नई संसद को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी



नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को अनुमति दे दी है। इसमें संसद की नई इमारत भी शामिल है। तीन जजों की बेंच ने 2-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय से भविष्य की परियोजनाओं में स्मॉग टावर लगाने के लिए कहा है। खास करके उन शहरों में जहां प्रदूषण गंभीर मसला है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट में पर्यावरण से जुड़ी मंजूरियों को भी स्वीकार कर लिया है और जमीन के इस्तेमाल में बदलाव की 4 अधिसूचना को भी हरी झंडी दे दी है। सेंट्रल दिल्ली को एक नई शक्ल देने वाले इस प्रोजेक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दी गई थीं, जिनमें लुटियंस जोन में निर्माण का विरोध करते हुए कई तरह के नियमों के उल्लंघन के आरोप भी लगाए गए थे। इन आरोपों में चेंज ऑफ़ लैंड यूज़ और पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी शामिल थीं। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाया। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को नए संसद भवन के निर्माण का शिलान्यास किया था। मौजूदा सेंट्रल विस्टा एक ऐतिहासिक इलाका है जिसे देखने लोग दूरदराज से आते हैं और खूबसूरती के साथ-साथ भारत की सत्ता के गलियारे भी यहीं रहे हैं। यहां एक नए संसद भवन समेत राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट के बीच कई इमारतों के निर्माण की योजना है। सेंटल विस्टा को नई शक्ल देने की शुरुआत संसद से होगी और नई इमारत में तकरीबन 971 करोड रुपये खर्च होंगे।