भोपाल. नये कृषि कानून के खिलाफ पंजाब, हरियाणा के किसान बीते 44 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। मप्र में भाजपा की सरकार होने के कारण अब तक यहां के किसान कृषि कानून के खिलाफ सामने नहीं आए हैं, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस किसान आंदोलन से अपनी खोई हुई जमीन तलाश रही है। दिल्ली बॉर्डर पर बीते 44 दिन से डटे किसानों के समर्थन में कांग्रेस कल से 15 जनवरी तक जिले से लेकर ब्लॉक स्तर तक विरोध प्रदर्शन कर रही है, वहीं 20 जनवरी को भोपाल में होने वाले जंगी प्रदर्शन पर कमल नाथ ने पानी फेर दिया है। 20 जनवरी को मुरैना में किसान महापंचायत होने जा रही है तो 23 जनवरी को भोपाल में राजभवन का घेराव किया जाएगा। कांग्रेस में अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। किसानों के नेता माने जाने वाले पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव पिछले चार दिनों से किसान आंदोलन में जगह-जगह ट्रैक्टर आंदोलन कर रहे हैं। उन्हें कई नेताओं का साथ भी मिला। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए 20 जनवरी को भोपाल में बड़ा प्रदर्शन कांग्रेस करने वाली थी, लेकिन कल जब पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ मीडिया के सामने आए तो उन्होंने कांग्रेस का किसान आंदोलन को लेकर नया प्लान सामने रख दिया। ब्लॉक स्तर पर होने वाले प्रदर्शन में कांग्रेस के बड़े नेताओं के शामिल होने में संशय है। 15 जनवरी को दोपहर 12 से 2 बजे तक किसानों द्वारा चक्काजाम किया जाएगा। 16 जनवरी को छिंदवाड़ा में किसान सम्मेलन और फिर 20 जनवरी को किसान महापंचायत मुरैना में होगी। 23 जनवरी को किसानों द्वारा भोपाल में राजभवन का घेराव किया जाएगा। कांग्रेस पार्टी ने 20 जनवरी को प्रदेशभर से कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बड़ी संख्या में किसानों को जुटाने का प्लान तैयार किया था। इस काम में अरुण यादव लगे थे, लेकिन कांग्रेस नेताओं में आपसी तालमेल न होने से किसान आंदोलन को लेकर मप्र कांग्रेस के नेता कमल नाथ के इशारे पर काम करने को मजबूर हैं।
अपनी जमीन की तलाश
नए कृषि कानून के खिलाफ पंजाब, हरियाणा के किसान बीते 44 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार होने के कारण अब तक वहां के किसान कृषि कानून के खिलाफ सामने नहीं आए है, लेकिन अब कांग्रेस वहां के किसानों को सक्रिय करना चाहती है। किसान आंदोलन के जरिए वह अपनी पैठ मजबूत करने की तैयारी में है।
नेताओं के अलग-अलग बयान
किसान आंदोलन को लेकर मप्र कांग्रेस में नेताओं के अलग-अलग बयान सामने आते रहे हैं। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले वादा किया था कि लागत मूल्य में पचास प्रतिशत राशि जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाएगा। अब जो कानून लाए गए हैं, उनमें समर्थन मूल्य का जिक्र तक नहीं है। यह तो किसानों के साथ धोखा है। 15 साल मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार रही। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वादा किया था कि 2020 में किसानों की आय दोगुनी होगी पर या हुआ। अब तक भाजपा सरकार के मंत्री ही किसानों को कुकुरमुत्ते से लेकर कई तरह की संज्ञा दे रहे हैं, वहीं अरुण यादव ट्रैक्टर आंदोलन करने वाले थे, लेकिन कांग्रेस नेता उन्हें बताए बगैर ही उपवास करने लगे हैं और ट्रैक्टर का खिलौना लेकर उपवास पर बैठ गए। इस बात पर अरुण यादव नाराज भी हुए और उपवास में शामिल नहीं हुए। एक बार फिर 20 की बजाए 23 जनवरी को भोपाल में प्रदर्शन की बजाए राजभवन का घेराव का कार्यक्रम बनाने से अरुण यादव के बनाए प्लान पर कमल नाथ ने पानी फेर दिया है।