चुनौतियों के बीच संगठन के भी 'शुभंकर' बने विष्णु

एक साल में 'सबकी' हो गई भाजपा



भोपाल. वैसे तो एक साल होता ही क्या है? मगर कुछ कदम ऐसे होते हैं, जिनकी आमद के साथ ही चारों ओर बदलाव नजर आने लगता है। ऐसा ही कुछ शुभ-संयोग मध्यप्रदेश भाजपा के साथ पिछले साल में हुआ है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा के कदम पड़ते ही पूरी पार्टी के मानों अच्छे दिन आए। पार्टी का 'रंग-ढंग' सब बदल गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शब्दों में कहें तो प्रदेशाध्यक्ष शर्मा पार्टी के लिए शुभंकर साबित हुए हैं। सबसे पहले तो भाजपा को फिर से सरकार मिल गई और अब मात्र एक साल में देखते ही देखते पार्टी में पीढ़ी ही बदल गई। प्रदेश स्तर से लेकर मंडल स्तर तक न केवल नया संगठन खड़ा हो चुका है, बल्कि पीढ़ी परिवर्तन की झलक भी सभी जगह दिख रही है। बुंदेलखंड के खजुराहो लोकसभा सीट से रिकार्ड मतों से जीतकर सांसद बने विष्णुदत्त शर्मा ने पिछले साल 15 फरवरी को संगठन की कमान संभाली थी। 2018 के चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था और 15 साल की सत्ता के बाद भाजपा 15 माह से विपक्ष में बैठी थी। मगर विष्णु के शुभ-कदमों के साथ मानों सत्ता भी भाजपा के पाले में खिंची चली आई। विष्णु की ताजपोशी का एक माह पूरा होने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने चौथी बार प्रदेश की कमान अपने हाथों में संभाल ली। मगर सरकार मिलने के साथ ही संगठन के लिए चुनौतियां कई गुना बढ़ गई। सबसे बड़ी चुनौती थी, उपचुनाव में उन लोगों को जिताना, जिन्हें हराने के लिए सवा साल पहले पूरी पार्टी लगी थी और हार गई। अपनों को मनाना और सभी को नफा-नुकसान की परवाह किए बगैर चुनाव मैदान में उतारकर अपनी सरकार को मजबूती देना किसी 'गृह युद्ध' से कम नहीं था। मगर इस चुनौती को प्रदेशाध्यक्ष शर्मा ने अपनी संगठन- शक्ति के बूते पूरी मजबूती के साथ स्वीकार किया और सरकार को स्थायित्व देने में सफल रहे। सत्ता और संगठन के बीच सामंजस्य भी इस दौरान किसी सबक से कम नहीं है। हर मुश्किल में पूरा संगठन अपनी सरकार के लिए ताकत बनकर सामने आया है।

देश का नंबर वन संगठन बनाना ही मेरा टारगेट : वीडी

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का मानना है कि भाजपा में कार्यकर्ता ही महत्वपूर्ण है। देश और प्रदेश में पार्टी को आज जो मुकाम मिला है, वह कार्यकर्ताओं की मेहनत का फल है। मेरा लक्ष्य तो केवल मध्यप्रदेश के संगठन को देश का नंबर वन संगठन बनाना है। इसके लिए सभी को संगठन के कार्य में सक्रिय करना मेरी जिमेदारी है। श्री शर्मा ने एक सवाल के जवाब में कहाकि कोई भी संगठन कभी भी सौ प्रतिशत परिपूर्ण नहीं होता। उसे प्रदेश की जनता के साथ लगातार काम करना पड़ता है। इस दिशा में भाजपा ने बेहतर ढंग से अपनी भूमिका निभाई है। चुनौतियों से जूझते हुए हर कार्यकर्ता ने समर्पण भाव से जनता के बीच अपनी सेवा देने का काम किया है। हम सब एक विचार के लिए काम करते हैं और भाजपा का सबसे बड़ा लक्ष्य है समाज के अंतिम व्यक्ति तक साधन-संसाधन पहुंचाना। हम केंद्र और राज्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं से अंत्योदय को लक्ष्य और चुनौती मानकर आने वाले समय में काम करेंगे। साथ ही नए परिवेश में जो भी जरूरी होगा, बदलाव और सुधार करते हुए संगठन को नए संसाधनों से ताकत देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों का आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में लगातार काम करते रहेंगे। 

सत्ता-संगठन में समन्वय पर जोर

अपनी टीम के बनने के बाद शर्मा का सबसे अधिक जोर सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल पर रहा है। इसके लिए मंडल स्तर तक प्रशिक्षण लगाकर संगठन का महत्व समझाने का काम उन्होंने किया है। वहीं अब विधायकों और प्रदेश नेतृत्व को साथ बैठाकर केंद्र और प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों को गरीब जनता तक पहुंचाने का लक्ष्य दिया है। संगठन को सत्ता का महत्व समझाया है तो जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र में संगठन के साथ मिलकर काम करने के मंत्र भी दिए हैं। जिसका लाभ पूरी भाजपा को आने वाले नगरीय निकाय और 202३ के विधानसभा चुनावों में मिल सकेगा। 

और बदल गई पूरी पीढ़ी

संगठन की कमान थामते ही प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के लिए देश-प्रदेश के बदले हालात के बीच कोरोना से जुड़ी चुनौतियां भी सामने थीं। कोरोना से लड़ते-बचते हुए प्रदेश भर में नया संगठन खड़ा करना था। निवृत्तमान अध्यक्ष राकेश सिंह अपनी टीम तक नहीं बना सके थे तो बीते छह साल से प्रदेश कार्यकारिणी, कार्यसमिति से लेकर मोर्चा-प्रकोष्ठों में भी पुराने चेहरे ही जमे हुए थे। टीम में बड़ा बदलाव करना बड़ी चुनौती थी, हर कदम पर दबाव था। मगर इन सबको दरकिनार कर शर्मा ने एक साल में ही पहले तो सभी जिलों में बदलाव किया। फिर संगठन चुनावों की गति देकर मंडल स्तर तक नई टीम खड़ी करने में सफल रहे। इसके बाद बदलाव को मंत्र बनाते हुए प्रदेश कार्यकारिणी में भी सभी समीकरणों को साधते हुए नए नेतृत्व को उभारने का काम करने में शर्मा सफल रहे। सबसे खास बात यह रही कि मंडल से लेकर जिला और प्रदेश स्तर तक आज युवा नेतृत्व नजर आ रहा है। राष्ट्रीय नेतृत्व की मंशा के अनुरूप वंशवाद और पट्ठावाद की परिपाटी खत्म करते हुए हर जगह जमीनी मेहनत से उभरे चेहरों को मौका मिला है। इसमें शर्मा के लिए सबसे अधिक कारगर साबित हुआ छात्र संगठनों के जरिए युवाओं के साथ काम करने का अनुभव। 1986 से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष लंबे समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों पर रहे। इसके बाद नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर सक्रिय रहते हुए उन्हें प्रदेश के युवा नेताओं की क्षमताओं का बखूबी अंदाज था। इसी का परिणाम है कि अपनी टीम के साथ ही मोर्चा-प्रकोष्ठों के लिए नया नेतृत्व सामने आया और जिलों में भी युवा नेता आज मैदान में हैं।