जो चले सत्य की राह उसे मत रोको, जो करे धर्म की बात उसे मत टोको!

जीवन में सफलता और श्रेष्ठता वही प्राप्त करते हैं, जो सत्यधर्म की राह पर चलते हैं। इसके विपरीत जो धर्म की बात पर और धर्म की राह पर चलने वालों से नफरत करते हैं। तो समझ लो उनका विनाश सुनिश्चित है। इसी को कहते हैं विनाशकाले विपरीत बुद्धि जो कि धर्म की राह में रोड़ा अटकाती है और व्यक्ति के विनाश का रास्ता बनाती है।

अक्सर देखा गया है कि समाज में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो सत्य धर्म पर आधारित वचन, कथन और लेखन से अपने को बोर बनाते हैं। यही नहीं वे धार्मिक गतिविधियों को रोकने का आंतरिक प्रयास भी करते हैं लेकिन उन्हें शायद पता नहीं कि ऐसा करने का परिणाम क्या होता है। कब उनके तो जीवन में आफत आ जाती है उन्हें पता भी नहीं जो चलता। इनका हाल उस हिरण्यकशिपु जैसा होता धर्म है जो परिवार और समाज में धार्मिकता का पौराणिक वातावरण नहीं बनने देने के लिए अपने ही पुत्र युग प्रहलाद को भी प्रताडि़त करता है। वास्तव में जो हैसत्य-धर्म की राह पर चलने वालों को रोके वही हैहिरण्यकशिपु है। जिसका अंत भयावह है। यहां कहने का आशय यही कि मानव जीवन में सफलता का एक ही उपाय है सत्य धर्म की राह पर चलकर स्वयं को उस परम पिता परमेश्वर के हवाले कर दो जो तुम्हारा और सर्वजगत का भाग्य विधाता और पालनहार है, जो हम सबकी अंतरात्मा में विराजमान है, जिसे हम संसार की मोहमाया में फंसकर कई बार उद्घाटित नहीं कर पाते और इस संसार से चले जाते हैं। इसलिए जीवन का सबक यही है कि सदा सत्य धर्म की राह पर चलो और इसमें बहुत ज्यादा रूचि नहीं है तो कम से कम इतना तो करो कि जो चले सत्य की राह उसे मत रोको, जो करे धर्म की बात उसे मत टोको! यानी सत्यधर्म की राह में रोड़ा बनना घातक है। प्राचीन पौराणिक काल से लेकर आज के इस आधुनिक युग तक सत्य धर्म ही हमारा वास्तविक जीवन रहा है। जिस पर चलकर ही मनुष्य श्रेष्ठ व सफल बना है। इसलिए आओ सत्य धर्म की राह अपनाएं। जीवन समाधान पाएं।