सरकार जिस तरीके से इसे हैंडल कर रही, वह काफी निराशाजनक
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार की दलील नहीं बनेगी कि इसे किसी और सरकार ने शुरू किया था। आप किस तरह हल निकाल रहे है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि 41 किसान संगठन कानून वपसी की मांग कर रहे हैं, वरना आंदोलन जारी करने को कह रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास ऐसी दलील नहीं आई जिसमें इस कानून की तारीफ हुई हो। अदालत ने कहा कि हम किसान मामले में एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन क्या आप इन कानूनों को रोकेंगे या हम कदम उठाएं। हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और ठंड में बैठे हैं। खाने-पानी का कौन ख्याल रख रहा है। सुपीम कोर्ट ने नहीं पता कि महिलाओं और बुजुर्गों को वहां क्यों रोका जा रहा है, इतनी ठंड में ऐसा क्यों हो रहा है। हम एसपर्ट कमेटी बनाना चाहते हैं, तब तक सरकार इन कानूनों को रोके वरना हम एक्शन लेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून वापसी की बात नहीं कर रहे हैं, हम ये पूछ रहे हैं कि आप इसे कैसे संभाल रहे हैं। हम ये नहीं सुनना चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में ही हल हो या नहीं हो। हम बस यही चाहते हैं कि या आप इस मामले को बातचीत से सुलझा सकते हैं। अगर आप चाहते तो कह सकते थे कि मुद्दा सुलझने तक इस कानून को लागू नहीं करेंगे। अदालत ने कहा कि हमें पता नहीं कि आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का हिस्सा हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सिर्फ विवादित मुद्दों पर ही रोक लगाई जाए, लेकिन कोर्ट का कहना है कि नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे।
हम किसी को आंदोलन करने से नहीं रोक सकते
अदालत में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आंदोलन को खत्म नहीं करना चाह रहे हैं, आप इसे जारी रख सकते हैं। हम ये जानना चाहते हैं कि अगर कानून रुक जाता है, तो क्या आप आंदोलन की जगह बदलेंगे जब तक रिपोर्ट ना आए? अगर कुछ भी गलत होता है, तो हम सभी उसके जिम्मेदार होंगे। अगर किसान विरोध कर रहे हैं, तो हम चाहते हैं कि कमेटी उसका समाधान करे। हम किसी का खून अपने हाथ पर नहीं लेना चाहते हैं। लेकिन हम किसी को भी प्रदर्शन करने से मना नहीं कर सकते हैं।