कांग्रेस सरकार ने कार्यवाही के लिए दी थीं 197 शिकायतें

16 एफआईआर तक सिमटा व्यापमं घोटाला

भोपाल. देश के सबसे बड़े व्यापमं घोटाले में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा एसटीएफ को 197 शिकायतें जांच के लिए दी थीं, जिनमें मात्र 9 शिकायतों में जांच उपरांत एफआईआर की गई है। इनमें पीएमटी में और सिपाही भर्ती परीक्षा में एक के अलावा 6 अन्य मामलों में एफआईआर की गई है। 35 से अधिक शिकायतों पर अपराध दर्ज किए जाने थे, लेकिन अब तक एफआईआर नहीं की गई। हालांकि, गुमनाम शिकायतों में न तो शिकायतकर्ता मिल रहे हैं और न ही तथ्य। इस कारण इनमें एफआईआर करना संभव नहीं है। व्यापमं परीक्षा महाघोटाले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 2015 में सभी मामले लेने के बाद नए सिरे से एफआइआर दर्ज कर इस घोटाले की जाच शुरू की थी। कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को सिर्फ एसटीएफ में दर्ज एफआईआर ट्रांसफर की गई थी। इसके बाद एसटीएफ में परीक्षाओं में गड़बड़ी की 197 शिकायतें लंबित थीं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के आदेश पर एसटीएफ ने 197 शिकायतों को जांच में लिया था। इनमें पीएमटी. संविदा शिक्षक, वन रक्षक, जेल प्रहरी, परिवहन आरक्षक. सिपाही भर्ती परीक्षा शामिल हैं। एसटीएफ ने जांच में 2004 से 2012 के बीच हुई परीक्षाओं में गड़बड़ी वाली शिकायतों को शामिल किया था। इसमें पीएमटी में गड़बड़ी की शिकायतें सबसे ज्यादा हैं। सूत्रों का कहना है कि 197 लंबित शिकायतों की जांच में 75 से 80 शिकायतों में साक्ष्य नहीं मिले हैं। 50 फीसदी शिकायतें एसी थीं, जिनमें अपराध दर्ज हो चुका था। 45 से 50 शिकायतों की जांच चल रही है। परीक्षा केंद्रों पर इनविजिलेटर की लापरवाही के कारण मूल उम्मीदवार के स्थान पर स्कोरर परीक्षा में शामिल हुआ, वहीं काउंसलिंग के दौरान डीएमई और मेडिकल कॉलेजों की लापरवाही के चलते फर्जी उम्मीदवारों ने फर्जी मूल निवासी प्रमाण-पत्र देकर मप्र कोटे की सीटों पर दाखिला ले लिया। 

इन परीक्षाओं में हुआ था फर्जीवाड़ा :

    उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद एसटीएफ  ने 212 प्रकरणों की जांच सीबीआइ को सौंपी थी, लेकिन 1040 शिकायतें एसटीएफ के पास लंबित थीं। तत्कालीन डीजीपी के निर्देश पर इनमें से 530 शिकायतें जांच के लिए जिलों में भेजी गईं, जबकि 313 की जांच बंद कर दी गई थीं। जांच योग्य पाई गईं 197 शिकायतों पर एसटीएफ  ने जांच शुरू की और 16 मामलों में आपराधिक प्रकरण दर्ज किए। इस दौरान अगस्त 2019 में एसटीएफ ने पूर्व विधायक पारस सकलेचा सहित अन्य शिकायतकर्ता आनंद राय और आशीष चतुर्वेदी के कई घंटे लंबे बयान भी दर्ज किए थे। व्यापमं घोटाले में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 और 2013, पीएमटी-2012 और 13, प्री पीजी परीक्षा-2012, खाद्य निरीक्षक-2012, दुग्ध संघ परीक्षा-2012, पुलिस उप निरीक्षक 2012, संविदा शिक्षक वर्ग-2 और वर्ग-3 परीक्षा-2011, वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 और 2013, जेल प्रहरी परीक्षा-2012, परिवहन आरक्षक परीक्षा-2012, डाटा एंट्री ऑपरेटर भर्ती परीक्षा-2013 में बड़ी संया में फर्जीवाड़ा किए जाने पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे।

रोल नंबर के आधार पर मिल रहा रिकॉर्ड

भोपाल, इंदौर और ग्वालियर के एसटीएफ पुलिस अधीक्षकों के नेतृत्व में गठित एसआईटी को इन शिकायतों की जांच का जिम्मा सौंपा था। एसटीएफ ने पीईसी से इन भर्तियों का डेटा मांगा था। पीईसी द्वारा 2000 से 2018 की समयावधि में जिन विभागों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा ली गई थी. उनमें शामिल अवधि का रिकॉर्ड उनके रोल नंबर के आधार पर ही उपलब्ध कराया गया था। इसके लिए संबंधित विभाग की परीक्षा, उसमें शामिल अभ्यर्थी का रोल नंबर और परीक्षा के वर्ष की जानकारी के आधार पर ही संबंधित परीक्षा का सीलबंद रिकॉर्ड खोलकर जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। किसी भी अयर्थी का रिकॉर्ड उसके नाम से नहीं, बल्कि रोल नंबर के आधार पर ही उपलध होगा। तथ्यों के आधार पर ही पीईबी से संबंधित शिकायत के संबंध में रिकॉर्ड मिल रहा है। गुमनाम शिकायतों में व्यति का नाम तो है, लेकिन परीक्षा में शामिल होने के लिए दिया गया रोल नंबर नहीं है। ऐसे में रिकॉर्ड मिलने में दिकत आ रही है।