पेट्रोल, सुरक्षा, सफाई और परिवहन के खर्च को सीमित करेगी सरकार

 भोपाल. देश और प्रदेश में अब कोरोना का खौफ कम होने लगा है। प्रदेश में भी कोरोना के नए मामलों में लगातार कमी आ रही है। इस बीच अब कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लगाने की तैयारी की जा रही है। वैक्सीन लगाने का काम इसी माह से शुरू हो रहा है। ऐसे माहौल में देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी एक बार फिर पुराने ट्रैक पर वापस आने लगी है, लेकिन कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को पहुंचे नुकसान का असर अब तक है। इसका असर मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजटपर तो पड़ा ही है, अगले वित्तीय वर्ष के बजट पर भी पडऩा तय है। वित्त विभाग ने नए वित्तीय वर्ष के लिए बजट की तैयारियां शुरू कर दी हैं और विभागों को प्रस्ताव तैयार कर भेजने के निर्देश दिए हैं। इसमें कई विभागों को खचों को सीमित करने के निर्देश दिए गए हैं। नए निर्देशों के तहत इस बार के बजट में विभागों की फिजूलखर्ची पर नकेल कसी जाएगी। इस कड़ी में अब विभागों को पेट्रोल, सुरक्षा, सफाई और परिवहन के नाम पर होने वाले बेतरतीब खचों पर लगाम लगाना होगी। वित्त विभाग ने विभागों को इन मदों में राशि का प्रावधान करने के लिए जो प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं, उनमें साफ किया गया है कि इस मद की राशि में पांच फीसदी से अधिक बढ़ोतरी मान्य नहीं होगी। यानी विभाग पेट्रोल, सुरक्षा, सफाई और परिवहन के खर्च पर अगले वर्ष भी अधिक राशि खर्च नहीं कर सकेंगे। वित्त विभाग ने इन खर्चों के अलावा बाकी खर्चों के लिए प्रस्ताव को पिछले बजट के हिसाब से ही रखने के निर्देश दिए हैं। इससे यह साफ है कि अन्य मदों की राशि में बढ़ोतरी नहीं होगी।

अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी के वेतन के लिए रखना होगा मद

भले ही किसी और संवर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के अधिकारों की जायज मांगों को मानने में देरी करे, लेकिन सरकार हर हाल में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के हर हितों का पूरा ध्यान रखती है। बजट के मामले में भी ऐसी ही है। अब अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी यदि किसी विभाग या फिर उससे संबंधित किसी स्थापना में वर्तमान में पदस्थ नहीं हैं, लेकिन नए वित्तीय वर्ष में पदस्थापना की संभावना हो तो फिर बजट में प्रावधान रखना होगा। वित्त विभाग ने सभी विभागों को इस संबंध में निर्देश दिए हैं।

अजा के लिए 23 और जजा उपयोजना के लिए 16 फीसदी

अनुसूचित जाति और जनजाति उपयोजना के तहत निर्धारित अंश रखना भी सभी विभागों के लिए अनिवार्य किया गया है। अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए विभागों को 23 फीसदी और अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए 16 फीसदी राशि का प्रावधान करने संबंधी प्रस्ताव ही वित्त विभाग को भेजना होगा।

विभागों के बजट की सीमा तय

वित विभाग ने सभी विभागों को एक प्रोफार्मा जारी किया है, जिसमें उन्हें अंतरिम बजट अनुमान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी बजट अनुमान के आधार पर वित्त विभाग अंतिम रूप से विभागों के लिए बजट प्रावधान कर सकेगा। वित्त विभाग ने विभागों को यह भी सूचित किया है कि यह राशि अंतरिम राशि से कम या ज्यादा भी हो सकती है।

जो योजनाएं निरंतर नहीं, उनका बजट घटेगा

वित्त विभाग ने जो निर्देश दिए हैं, उस हिसाब से विभाग की ऐसी योजनाएं जो लगातार संचालित नहीं हो रही हैं या फिर इन योजनाओं को आने वाले समय में बंद किया जा सकता है तो ऐसी योजनाओं के लिए बजट प्रावधान को पहले के मुकाबले घटा दिया जाएगा। इस संबंध में भी विभागों को सूचित कर दिया गया है। इसी तरह निर्देशों में यह भी कहा गया है कि राज्य के स्वयं के संसाधन और केंद्र सरकार के संसाधनों से होने वाली आय का आकलन कर और 15वें वित्त आयोग का प्रतिवेदन और उस पर केंद्र के निर्णय के साथ ही नए वित्तीय वर्ष 2021-22 के केंद्र के बजट को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की प्राथमिकता के हिसाब से अंतिम बजट सीमा तैयार की जाएगी। विभागों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी योजनाएं जो समाप्त घोषित कर दी गई हैं और उनके कोई दायित्व शेष नहीं हैं। ऐसे मामलों में बजट प्रावधान नहीं किया जाएगा।