पद्मपुराण के उत्तरखंड में माघ महीने की अमावस्या के महत्व का जिक्र करते हुए कहा गया है कि व्रत, दान, और तपस्या से भी भगवान विष्णु को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान करने भर से हो जाती है। इसलिए सभी पापों से छुटकारा पाने और भगवान को प्रसन्न करने की इच्छा से माघ महीने में स्नान करना चाहिए। ग्रंथों में बताया गया है कि इस महीने की पूर्णिमा तिथि को जो इंसान ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक मिलता है। धर्म ग्रंथों के मुताबिक माघ अमावस्या के दिन ही ब्रह्माजी ने प्रथम पुरुष यानी स्वयंभुव मन की उत्पत्ति की और सृष्टि की रचना का काम शुरू किया था। इसी कारण इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितरों की तृप्ति के लिए इस अमावस्या को खास माना गया है। यानी माघ महीने की अमावस्या के दिन श्राद्ध, पिंड दान, तर्पण, पितृ पूजा करने और खासतौर से जल और तिल से तर्पण करने पर पितरों को संतुष्टि मिलती है।
रखा जाता है मौन व्रत
शास्त्रों में बताया गया है कि माघ महीने में आने वाली अमावस्या पर मौन व्रत रखने और कड़वी बातें न बोलने से मुनि पद मिलता है। धर्मग्रंथों के मुताबिक साल की सभी अमावस्या में से ये पर्व भी बहुत खास माना गया है। इस दिन संगम और गंगा में देवताओं का वास रहता है। जिससे गंगा स्नान करना बाकी दिनों की अपेक्षा ज्यादा फलदायी होता है। इस साल मौनी अमावस्या का महत्व इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि इस दिन हरिद्वार कुंभ में पवित्र डुबकी लगाई जाएगी। इस अवसर पर ग्रहों का शुभ संयोग कई गुना फल देने वाला होगा।
सामथ्र्य के मुताबिक करें दान
इस दिन सूर्योदय से पहले ही मौन रहकर पवित्र नदियों में नहाना चाहिए। माघ महीने की अमावस्या को भगवान विष्णु को घी का दीप लगाना चाहिए। भगवान को तिल चलाने चाहिए। माघ मास की मौनी अमावस्या के दिन तिल, गुड़, कपड़े और अन्न, धन का दान करना बहुत ही पुण्य वाला काम माना गया है। मौनी अमावस्या के दिन पीपल को जल देना और पीपल के पत्तों पर मिठाई रखकर पितरों को नैवेद्य लगाना चाहिए। इससे पितदोष दूर होता है। मौनी अमावस्या के दिन पानी में काले तिल डालकर सूर्य को अध्य दें, मंत्र जाप करें और जितनी श्रद्धा हो उतना दान करें।
पूजा-पाठ और स्नान-दान के लिए पुण्यकाल
अमावस्या 10 फरवरी की रात तकरीबन 12 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी जो 11 फरवरी को रात 11.47 तक रहेगी। इस कारण से 11 फरवरी को सूर्योदय से सूर्यास्त तक अमावस्या का पुण्य काल रहेगा। इस दौरान खान-दान के अलावा पितरों के लिए श्राद्ध आदि करने का भी विधान है।
मौनी अमावस्या का महत्व
धर्म ग्रन्थों में माघ महीने को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। इसलिए मौनी अमावस्या पर किए गए व्रत और दान से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। धर्म ग्रंथों के जानकारों का कहना है कि मौनी अमावस्या पर व्रत और श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इस अमावस्या पर्व पर पितरों की शांति के लिए खान-दान और पूजा-पाठ के साथ ही उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु और ऋषि समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। इस अमावस्या पर ग्रहों की स्थिति का असर अगले एक महीने तक रहता है। जिससे देश में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के साथ मौसम का अनुमान लगाया जा सकता है।