विंध्य से चलेगी विधानसभा, उपाध्यक्ष के लिए बदल रहा भाजपा का मन


 
भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा की कमान 18 साल बाद एक बार फिर विंध्य में पहुंचना तय हो गया है। 22 फरवरी को बजट सत्र शुरू होते ही मध्यप्रदेश विधानसभा को 18वां अध्यक्ष मिल जाएगा। पंद्रहवीं विधानसभा में दूसरी बार चुने जा रहे अध्यक्ष के लिए इस बार विंध्य के दो दिग्गज नेताओं के नाम सबसे आगे चल रहे हैं। हालांकि महाकौशल और मध्य भारत अंचल से भी मजबूत दावेदारी जताई जा रही है। मगर पिछले चुनावों में भाजपा को ताकत देने वाले विंध्य अंचल पर पार्टी संगठन की नजर है तो दूसरी ओर उपाध्यक्ष पद को लेकर भाजपा अभी भी दो अंचलों के बीच फैसला नहीं कर पा रही है।

    सूत्रों के मुताबिक भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने विधानसभा अध्यक्ष का पद विंध्य को देना फाइनल कर लिया है। संगठन के इस फैसले से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सहमत हैं। सूत्रों के मुताबिक अध्यक्ष का फैसला विंध्य के दो कददावर नेताओं गिरीश गौतम और केदारनाथ शुक्ल के बीच होना है। कांग्रेस शासनकाल में दस साल तक विधानसभा की कमान संभालने वाले पूर्व अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी को गौतम ने ही पहली बार पटकनी दी थी। चौथी बार के विधायक गौतम विंध्य में भाजपा की ओर से एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं।

    गौतम के अलावा केदारनाथ शुक्ल भी इस पद की दौड़ में एक मजबूत दावेदार हैं। इन दोनों के नाम पर कई दौर की चर्चा संगठन स्तर पर हो चुकी है। भाजपा आने वाले चुनावों में विंध्य को लेकर काफी आशांवित है और पिछले चुनाव का प्रदर्शन यहां आगे भी चाहती है। इसके चलते आपसी विवादों को शांत कराते हुए यहां पार्टी की सक्रियता बढ़ाने में जुटी है। वैसे भी मंत्रिमंडल में विंध्य को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। विधानसभा अध्यक्ष पद के सहारे यहां के जनप्रतिनिधियों और मतदाताओं की नाराजगी मिटाने का काम भाजपा करेगी। इन दोनों के अलावा विंध्य के अन्य वरिष्ठ नेता भी सक्रियता बनाए हुए हैं। वहीं महाकौशल, मध्य भारत और मालवा-निमाड़ से भी अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के वरिष्ठ विधायक दौड़भाग में लगे रहे हैं। महाकौशल से अजय विश्नोई लगातार हमलावर बने हुए है तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा भी मंत्रिमंडल में जगह न मिल पाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष पद पर नजर लगाए हैं।

उपाध्यक्ष पद पर मंथन जारी

सत्तापलट के बाद दोबारा सरकार बनाते ही भाजपा ने विधानसभा उपाध्यक्ष का पद भी अपने पास रखने का फैसला कर लिया था। साथ ही उपाध्यक्ष का पद बुंदेलखंड को देने पर सहमति बन गई थी। सागर के नरयावली से भाजपा विधायक प्रदीप लारिया काफी आशांवित भी हैं, लेकिन बदले हुए सगीकरणों के मद्देनजर भाजपा उपाध्यक्ष पद को लेकर अब तक अपना मन नहीं बना सकी है। सूत्रों की मानें तो उपाध्यक्ष पद का फैसला अंतिम दिन ही लिया जाएगा। बताया जाता है कि बुंदेलखंड को सत्ता और संगठन में भरपूर प्रतिनिधित्व मिल चुका है। सरकार में सागर जिले से ही तीन-तीन मंत्री है तो बुंदेलखंड से चार मंत्री है और दर्जा प्राप्त मंत्री भी काम कर रहे हैं। संगठन में भी प्रदेशाध्यक्ष सहित एक महामंत्री और तीन मंत्री है। ऐसे में अब विधानसभा उपाध्यक्ष का पद बुंदेलखंड के हाथ से निकलता नजर आ रहा है। सत्ता और संगठन द्वारा बुंदेलखंड को दरकिनार कर विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए पर नए चेहरे पर मंथन किया जा रहा है। क्षेत्रगत समीकरण के चलते इस पद पर मालवा-निमाड़ के किसी आदिवासी विधायक की लाटरी खुल सकती है। वहीं महाकौशल के किसी के किसी नए चेहरे के बूते इस क्षेत्र की नाराजगी मिटाने की कोशिश संगठन कर सकता है।