नए वर्ष में परवान चढ़ेगी ई-डिस्ट्रिक्ट योजना

भोपाल. प्रदेश में ई -डिस्ट्रिक्ट योजना अब नए वर्ष में ही परवान चढ़ पाएगी। लोक सेवा प्रबंधन विभाग ने जिलों को भी हाईटेक सुविधाओं से लैस करने के लिए यह योजना तैयार की थी, लेकिन यह योजना फाइलों में ही कैद होकर रह गई थी। इस योजना के क्रियान्वयन में अफसरों का उदासीन रवैया तो जिम्मेदार रहा ही, सरकार के पास पैसों की तंगी भी एक वजह रही, जिस कारण यह योजना कागजों से जमीन पर नहीं उतर सकी। अब नए वर्ष में सरकार की आर्थिक स्थिति सुधरने पर इस योजना को भी रफ्तार मिलने के आसार हैं। इस योजना के माध्यम से अलग-अलग विभागों के जिला कार्यालयों को हाईटेक बनाया जाना था, इससे जिला स्तर पर सरकारी विभागों के बीच बेहतर समन्वय के साथ ही काम की रफ्तार को तेज करने में मदद मिलती। योजना के । योजना के तहत जिलों को बारी-बारी से हाईटेक किया जाना था। यहां सरकारी कामों को ऑनलाइन संपादित किया जाना था। विभागों के बीच परस्पर पत्राचार. संवाद या फिर आदेश - परिपत्र का आदान - प्रदान ई -तकनीक के माध्यम से ही किया जाना था। इस योजना के माध्यम से कागजों के दुरुपयोग को भी रोकने की कोशिश की गई थी, जिससे कि पर्यावरण को संरक्षित रखने में मदद मिल सके। ई-डिस्ट्रिक्ट योजना को भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान तैयार किया गया था, लेकिन जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तो फिर उसे यह योजना रास नहीं आई। इसके चलते इस योजना के लिए पिछले वर्ष ही राशि का प्रावधान नहीं किया गया था। प्रदेश में 15 माह के कांग्रेस शासन के बाद सरकार बदल गई, लेकिन तब प्रदेश में कोरोना का खौफ छाने लगा। कोरोना काल में प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ा। इस कारण स्थिति पर विपरीत असर पड़ा। इस कारण सरकार की आमदनी लगातार कम होती रही। इस कारण सरकार को भी जरूरी खर्चों पर कटौती करना पड़ी। बजट में कमोबेश अधिकांश विभागों पर कटौती की कैंची चली। इसका असर लोक सेवा प्रबंधन विभाग पर भी पड़ा। विभाग की इस योजना के लिए इस बार भी राशि का इंतजाम नहीं किया गया है। ऐसे में यह योजना इस वर्ष भी बंद ही पड़ी रही और इसका काम आगे नहीं बढ़ सका। यह नौबत इसलिए भी आई, क्योंकि लोक सेवा प्रबंधन विभाग के लिए मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए मात्र 62 करोड़ 35 लाख रुपये का ही इंतजाम किया गया। पिछले वर्ष विभाग को वित्त विभाग से 81 करोड़ 39 लाख रुपये मिले थे। इस तरह विभाग को वर्ष 2020 में 19 करोड़ रुपये कम मिले। इसका असर विभाग की अन्य योजनाओं और कार्यक्रमों पर भी पड़ा।

लोक सेवा केंद्रों के निर्माण को भी मिलेगी गति

प्रदेश में लोक सेवा केटो के संचालन की जिम्मेदारी इसी विभाग की है। प्रदेश में आम लोगों को ऑनलाइन शासकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए यह केंद्र खोले गए है, लेकिन इस बार प्रदेश में नए लोक सेवा केंद्र नहीं खुल सके। विभाग ने लोक सेवा केंद्रों के निर्माण के लिए पैसे देने में कंजूसी बरती। पिछले वर्ष के पांच करोड़ के मुकाबले इस बार महज दो करोड़ रुपये ही दिए गए। इसी तरह लोक सेवा केंद्रों को मिलने वाली अनुदान की राशि पर भी कटौती की मार पड़ी। नतीजा इस काम को गति नहीं मिल सकी। अब संभावना जताई जा रही है कि नए वर्ष में लोक सेवा केंद्रों के निर्माण का काम फिर शुरू हो सकेगा, जिससे कि राज्य सरकार के सुशासन का सपना साकार हो सके। आत्मनिर्भर मप्र के लक्ष्य में सुशासन को भी प्राथमिकता से शामिल किया गया है। लोक सेवा केंद्रों की सुविधाओं का विस्तार किए बगैर सुशासन के सपनों को पूरा नहीं किया जा सकता इसलिए इसे भी प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा।