कमल नाथ के निर्देश की अनदेखी करने वालों पर गिरेजी गाज


भोपाल. कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। एक तरफ कमल नाथ कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं में जान फूंकने के लिए अब उनके बीच न सिर्फ जा रहे हैं, बल्कि अपने बंगले पर भी कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं से मिलने लगे हैं, वहीं कमल नाथ के निर्देशों की अवहेलना करने वालों पर अब गाज गिर सकती है। किसानों के समर्थन में कांग्रेस किसान सम्मेलन कर रही है। भोपाल में दो दिन पूर्व राजभवन का घेराव किया गया, जिसमें सभी विधायक और जिलाध्यक्षों को अपनी टीम के साथ पहुंचना था, लेकिन राजभवन घेराव के कार्यक्रम में एक भी विधायक नहीं पहुंचा और न ही जिलाध्यक्ष पहुंचे। ऐसे कांग्रेसियों पर अब गाज गिरने वाली है। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान पीसीसी चीफ कमल नाथ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। उन्होंने कमरा बंद रणनीति के अलावा बैठकों और मुलाकातों का दौर शुरू कर दिया है, वो कार्यकर्ताओं की उन शिकायतों को दूर कर रहे हैं कि कमल नाथ हमसे मिलते नहीं हैं। कमल नाथ ने खुलकर कहा कि अब जो भी उनसे मुलाकात करना चाहता है, वह ई-मेल पर समय ले सकते हैं। पीसीसी में इन दिनों हलचल बढ़ी है। पहली अनुशासन समिति की बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस नेताओं के अनुशासहीनता के मामलों पर सुनवाई की गई। अब किसानो के समर्थन में काग्रेस पूरे प्रदेश में किसान सम्मेलन कर रहा है। पासीसी चीफ कमल नाथ के निर्देश पर जिला स्तर पर किसान सम्मेलन होने हैं। जहां कांग्रेस के विधायक है, उन्हें किसान सम्मेलन की अगुवाई करना है और जिस क्षेत्र में कांग्रेस विधायक नहीं है, वहां जिलाध्यक्षों को किसानों के साथ केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानून का विरोध करना है। भोपाल में 23 जनवरी को किसानों के समर्थन में और केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर राजभवन का घेराव किया जाना था, लेकिन इस कार्यक्रम में भोपाल और आसपास के जिलों से कुछ कांग्रेस नेता पहुंचे, लेकिन एक भी विधायक राजभवन घेराव कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ। इतना ही नहीं, ज्यादातर जिलाध्यक्ष भी नहीं आए। अब पीसीसी ऐसे विधायक और जिलाध्यक्षों की सूची तैयार कर रही है, जो भोपाल नहीं आए और उन्होंने अपने क्षेत्र में किसान सम्मेलनों का आयोजन नहीं किया है।

ठंडी पड़ी कांग्रेस की मुहिम

    एक ओर जहां देश में पिछले दो महीने से अधिक समय से देश के किसान कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ  मध्यप्रदेश में ठंडे पड़े किसान आंदोलन में जान फूंकने के लिए कांग्रेस ने किसान आंदोलन शुरू किया है, लेकिन राजभवन घेराव के बाद से किसान समेलन के आयोजन और कृषि कानून का विरोध करने के लिए कांग्रेस की मुहिम भी ठंडी पड़ती नजर आ रही है। कांग्रेस ने पार्टी के स्थापना दिवस पर ट्रैक्टर पर सवार होकर बड़े प्रदर्शन का ऐलान किया था, लेकिन विधानसभा सत्र स्थगित होने के साथ कांग्रेस का प्रदर्शन भी ठंडा पड़ गया था। हालात ये हो गए कि कांग्रेसियों को ट्रैक्टर के खिलौनों के साथ प्रदर्शन करना पड़ा था। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने प्रदर्शन की तैयारी नहीं की थी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के बंगले के बाहर बाकायदा ट्रैक्टरों का भी इंतजाम हो गया था, लेकिन विधानसभा सत्र स्थगित होने की वजह से असली ट्रैक्टर सड़क पर कांग्रेस नेताओं के इंतजार में खड़े रह गए और खिलौने वाले ट्रैक्टर लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ समेत कांग्रेस विधायक विधानसभा में धरने पर बैठ गए थे।