स्टेट बार काउंसिल भेजेगा प्रदेशभर के वकीलों की जानकारी

 सुप्रीम कोर्ट में होगा हर अधिवक्ता का डेटा



भोपाल.
अदालतों में नियमित कार्यरत देशभर के हर वकील की पूरी जानकारी अब सप्रीम कोर्ट के पटल पर उपलब्ध रहेगी। पांच साल में अधिवक्ता द्वारा कितने प्रकरणों में पैरवी की गई, इसकी सत्यापित जानकारी सुप्रीम कोर्ट को भेजी जा रही है। वकालत के नाम पर फर्जीवाड़ा रोकने बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सख्त रुख अपनाया था और सभी जिला बार एसोसिएशन से नियमित काम करने वाले वकीलों की सत्यापित जानकारी मांगी थी। स्टेट बार काउंसिल प्रदेशभर के अधिवक्ताओं की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को भेज रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के माध्यम से देशभर के अधिवक्ताओं की 22 बिन्दुओं पर सत्यापित जानकारी मांगी थी। पहले यह जानकारी 12 अगस्त तक दी जाना थी, लेकिन मामला पूरे देश से जड़ा होने और अधिवक्ताओं की 22 बिन्दुओं पर दस्तावेजों के आधार पर जानकारी सत्यापित कराने में समय लग रहा है, इस कारण बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसकी तारीख 30 सितंबर तक बढ़ा दी है। कोरोना काल के कारण फिर इसकी तारीख 31 दिसंबर तय की गई थी। सूत्रों के मुताबिक सभी जिला बार एसोसिएशन द्वारा मेल से यह जानकारी स्टेट बार काउंसिल को भेजी जा रही है। इसके बाद वहां से पूरे प्रदेश के वकीलों की जानकारी बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भेजी जाएगी। फिर यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध कराई जाएगी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के माध्यम से सभी राज्यों की स्टेट बार एसोसिएशन को जानकारी संकलित करने की जिम्मेदारी सौंपी है। जानकारी संकलित करने के लिए सभी अदालतों की जिला बार एसोसिएशन को फॉर्म उपलब्ध कराए गए थे। प्रदेश में रेग्युलर प्रैक्टिस करने वाले रजिस्टर्ड अधिवक्ताओं की संख्या 60 हजार के करीब है। भोपाल में इनकी संख्या चार हजार के करीब है।

अधिवक्ताओं की याचिका पर दिए आदेश

    सुप्रीम कोर्ट में वकीलों से संशोधित तीन याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। पहली याचिका में अधिवक्ताओं की तरफ से कहा गया था कि कई ऐसे लोग है, जिन्हें मानद तो मिली है, लेकिन रेग्युलर प्रैक्टिस नही करते और येन-केन प्रकरणों में वकालत करने लगते हैं, जबकि वकालत के लिए सनद के साथ पांच साल की प्रैक्टिस का प्रमाण-पत्र अनिवार्य है। इस कारण भी अधिवक्ताओं का सत्यापन कराया जाना उचित होगा, जिससे वकालत के नाम पर फर्जीवाड़ा रोका जा सके और अधिवक्ताओं की प्रतिष्ठा पर ठेस न पहुंचे। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश दिया है। इसके अलावा दो अन्य याचिकाओं पर सुनवाई होना है। इनमें कोरोना काल के कारण अधिवक्ताओं का काम प्रभावित होने से उन्होंने वकालत के साथ अन्य व्यवसाय की अनुमति मांगी है। अधिक्यताओं की तरफ से इसी तरह दूसरी याचिका भी दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण अधिवक्ता आर्थिक रूप से परेशान हैं। ऐसे में विशेषकर जूनियर अधिवक्ताओं को राज्य सरकार की तरफ से अर्विक मदद उपलब्ध कराई जाए।