नया नेतृत्व खड़ा करने बिहार में भी एमपी फॉर्मूला लगाएगी बीजेपी

नई दिल्ली. बिहार में लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मंगलवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। बीजेपी ने पहले मध्यप्रदेश के बाद अब बिहार के जरिए यह साफ संकेत दिया है कि उसकी मंशा राज्यों में पुराने चेहरों की जगह नए नेतृत्व को आगे लाने की है। मध्यप्रदेश में कई दिग्गज राजनेता शिवराज सरकार में जगह पाने में नाकाम रहे थे। वहीं, बिहार में बीजेपी ने सबसे पहले सुशील कुमार मोदी को प्रदेश की सियासत से हटाकर केंद्र की राजनीति में लाने का काम किया है। साथ ही अब बीजेपी ने डॉ. प्रेम कुमार और नंदकिशोर यादव जैसे नेताओं को कैबिनेट में शामिल नहीं किया है बिहार में करीब महीनेभर चली रस्साकसी के बाद मंगलवार को नीतीश कैबिनेट में 17 चेहरों को शामिल कर लिया गया, जिनमें बीजेपी पर कोटे से ९ और जेडीय कोटे से 8 मंत्री बने हैं। नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल में अब कुल 31 सदस्य हो गए हैं जबकि 5 मंत्रियों के पद अभी भी खाली है। बिहार में बीजेपी की जगह पहली बार जेडीयू के बड़े भाई की भूमिका में मंत्रिमंडल में भी हो गई है। बीजेपी कोटे से कुल 16 मंत्री हो गए हैं जबकि जेडीयू से मुख्यमंत्री सहित कुल 13 मंत्री हैं। इसके अलावा वीआईपी और हम से एक-एक मंत्री हैं।

बीजेपी से युवा चेहरों को मिली तवज्जो

बिहार मंत्रिमंडल विस्तार में युवाओं को खास तवज्जो मिली है। बीजेपी ने ज्यादातर युवाओं को मंत्री बनाकर ये साफ कर दिया है कि पार्टी नई पीढ़ी के नेताओं को आगे करना चाहती है। लंबे समय तक प्रदेश में बीजेपी युवा मोर्चा की कमान संभाल चुके नितिन नवीन को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है तो सहरसा से युवा विधायक आलोक रंजन झा को कैबिनेट में शामिल किया गया है। एमएलसी सम्राट चौधरी को भी मंत्री बनाया गया है तो गोपालगंज से जनक राम मंत्रिमंडल में नया चेहरा होंगे। जनक राम पार्टी का दलित चेहरा हैं। इसके अलावा बीजेपी ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के चचेरे भाई नीरज कुमार सिंह बबलू और शाहनवाज हुसैन को भी मंत्रिमंडल में जगह दी है। इससे पहले बीजेपी में जिन सात मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया था, उनमें से चार पहली बार मंत्री बने हैं, तारकिशोर प्रसाद तो सीधे डिप्टीसीएम बने।

बीजेपी ने पुराने चेहरों से किया किनारा

बिहार में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, डॉ. प्रेम कुमार और नंदकिशोर यादव बीजेपी की पहली पंक्ति के नेता ही नहीं हैं, बल्कि बीजेपी का राज्य में चेहरा भी माने जाते थे। बीजेपी ने चुनाव के बाद सरकार गठन के दौरान सबसे पहले सुशील मोदी को बिहार की राजनीति से हटाकर राज्यसभा सदस्य बनाया और केंद्र की राजनीति में ले आई। इसके बाद बीजेपी ने अपने कई दिग्गज नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी है, जिनमें डॉ. प्रेम कुमार, नंदकिशोर यादव, विनोद नारायण झा, रामनारायण मंडल और राणा रणधीर जैसे नाम शामिल हैं। गया नगर सीट से लगातार सातवीं बार जीते डॉ. प्रेम कुमार 2005 से ही नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री रहे थे। इस बार उन्हें बीजेपी ने मंत्री नहीं बनाया है जबकि पिछली बार कृषि मंत्री थे। इसी तरह पटना साहिब से छठी बार जीते विधायक नंदकिशोर यादव को भी मंत्री नहीं बनाया गया है। पिछली सरकार पथ निर्माण व स्वास्थ्य महकमे की कमान संभाल रखे थे। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बेनीपट्टी के विधायक विनोद नारायण झा पिछली सरकार में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री थे, लेकिन इस बार भाजपा ने उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी है। साल 2000 में पहली बार विधायक बने थे और नीतीश की पिछली सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं। पिछली सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रहे बांका सीट से चार बार विधायक राम नारायण मंडल को भी इस बार मंत्री पद नहीं मिल सका है। मधुबन से विधायक राणा रणधीर भी मंत्री नहीं बनाए गए हैं जबकि पिछली बार एनडीए सरकार में सहकारिता मंत्री थे।