटाले में ईओडब्ल्यू उज्जैन संभागीय इकाई ने तीन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी, लेकिन अब तक कार्यवाही आगे नहीं बढ़ी है। दो साल पहले कांग्रेस सरकार के निर्देश पर ईओडब्ल्यू ने छह गंभीर शिकायतों पर अलग-अलग जांच शुरू की थी।

    ईओडब्ल्यू उज्जैन इकाई ने 2019 में सिंहस्थ-2016 में हुई गड़बडिय़ों के संबंध में छह गंभीर शिकायतों पर अलग-अलग प्राथमिकी (पीई) दर्ज की थी। इसमें अलग-अलग विभागों द्वारा सिंहस्थ के लिए सामग्री खरीदी गई थी, जिनमें 40 करोड़ रुपए से अधिक की सामग्री सिंहस्थ खत्म होने के बाद सप्लाई करने के आरोप हैं। जो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, उनमें कार्यपालन यंत्री व एसडीओ लोक निर्माण विभाग, मुख्य महाप्रबंधक व निरीक्षक लघु उद्योग विभाग, पीएचई, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, नगर निगम उज्जैन, एचपीएल इलेक्ट्रॉनिक, अजंता वायर एंड फेब्रिकेशन वक्र्स उज्जैन शामिल थे। ईओडब्ल्यू को शिकायत मिली थी कि 2 हजार एलईडी लाइट्स 3.5 करोड़ में खरीदी गई, लेकिन सिंहस्थ खत्म होने के बाद संभागीय इकाई भी नहीं मिली। ये बिजली उपकरण खरीदी संबंधी बिल और सिंहस्थ के बाद उपकरण का क्या उपयोग किया जा रहा है, इस संबंध में बिजली कंपनी के अधिकारियों से दस्तावेज तलब किए गए थे, लेकिन कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी है।
    सूत्रों के मुताबिक सिंहस्थ एरिया में अस्थाई बिजली लाइन, बिजली ट्रांसफॉर्मर और खंभे लगाने का 17 करोड़ का ठेका दिया गया था। फिर इन्हें खोलने के लिए 4.5 करोड़ का अलग से ठेका दिया गया। किन कंपनियों को ये ठेके दिए गए, इसके भी दस्तावेज तलब किए थे। मकोडिय़ा आम से खाक चौक और खाक चौक से मंगलनाथ मंदिर तक 2.9 किमी डिवाइडर बनाने, बिजली के खंभे और लाइट लगाने के लिए ठेका दिया गया था, लेकिन मंगलनाथ से सांदीपनि आश्रम तक 900 मीटर में ही काम हुआ। इनके अलावा प्रत्येक पड़ाव स्तर पर 500 शौचालय और 10 चेंजिंग रूम में लाइट लगाना था, बार्बड वायर एंड फेब्रिकेशन वक्र्स उज्जैन को वर्क ऑर्डर और लोगों के लिए पानी की टॉकियां एवं स्टैण्ड खरीदे गए थे, लेकिन सिंहस्थ खत्म होने के बाद 434 पानी की टंकियां और स्टैण्ड स्टोर में जमा नहीं हुए। ये टंकियां और स्टैण्ड खरीदे गए या सिर्फ कागजों में यह काम हुआ, इसकी फाइल भी नगर निगम से तलब की गई थी। अगर टंकी, स्टैण्ड खरीदे गए थे तो सिंहस्थ समाप्त होने के बाद इन्हें जमा क्यों नहीं कराया, इस संबंध में जिम्मेदार अफसरों से लिखित में जवाब मांगा था। ईओडब्ल्यू के तत्कालीन डीजी केएन तिवारी का तब कहना था कि जो छह गंभीर शिकायतें हुई हैं, उनमें जांच कार्यवाही प्रारंभ करा दी गई है। संबंधित विभागों से जानकारी मांगी गई है।
    दस्तावेजों का परीक्षण करने के बाद जिम्मेदार अफसरों से पूछताछ होगी। सही जानकारी और प्रमाणित दस्तावेज नहीं मिलने पर जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन उनके तबादले के बाद ईओडब्ल्यू के अगले डीजी सुशोभन बनर्जी और इसके बाद राजीव टंडन के कार्यकाल में यह कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी है।