भारत में आई 33 हजार टन कचरे की मुसीबत

नई दिल्ली. कोरोना ने हमारी जिंदगियों में आकर हर संभव तरीके से कोहराम मचा दिया। सभी का जीवन एक तरह से रुक सा गया था। अब दुनिया ने इसके साथ जीना सीख लिया है, लेकिन अब भी इसके ऐसे कई खतरनाक पहलू हैं, जो डरा देने वाले हैं। क्या आपने कभी सोचा है, कोविड-19 से जुड़ा हुआ कचरा आखिर जाता कहां है? और असल में ये होता कितना है? राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोडों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, जून 2020 से, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने 32,994 टन कोविड-19 से जुड़ा बायोमेडिकल वेस्ट 6जैव चिकित्सा अपशिष्ट पैदा किया है। बता दें कि इसे नष्ट करने के लिए 198 आम बायोमेडिकल अपशिष्ट उपचार सुविधाएं काम कर रही हैं।

सुई से लेकर बिस्तर तक का कचरा

कोविड -19 बायोमेडिकल कचरे में पीपीई किट, मास्क, जूते के कवर, दस्ताने, मानव ऊतक, रक्त से दूषित वस्तुएं, शरीर के तरल पदार्थ जैसे ड्रेसिंग, प्लास्टर कास्ट, रूई, रक्त के साथ दूषित बिस्तर या शरीर के तरल पदार्थ, लड बैग, सुई, सीरिंज आदि शामिल हो सकते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले सात महीनों में लगभग ३३,000 टन कोविड-19 बायोमेडिकल कचरे का उत्पादन किया, जिसमें महाराष्ट्र का योगदान अधिकतम (३,587 टन) है। अक्तूबर में देश भर में 5,500 टन कोविड-19 कचरा उत्पन्न हुआ था। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, जून 2020 से, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने ३2,994 टन कोविड-19 संबंधित बायोमेडिकल वेस्ट उत्पन्न किया है, जिसे 198 आम बायोमेडिकल अपशिष्ट उपचार सुविधाओं द्वारा एकत्रित, उपचारित और निपटाया जा रहा है।  

क्या कहते हैं आंकड़े

आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र ने जून के बाद से सात महीनों में 5,३67 टन कोविड-19 कचरे का उत्पादन किया, इसके बाद केरल (३,३00 टन), गुजरात (३,086 टन), तमिलनाडु (2,806 टन), उार प्रदेश (2,502 टन), दिल्ली ( 2,471 टन), पश्चिम बंगाल (2,095 टन) और कर्नाटक (2,026 टन) हैं। दिसंबर में लगभग 4,5३0 टन कचरे का उत्पादन किया गया, जिसमें महाराष्ट्र का योगदान सबसे अधिक 629 टन है, इसके बाद केरल (542 टन) और गुजरात (479 टन) का स्थान है।