सरकारी निर्माण कार्यों का भी होगा फास्ट टैग

भोपाल. राज्य सरकार अब सरकारी निर्माण कार्यों पर नकेल कसने की तैयारी में है। कोरोना काल में सरकार वैसे भी आर्थिक संकट से जूझ रही है। ऐसे में सरकार के सामने स्वास्थ्य सहित अन्य जरूरी खर्च के लिये राशि का इंतजाम करना सबसे पहली प्राथमिकता है। सरकारी निर्माण करना फिलहाल प्राथमिकता में नहीं है। ऐसे में अब सरकार निर्माण कार्यों पर निगरानी के लिये अलग एजेंसी बनाने जा रही है। यह एजेंसी विभिन्न विभागों के निर्माण कार्यों को पूरा करने का कार्य करेगी। इतना ही नहीं, अब सरकारी निर्माण कार्यों का फास्ट टैग भी होगा। राज्य सरकार ने जो तैयारी की है, उस हिसाब से यह एजेंसी राज्य स्तरीय होगी। राज्य स्तरीय अधोसंरचना विकास एजेंसी पूरे प्रदेश में निर्माण कार्यों पर निगरानी करेगी। दरअसल यह कवायद प्रदेश में अलग-अलग विभागों द्वारा कराये जाने वाले निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के उद्देश्य से की जा रही है। अब प्रदेश में निर्माण कार्य कराने की जिम्मेदारी इसी एजेंसी के पास होगी। विशेष रूप से अधोसंरचना से जुड़े विकास कार्य को कराने का काम इस एजेंसी के पास होगा। बताया जा रहा है कि इस संबंध में शीघ्र ही प्रस्ताव तैयार होगा, जिसे निर्णय के लिये कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा।

टैग विभागों को नए वर्ष में कटौती से मिलेगी मुक्ति

राज्य सरकार ने निर्माण कार्य से जुड़े विभागों के लिए मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट में पहले टी कटौती कर दी थी। इस बार बजट को भी बेहद सीमित कर दिया था। ऐसे में विभागों के लिये नये निर्माण कार्यों को हाथ में लेने में परेशानी आ रही है। लोक निर्माण विभाग में पुराने निर्माण कार्यों का ही भुगतान नहीं हो पा रहा है। इस कारण विभाग से जुड़े ठेकेदार नये कामों को शुरू करने में कतराने लगे हैं। अब यदि निर्माण कार्य हो ही नहीं तो फिर भुगतान की नौबत ही नहीं आएगी। इसी को ध्यान में रखते हुए अब सरकार राज्य स्तरीय अधोसंरचना विकास एजेसी बना रही है, जो कि अलग-अलग विभागों के अधोसंरचना निर्माण का कार्य करेगी। इस स्थिति में अब नए वित्तीय वर्ष में ही बदलाव आने की संभावना जताई जा रही है। नए वित्तीय वर्ष मे विभागों को कटौती से मुक्ति मिल सकती है।

निर्माण कार्यों पर खर्च कम करने की कोशिश 

इस एजेंसी का निर्माण भले ही अधोसंरचना विकास के लिये किया जा रहा है, लेकिन इसके माध्यम से सरकारी निर्माण कार्यों पर होने वाली राशि के खर्र्च को कम किया जाएगा। अभी स्कूल शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग, सामाजिक न्याय विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के ज्यादातर काम लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कराये जाते हैं। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में एक तरह के निर्माण के लिये लागत भी अलग-अलग होती है। कई मामलों में यह भी उजागर हुआ है कि निर्माण कार्यों की लागत कार्य के अनुपात में बहुत ज्यादा है। कई मामलों में जहां कार्य की गुणवत्ता स्तरहीन होती है तो कुछ मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायतें भी आती हैं, इसलिये अब अधोसंरचना से जुड़े निर्माण कार्य की जिम्मेदारी एक ही एजेसी के पास होगी।

रिवाइस नहीं होगी निर्माण कार्यों की लागत

अब तक फास्ट टैग केवल राजमार्गों के वाहनों के लिए ही उपयोग होता है, जिससे कि उन्हें टोल प्लाजा पर टोल के भुगतान के लिए अनावश्यक कतार में नहीं लगना पड़े। फास्ट टैग वाले वाहनों को टोल से क्रास करने की सुविधा मिलती है। इसके लिए वे एडवांस में ही राशि का भुगतान कर देते हैं। अब कुछ इसी तरह का फाटटैग प्रदेश में अब सरकारी निर्माण कार्यों का भी होगा। इससे अब निर्माण कार्यों की लागत को रिवाइज नहीं किया जा सकेगा। तय समय में ही निर्माण कार्य को पूरा करना होगा यदि इस अवधि तक निर्माण कार्य पूरा नही किया गया तो फिर संबंधित एजेंसी को राशि का भुगतान नहीं होगा। टैग जारी होने के बाद कार्य की गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जाएगी। यह इसलिए कि कार्यों की गुणवत्ता में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकेगा। टेंडर के समय जो शर्तों में उल्लेख होगा, उसी हिसाब से काम को हर हाल में पूरा करना होगा।