किसानों के बहाने कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन

कांग्रेस के आंदोलन पर भाजपा ने उठाए सवाल

भोपाल. कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से बड़े आंदोलन की तैयारी कर रही प्रदेश कांग्रेस ने राजधानी की सड़कों पर अपनी सक्रियता दिखाई। सभी दिग्गजों की मौजूदगी में कांग्रेसजन इस प्रदर्शन को उग्र रूप देने में भी पीछे नहीं रहे। मगर भाजपा ने किसानों की गैर मौजूदगी को लेकर कांग्रेस के इस आंदोलन को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। साथ ही इसे पार्टी की अंदरूनी खींचतान और शक्ति प्रदर्शन बताया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह सहित पार्टी के अधिकांश दिग्गजों की मौजूदगी में प्रदेश कांग्रेस किसानों के मुद्दे को लेकर देर से ही सही, लेकिन प्रभावी प्रदर्शन को सड़क पर उतारने में सफल रही है। कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदेश कांग्रेस सड़क पर उतरने की तैयारी बीते दो महीने से कर रही थी, लेकिन विधानसभा का सत्र टलने के साथ ही कांग्रेस की तैयारियां भी रखी रह गई थीं। इसके चलते कांग्रेस अभी तक छुटपुट प्रदर्शन से ही अपनी मौजूदगी दर्ज कराती रही है। कल पहली बार कांग्रेस एकजुटता के साथ सड़क पर नजर आई। राजभवन जाने की जिद पर अड़े कांग्रेस नेता अपनी ताकत दिखाते हुए प्रशासन पर दबाव बनाते रहे, जिन्हें तितर बितर करने और रोकने के लिए प्रशासन को कड़े कदम उठाने पड़े। मगर दिनभर मची भगदड़ के बाद भी कांग्रेस का यह आंदोलन सवालों के घेरे में है। साथ ही भाजपा को खुलकर हमले करने का मौका भी कांग्रेस ने खुद ही दे दिया है। यह सवाल है कि आंदोलन किसके लिए था? इस सवाल की वजह है। कांग्रेस के आंदोलन से किसानों की दूरी। जिन किसानों की समस्याओं को लेकर सड़क पर उतरी थी, वे किसान ही इस प्रदर्शन से गायब थे। राजधानी के ही किसान इसमें शामिल नहीं हो सका इस लेकर भाजपा को एक बार फिर कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया है। कांग्रेस चाहती तो किसानों को साथ लेकर अपने इस आंदोलन को वास्तविकता से जोड़ सकती थी। मगर किसानों की बजाय कांग्रेस की भीड़ ही प्रदर्शन में उपद्रव मचाती रही। बड़े नेताओं की मौजूदगी के बाद भी पथराव होने से पूरे प्रदर्शन की गंभीरता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में प्रदर्शन होने के बाद भी इसमें आधे विधायक भी शामिल नहीं हुए।

सीएम ने भी बताया शक्ति प्रदर्शन

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस प्रदर्शन को कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान का परिणाम बताया है। सीएम ने कहा कि यह एक-दूसरे को अपनी ताकत दिखाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। इन्हें किसानों से कोई मतलब नहीं है। केवल दिल्ली दरबार को दिखाने के लिए प्रदेश कांग्रेस के नेता सड़क पर उतरे थे। यह लोग तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने भी लड़ते-भिड़ते रहते हैं।

कांग्रेस के आंदोलनों से किसानों को नहीं पड़ता फर्क : वीडी

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कहना है कि इस प्रदर्शन से साफ हो गया है कि प्रदेश का किसान कांग्रेस के साथ नहीं है और न ही प्रदेश के किसान मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ है। श्री शर्मा ने कांग्रेस के आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही है। अपना अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में कांग्रेस पार्टी किसानों के नाम पर आंदोलन कर रही है, लेकिन देश के किसानों को कांग्रेस के इन आंदोलनों से कोई फर्क पडऩे वाला नहीं है। देश के किसान बता चुके हैं कि वे कृषि कानूनों के समर्थन में हैं और भाजपा के साथ खड़े हैं। यही वजह है कि पूरे प्रदर्शन में कांग्रेस के साथ उसके किसान नेता ही शामिल नहीं हुए। आम किसान तो दूर की बात हैं, बल्कि कांग्रेस ने पुलिस और प्रशासन पर पथराव कर किसानों को बदनाम करने का काम किया है। देश और प्रदेश का किसान कभी भी राष्ट्र की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम नहीं करता। किसानों के नाम पर किया गया यह उपद्रव कांग्रेस को काफी भारी पड़ेगा।

पत्थरबाजी घृणित सोच

भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस की यह पत्थरबाजी उसकी षड्यंत्रकारी घृणित सोच को उजागर करती है। कांग्रेस की मंशा प्रदेश का माहौल बिगाडऩे का है, किसानों के नाम पर किसानों को बदनाम करने का कृत्य घोर निंदनीय है। पुलिस और मीडिया अपना कार्य कर रहे थे पर कांग्रेस अराजकता व उपद्रत कर रही थी। भीड़ में शामिल अधिकांश कांग्रेसजनों को कृषि कानूनों के प्रावधानों की जानकारी भी नहीं होगी।