1300 करोड़ की सहायता से आत्मनिर्भर होंगे महिला स्व सहायता समूह



भोपाल.
कोरोनाकाल में आत्मनिर्भरता की राह गांवों से होकर ही जाती है। आत्मनिर्भरता की राह की एक और बड़ी कड़ी हैं महिलाएं। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाए बगैर आत्मनिर्भरता की कल्पना नहीं की जा सकती। ऐसे में प्रदेश के महिला स्वसहायता समूह न सिर्फ परंपरागत काम करेंगे, बल्कि लीग से हटकर भी नये हुनर में हाथ आजमाएंगे। इसके लिये राज्य सरकार ने बड़ी तैयारी शुरू कर दी है। अब प्रदेश में वर्ष में राज्य सरकार ने महिला स्वसहायता समूहों को 1300 करोड़ रुपये का कर्ज देने की योजना तैयार की है। यह कर्ज उन्हें महज चार फीसदी ब्याज पर मिलेगा।

    प्रदेश में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये राज्य सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। इस कड़ी में अब महिलाएं परंपरागत काम से अलग भी कुछ बड़ा करेंगी। अब महिलाओं के स्व सहायता समूह को गोशाला निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। दरअसल राज्य सरकार प्रदेश के हर ब्लॉक में गोशाला निर्माण करने जा रही है। इन गोशालाओं में कम से कम सौ गायों को रखने की व्यवस्था होगी। वैसे तो यह निर्णय पिछली सरकार ने लिया था। प्रदेश में सड़कों पर विचरते आवारा पशुओं के सुरक्षित रहवास के लिये पूर्ववती कमलनाथ सरकार ने बड़े स्तर पर गोशालाओं के निर्माण का कार्यक्रम कांग्रेस ने घोषणा पत्र में भी इसे प्रमुख बिंद के रूप में शामिल किया था। सरकार बनने के बाद निर्माण का काम शुरू कर दिया गया। तब कांग्रेस सरकार के समय इस योजना का जमकर प्रचार किया गया और यह राजनीतिक बयानबाजी का बड़ा कारण भी बना। एक तरफ कांग्रेस के नेता भाजपा पर गोमाता की केवल सतही बात करने और इनके लिये कुछ नहीं करने का आरोप लगाते रहे, वहीं इस मामले में भाजपा बैकफुट पर रही और अपनी सरकार के समय गोमाता के लिए किये गये कार्यों का ब्योरा देती रही। प्रदेश में जब कांग्रेस सरकार का पतन हुआ और फिर जब भाजपा की सरकार बनी, तब भी नई सरकार ने कांग्रेस सरकार की इस योजना में कोई बदलाव नहीं किया और बड़े पैमाने पर गोशाला के निर्माण का काम हाथ में लिया। प्रदेश में सौ पशुधन की क्षमता वाली गोशाला के निर्माण की लागत 40 एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ ही पशुपालन विभाग से भी वित्तीय मदद मिल रही है। कांग्रेस सरकार ने पहले सौ गोशाला के निर्माण का लक्ष्य तय किया था, जिसे अब भाजपा सरकार विस्तार देने जा रही है। अब हर ब्लॉक में एक गोशाला का निर्माण कराया जा रहा है।

महिला स्वसहायता समूह को भी मिलने लगा काम

प्रदेश में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये राज्य सरकार काम कर रही है। इस क्रम में प्रदेश में दो लाख महिला स्वसहायता समूह को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। एक समूह में कम से कम पांच महिलाएं तो होती ही हैं। इस हिसाब से इस अभियान के तहत कम से कम दस लाख महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। योजना के तहत इन समूहों को गोशाला बनाने की जिमेदारी दी जा रही है, जिससे कि वे आर्थिक रूप से ज्यादा सशक्त हो सकें ।महिलाओं के समूह के लिये जो काम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने चिन्हित किये हैं, उनमें शेड निर्माण, मेड़ बंधान, पशु शेड, मुर्गी शेड, बकरी शेड भी शामिल है। इसके अलावा महिलाएं खेत तालाब के काम भी करा सकेंगी। इतना ही नहीं, समूहों को भरपूर काम उपलध कराने की मंशा से पौधरोपण के काम से भी जोड़ा जा रहा है। इनमें कई काम मनरेगा के तहत होंगे।