प्रदेश सरकार ले चुकी है अब तक2 लाख 30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज

जनता की गाढ़ी कमाई से 20 हजार करोड़ का ब्याज भरेगी सरकार

भोपाल. राज्य सरकार वित्तीय संतुलन बनाने के लिए लगातार कर्ज ले रही है। हाल के वर्षों में मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार सबसे अधिक कर्ज ले रही है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर कर्ज लेने की रफ्तार और बढ़ गई है। जाहिर है कि जब कर्ज की राशि बढग़ी तो फिर कर्ज की राशि के ब्याज की अदायगी पर भी सरकार को भारी-भरकम राशि खर्च करना पड़ेगी। वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में भी कर्ज की ब्याज राशि की अदायगी के लिए भी बड़ी राशि का इंतजाम करने की तैयारी की गई है। मिले संकेतों के मुताबिक इस बार ब्याज की अदायगी के लिए राज्य सरकार को जनता की गाढ़ी कमाई से मिलने वाले टैक्स से 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि का प्रावधान बजट में करना पड़ेगा। पिछले वित्तीय वर्ष में जब सरकार ने बजट की राशि में ही बड़ी कटौती कर दी थी और पहली बार बजट माइनस में चला गया था, तब भी सरकार को ब्याज की अदायगी की राशि में इजाफा करना पड़ा था। भले ही दूसरे विभागों के बजट में बड़ी कटौती की गई थी. लेकिन कर्ज की ब्याज राशि की अदायगी करना तो मजबूरी है। लिहाजा सरकार को इस मामले में राशि बढ़ाकर ही प्रावधान करना पड़ा। पिछले वित्तीय वर्ष में दो लाख 5 हजार 397 करोड़ 1 लाख रुपए का बजट पेश किया गया था, तब भी सरकार को व्याज की अदायगी के लिए 16460 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का इंतजाम बजट में करना पड़ा था। इस तरह कुल बजट की लगभग 7.5 फीसदी राशि केवल ब्याज की अदायगी पर खर्च की गई थी। इसी तरह वितीवर्ष 2019-20 की अवधि में जब बजार का आकार बड़ा था, तब 14432 करोड़ 7 लाख रुपए का प्रावधान ब्याज की अदायगी के लिए किया गया व 1019-20 की अवधि में प्रदेश में दो लाख 33 हजार 605 करोड़ 89 लाख रुपए का बजट पेश किया गया था। इस तरह इस अवधि में ब्याज की अदायत्री के लिए कुल बजट राशि की 6 फीसदी से भी कम गति का इंतजाम किया गया था।

कुल राजस्व ब्यय बढ़कर होगा दो लाख 15 हजार करोड़ :  

    पिछले कुल राजस्व व्यय एक लाख 83 हजार 997 करोड़ 6 लाख रुपए था। विचीत 2019-20 की अवधि में यह राशि दो लाख 14 हजार 85 करोड़ 2 लाख रुपए निर्धारित बी. लेकिन पिछले का बजट पेश करने में देरी और कोरोना प्रभाव के चलते लगे लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं। उत्पादन प्रभावित होने और मांग सीमित होने से सरकार की आमदनी पर भी विपरीत असर पड़ा था। इस कारण राज्य सरकार राजस्व व्यय को सीमित करना पड़ा था। बजट का आकार कम होने से राजस्व व्यय भी कम रखा गया। एक वर्ष पहले यह दो लाख 15 हजार करोड़ रुपए था, अब नए वितीय में वर्ष में आर्थिक गतिविधियों के तेजी पकडऩे की संभावना है। ऐसे में दो लाख 40 हजार करोड़ रुपए के संभावित बजट में दो लाख 15 हजार करोड़ रुपए राजस्व व्यय के लिए निर्धारित किया जा सकता है।

अब कुल बजट की लगभग 9 फीसदी राशि ब्याज की अदायगी पर होगी खर्च

    अब तक बाजार से लिए कर्ज के ब्याज की अदायगी के लिए राज्य सरकार कुल बजट राशि की अधिकतम 7.5 फीसदी राशि खर्च चुकी है, लेकिन अब इसमें तेजी से उछाल आने की संभावना है। इस बार अब तक बाजार से ही राज्य सरकार 30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। यह सिलसिला अभी बरकरार है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक यह आंकड़ा बढ़कर 40 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। ऐसे में राज्य सरकार पर कर्ज का बोझ अब तक का सबसे अधिक होगा। इस समय राज्य सरकार पर दो लाख एक हजार 98 9 करोड़ 28 लाख रुपए से अधिक राशि का कर्ज है। यह राशि 31 मार्च 2020 की स्थिति में है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज से मप्र पर 31 मार्च 2021 की स्थिति में दो लाख 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि का कर्ज हो सकता है। जिस हिसाब से कर्ज की राशि बढ़ रही है, उसी हिसाब से याज की राशि का भी भुगतान करना पड़ेगा। अब तक की स्थिति के हिसाब से राज्य सरकार को इतनी अधिक कर्ज की राशि के याज की अदायगी के लिए बजट में 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि का प्रावधान करना पड़ सकता है।