इस सृष्टि जगत में तीन शक्तियां सर्वोपरि हैं- महाकारी, महालक्ष्मी और महासरस्वती। इनमें महाकारी प्राणी मात्र की प्राण चेतना हैं, जिनका अवतरण अवसर नवरात्र में आता है। महालक्ष्मी प्राणीमात्र की पोषक हैं जिनका अवतरण उत्सव दीपावली पर हजारों दीप जलाकर मनाते हैं। जबकि मनुष्य को पवित्र ज्ञान प्रदान करने वाली महासरस्वती का प्राकट्य बसंत पंचमी पर समूचे विश्व में होता है। जब भी कोई यह जानना चाहता है कि प्राणीमात्र में सबसे श्रेष्ठ मनुष्य क्यों है? तो यह सब मां भगवती सरस्वती की ही विशेष कृपा का ही परिणाम है। पशु-पक्षी आदि सृष्टि के समस्त प्राणियों में मनुष्य बुद्धि विवेक और ज्ञान के कारण श्रेष्ठ है। जो कि मां महासरस्वती प्रदान करती हैं। मां वीणावादिनी का ये वरदान। हर मानव में हो बुद्धि ज्ञान! कहने का आशय यही कि मां सरस्वती मनुष्य मात्र को बुद्धि और ज्ञान प्रदान करती हैं जिससे विवेक उत्पन्न होता है जो कि हमें अन्य प्राणियों की तुलना में श्रेष्ठ साबित करता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां सरस्वती प्रजापिता ब्रह्मा की भार्या हैं जिन्हें ब्रह्माणी भी कहा गया है जो उज्जवल धवल श्वेत वस्त्र धारण किर हंस पर विराजती हैं और हम सबके जीवन को एक उत्सव का रूप देने अपनी वीणा की तान छेड़ती हैं। माघ शुक्ल पक्ष पंचमी यानी बसंत पंचमी को अवतरित मां भगवती सरस्वती हमें हर पल वो ज्ञान प्रदान करती हैं जिससे हम सद्मार्ग की ओर कदम बढ़ा सकें। सद्कर्म के साथ सत्य की राह अपना सकें। यही वो मां सरस्वती हैं जो हमारे श्रेष्ठ संकल्पों को साकार करने में सदा सहायता करती हैं। यही वो ज्ञान की देवी हैं जो हमारे मन बुद्धि चित्त को शांत करके चाहें तो हमें राजा बना दें और चाहें तो एक पल में रंक बनवा दें। यही वो शारदा हैं जिन्होंने मंथरा के मन पर बैठकर प्रपंच रचवाया और प्रभु श्रीराम को राज्याभिषेक की जगह वन गमन करवाया। ऐसी मां सरस्वती की बसंत पंचमी पर पूजा अर्चना जरूर करें। ताकि हममें वृद्धि और ज्ञान आए और विवेक प्राप्ति के लिए संतों का सत्संग कर सकें क्योंकि मां सरस्वती के उपासक विद्वतजन कहते हैं जीवन में जब आता है कोई संत तब समझ लो आ गया बसंत।
मां वीणावादिनी का ये वरदान हर मानव में हो बुद्धि ज्ञान!