अब खदान से 8 किमी के दायरे में ही करना होगा रेत का भंडारण

भोपाल. प्रदेश में अब रेत ठेकेदारों की मनमानी पर अंकुश लगाने की कोशिश की गई है। प्रदेश में रेत के बेतरतीब घंधे के तहत अवैध कारोबार तो धड़ल्ले से चलता ही है, वैध कारोबार में भी नियमों का पालन नहीं किया जाता। इसी पर अब लगाम लगाने की कोशिश की गई है। अब रेत ठेकेदार कहीं भी रेतों का भंडारण नहीं कर सकेंगे। अब यह जरूरी होगा कि जहां से रेत का खनन किया जा रहा है, उस खनन क्षेत्र से 5 से 8 किमी के दायरे में ही रेत का भडारण करना हागा। खनिज साधन विभाग ने मप्र रेत खनन, परिवहन, भंडारण तथा व्यापार नियम-2019 में सशोधन कर दिया है। इस नए संशोधन में यह प्रावधान किया गया है। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।

प्रथम वर्ष की गणना 30 जून तक

खनिज साधन विभाग ने नियमों में बदलाव किया है। उस हिसाब से अब रेत खनन का ठेका तीन वर्ष की अवधि के लिए दिया जाएगा। जब खनन के लिए संबंधित ठेकेदार का आशय-पत्र दिया जाएगा, तब से ठेका अवधि की गणना शुरू होगी। प्रथम वर्ष की गणना आशय-पत्र जारी करने की अवधि से 30 जून तक मानी जाएगी। भले ही उसमें एक वर्ष की अवधि पूरी नहीं हो। इस तरह एक जुलाई से अगला वर्ष माना जाएगा। ठेके की समाप्ति अवधि 30 जून मानी जाएगी। यहां बता दें कि जून के बाद नदियों से रेत के व्यावसायिक खनन को प्राय: प्रतिबंधित कर दिया जाता है। इस अवधि में बारिश का सीजन शुरू हो जाता है। नदियों में पानी का प्रवाह बढऩे लगता है और फिर बाढ़ के हालात भी बनते हैं। इस अवधि में रेत का खनन करना जोखिमपूर्ण होता है। यह स्थिति अगले तीन माह तक बनी रहती है, जब नदियों का जलस्तर अधिक बना रहता है। इसे देखते हुए ही खनन की वार्षिक अवधि का समय 30 जून तय किया गया है।

सात दिन में करना होगा अनुबंध

ननए नियमों में यह प्रावधान किया गया है कि यदि आशय - पत्र धारक ने किसी एक खदान के संचालन की सहमति यानी सीटीओ प्राप्त होने के सात दिन के भीतर जिला समूह के अनुबंध के लिए आवेदन नहीं किया है या अनुबंध के निष्पादन की स्वीकृति के लिए सूचना प्राप्त होने के पांच दिन के भीतर अनुबंध निष्पादित नहीं किया है तो फिर ऐसे मामलों में धरोहर राशि को राजसात कर पूर्व में जारी किए गए आशय - पत्र को निरस्त कर दिया जाएगा। इससे अब यह साफ हो गया है कि रेत ठेकेदारों को आशय -पत्र मिलने के बाद अनुबंध की कार्यवाही तय समय पर करना होगी। यदि इस मामले में लापरवाही दिखाई तो उन्हें ठेके से हाथ धोना पड़ सकता है और सियारिटी मनी भी गंवाना पड़ सकता है।

सरकारी निर्माण कार्यों के लिए 30 दिन की भी मिल सकेगी खनन की अनुमति

इसी तरह अस्थाई रूप से रिक्त समूह की रेत खनिज जो केंद्र सरकार या राज्य सरकार या केंद्र सरकार के किसी विभाग, उपक्रम के स्थानीय निकाय या केंद्र या राज्य सरकार के किसी विभाग, उपक्रम या स्थानीय निकाय के निर्माण कार्यों के लिए आवश्यक हैं तो ऐसे मामलों में उत्खनन करने, हटाने तथा परिवहन करने के लिए उत्खनन अनुज्ञा ३0 दिन की अवधि के लिए राज्य सरकार द्वारा तय की गई शर्त पर दी जा सकेगी। यह अनुमति जिले के कलेक्टर दे सकेंगे। ऐसे लाइसेंस या तो संबंधित विभागीय प्राधिकारी को या उसके द्वारा प्राधिकृत ठेकेदार को दिए जाने के संबंध में सबूत प्रस्तुत किए जाने पर दी जाएगी। खनिज साधन विभाग ने इस संबंध में पांच जनवरी को अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना जारी करने के दिन से नए नियम प्रदेश में प्रभावी हो गए हैं।