रोजगार सेतु पोर्टल हुआ फेल तो अब मेले का लिया सहारा

रोजगार मेले में 300 से 500 तक युवाओं को मिल रहा रोजगार

भोपाल. राज्य सरकार ने प्रदेश में बेरोजगारों को सहारा देने के लिए जोर-शोर से रोजगार सेतु पोर्टल शुरू किया था, लेकिन अब गुजरते समय के साथ यह पोर्टल अपनी उपयोगिता खोता जा रहा है। इसे देखते हुए राज्य सरकार स्थानीय प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए एक बार फिर परंपरागत तरीके पर लौट आई है। अब जिला मुख्यालयों के साथ ही तहसील स्तर पर भी रोजगार कार्ड मेले का आयोजन शुरू कर दिया गया है। कोरोना काल में इसमें पिछले आठ माह से इसमें रोक लगी हुई थी, लेकिन बेरोजगारों के बढ़ते दबाव के चलते एक बार फिर मेले का आयोजन किया जाने लगा है। इसमें कोविड - 19 के तय प्रोटोकॉल का पालन भी किया जा रहा है। 
रोजगार मेले के परिणाम भी दिखने लगे हैं। एक मेले में 300 से लेकर 500 तक बेरोजगारों को रोजगार के लिए मैपिंग ऑफर लेटर मिलने लगे हैं। राज्य सरकार की भागीदारी से आयाजित होने वाले इन मेलों में 25 से 30 कंपनियां तक हिस्सा ले रही हैं। इनमें सभी क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं। रोजगार मेले को किस तरह से सफलता मिल रही है, इसकी बागनी सतना जिले में आयोजित कार्यक्रम से समझा जा सकता है। सतना के रामनगर में कोशिश आयोजित मेला में 1044 बेरोजगारों ने पंजीयन कराया, तो इसमें से 398 को रोजगार भी मिल गया। इसी तरह जिले के अमरपाटन में आयोजित मेले में तो 604 बेरोजगारों को रोजगार मिला। यहां 20 से अधिक कंपनियों से मेले में हिस्सा लिया था।

तय लक्ष्य हासिल नहीं कर सका पोर्टल

कोरोना संक्रमण काल में प्रदेश वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को स्थानीय स्तर पर उनकी कुशलता एवं दक्षता के अुनसार रोजगार उपलब्ध करवाने के लिये रोजगार सेतु पोर्टल 10 जून को शुरू किया गया था। 10 नवंबर को पोर्टल को शुरू हुए दो माह पूरे हुए थे। अब ताजा आंकड़ों के हिसाब से इस पोर्टल के शुरू होने के बाद तक बमुश्किल 90 हजार मजदूरों को ही रोजगार मिला है। इस योजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने किया था। पोर्टल पर सभी प्रवासी मजदूरों का पंजीयन कर ऐसे नियोक्ताओं का भी पंजीयन किया गया, जिन्हें काम के लिये मजदूरों की तलाश थी। रोजगार सेतु पोर्टल योजना में 7 लाख 30 हजार 311 प्रवासी श्रमिकों का पंजीयन किया गया था। इसी तरह 31 हजार 733 नियोक्ताओं का पंजीयन किया गया है। वैसे राहत की बात यह है कि प्रदेश के मजदूरों को मनरेगा के कार्यों में स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है। तीन लाख 58 हजार 956 ऐसे प्रवासी मजदूरों के मनरेगा के तहत जॉब कार्ड भी बनाये गये, जिनके अभी तक जॉब कार्ड नहीं थे। इनमें ऐसे श्रमिक भी शामिल हैं, जो मध्यप्रदेश के न होकर अन्य राज्यों के हैं। गरीबों के लिये हर स्तर पर सहायता उपलब्ध करवाने वाली संबल योजना के पोर्टल पर तीन लाख 24 हजार 715 व्यक्तियों का पंजीयन और बीओसीडब्ल्यू पोर्टल पर 16 हजार 496 का पंजीयन किया गया था। श्रमिकों की स्किल मैपिंग में 7 लाख 20 हजार 997 श्रमिकों की उनके कौशल अनुसार मैपिंग का कार्य किया गया था। गृह प्रदेश वापसी करने वाले प्रवासी श्रमिकों का सर्वे करने वाला मप्र देश का पहला राज्य था। अप्रैल और मई में बड़ी संख्या में देश के दूसरे राज्यों से मजदूरों ने घर वापसी की थी। ऐसे में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा के माध्यम से उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश की, वहीं श्रम विभाग ने पोर्टल के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने का अभियान शुरू किया था।

पहले दिन मिला था 79 मजदूरों को रोजगार

दस जून को योजना शुरू की गई थी। उस दिन इस पोर्टल के माध्यम से 79 मजदूरों को रोजगार मिला था। उसके बाद पोर्टल के माध्यम से तेजगार उपलब्ध कराने का आकडा धीमे ही सही, लेकिन बढ़ता गया। बाद में इस पोर्टल के माध्यम से प्रतिदिन औसतन 600 को रोजगार मिलने लगा था। श्रम विभाग इस पोर्टल के माध्यम से रोजगार पता करने की रफ्तार में इजाफा करने की कोशिश में लगा हुआ था। कोशिश की गई थी कि प्रतिदिन एक हजार को रोजगार उपलब्ध कराया जाए, लेकिन एक हजार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना तो दूर की बात रही, अब प्रतिदिन 600 लेगों को भी इस पोर्टल के माध्यम से रोजगार नही मिल रहा। इसलिए ही राज्य सरकार ने अब रोजगार सेतु पोर्टल के ही भरोसे रहने के बजाय अब कोरोना काल में भी रोजगार मेलों का आयोजन शुरू कर दिया है, जिससे कि प्रदेश के बेरोजगारों को कुछ राहत मिल सके। इसके नतीजे भी मिलने लगे हैं।