शारदीय नवरात्र के बाद आती है शरद पूर्णिमा, मां लक्ष्मी का होता है विशेष विधि-विधान से पूजन

भगवान विष्णु के 4 महीने के शयनकाल का अंतिम चरण होता है शरद पूर्णिमा


हिंदू धर्म में पूर्णमासी का अपना विशेष महत्व होता है। प्रत्येक माह पूर्णमासी आती है। लोग पूर्णमासी के दिन सत्यनारायण भगवान का व्रत कथा पूजन करते हैं प्रत्येक पूर्णिमा का अपना महत्व तो है ही लेकिन शरद पूर्णमासी का अपना हिंदू धर्म एवं हिंदू संस्कृति में कई कारण शारदीय नवरात्रि आती है। हिंदू पंचांग के पूर्णिमा तिथि शरद पूर्णमासी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार के शयन काल का अंतिम कारण है कि शरद पूर्णमासी भी विशेष विधि-विधान पूर्णमासी को कई नामों से पुकारा पूर्णिमा, रास पूर्णिमा के साथ ही हैं।



पूजन विधि


प्रात:काल उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहने तथा करने का संकल्प मन में करेंसायकल जल्दी निकलता कथाओं और हिंदू मान्यताओं के छोटी-छोटी लड़कियां भी शरद जिनकी उम्र 7 या 8 साल होता है अपने भाई की सुख जीवन रक्षा के लिए वह छोटी छोटी कन्याओं के प्रेम जल्दी निकल आते हैं ताकि देर तक भूखा न रहना पड़े चंद्रमा का अर्घ्य देने के बाद ही शिव पार्वती कार्तिकेय की पूजा मां लक्ष्मी की विशेष पूजा साथ ही राधा दामोदर पूजा का यही दिन है सांय कल जब चंद्रमा की पूजा की जाती अक्षत दूब चढ़ाई जाती है साथ मौठी पूरी का प्रसाद लगाया उपरांत चंद्रमा को अर्घ्य दिया हाथ में सुपारी कुमकुम सिका दूब फूल तथा आटे के बने आस लिए जाते हैं हाथों पर जल डालकर अर्घ्य देते हैं तथा अर्घ्य देते समय निम्नलिखित पक्तियां कही जाती हैं। पनो पनो पन्य बन्ती अरग देव कलवंती जाई माई बाप के अरगदेयकांन्तके अर्घ्य देने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है यह व्रत बहनें अपने भाई की मंगल कामना के लिए भी करती हैं।


मां लक्ष्मी का विशेष पूजन


आज के ही दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था इसलिए मां लक्ष्मी को विशेष पूजा एवं अर्चना की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा धन धान्य से परिवार को परिपूर्ण करती है। मां लक्ष्मी धन की देवी हैं साथ ही दांपत्य जीवन में प्रेम, स्नेह, विश्वास बढ़ाते हैं।


विधि


स्नान कर एवं पूजा के स्थान को पूरी तरह से स्वच्छ कर एक चौकी बिछाएं, चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं तथा लक्ष्मी पूजन के लिए जो चित्र रखें उस चित्र में महालक्ष्मी गुलाबी कमल के ऊपर बैठी हुई धन से भरा हुआ कलश बिखरती हुई होना चाहिए पूजन के समय गुलाबी या सफेद वस्त्रों को धारण करके पूजन करना चाहिए। आज के दिन मां लक्ष्मी के सामने जो अखंड दीपक जलाता है उसकी सारी समस्याओं का अंत हो जाता है इस बात का विशेष ध्यान रखें जिस फोटो या मूर्ति का हम पूजन कर रहे हैं वह खंडित ना हो, दीया पुराना ना हो, पहले से जला हुआ ना हो, इन बातों का विचार करके अखंड दीपक जलाना चाहिए। मां लक्ष्मी जी के सामने जो अखंड दीपक जलाया जाता है वह गाय के दध से बने घी से जलाया जाता है। घी का जो अखंड दीपक जलाया जाता है वह माता लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति के दाहिने हाथ की ओर रखा जाता है साथ में एक और दीपक जलाया जाता है वह बाएं तरफ रखा जाता है जिसे तेल से जलाते हैं तेल सरसों का ना हो मुंगफली के तेल से जलाया जाता है यह दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर उड़ती है तो यह बहुत उत्तम है। दीपक में रूई से बाती ना बनाएं, लाल धागा मिलता है उससे बनाएं, महालक्ष्मी को लाल रंग बहुत पसंद है उनकी पुजा रात 9.00 से 12.00 के बीच में करें। शरद पूर्णमासी के चंद्रमा को लगातार 15 मिनट तक अवश्य देखें। शरद पूर्णमासी का यह अखंड दीपक दीपावली की रात से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। घर में धन-धान्य लक्ष्मी की वर्षा हो इसलिए एक छोटा सा नारियल लें, नारियल पर स्वास्तिक बनाएं, मां लक्ष्मी के सामने रखें बाद में उसे लाल कपड़े में बांधकर जहां आप अपने जेवर या रुपया पैसा रखते हैं वहां रखें।


खीर का महत्व


शरद पूर्णमासी के दिन गाय के दूध का विशेष महत्व होता है गाय के दूध की रबड़ी अथवा खीर बनाई जाती है जो रात्रि में चंद्रमा की चांदनी में रखी जाती है कहा जाता है खीर में अमृत वर्षा होती है और यह खौर हमारी इंद्रियों को ताकत देने वाली होती है यह विज्ञान ने भी सिद्ध किया है यह खीर अमृतमयी गुणों से भरपूर होती है।


खीर कैसे बनाएं



गाय के दूध में छुहारे तथा सूखी मेवा डालें साथ में शकर का उपयोग न करें, मिश्री का उपयोग कर सकती थोड़ी सी उसमें केसर डालें, केसर ना हो तो भी काम चल सकता है शहद का उपयोग भी कर सकती हैं, यदि खीर में मिश्री डाल दी है तो शहद का भोग अलग से लगाएं फिर खीर को ठंडा करके रात में खुली चांदनी रखें, चावल की खीर ना बनाएं। ब्राह्मणों को खीर खिलाएं. दक्षिणा दें तथा इस बात का ध्यान रखें जो भी दक्षिणा दें या दान दें वह तांबे के बर्तन में दें, प्लास्टिक या स्टील के बर्तन में नहीं आज के दिन ही शंख का भी प्रदुर्भाव हुआ था इसलिए शंख की पूजा भी की जाती है। बहनों रात्रि में अमृतमयी चंद्रमा को लगातार 15 मिनट तक देखें तथा सुई में धागा पिरोएं कहा जाता है इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है। मां लक्ष्मी के पूजन में मां लक्ष्मी को केसर का तिलक लगाएं तथा जब उनके चरणों पर केसर लगाएं तभी अपने माथे पर भी केसर का तिलक लगाएं यह आवश्यक है यदि संभव हो तो शंख का पूजन भी करें क्योंकि शंख का प्रादुर्भाव आज के दिन ही हुआ था।