सीएम अब एक्शन मोड में, आज से विभागों की पड़ताल शुरू


भोपाल. आत्मनिर्भर मप्र के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अब एक्शन मोड में आ गए हैं। वे आज से विभागों की पड़ताल का दौर शुरू करने जा रहे हैं। इसकी शुरूआत लोक निर्माण विभाग से होगी। लोक निर्माण विभाग की समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा करेंगे। 

    बताया जा रहा है कि इस दौरान दोनों ही विभाग आत्मनिर्भर मप्र के रोडमैप के हिसाब तैयार विभाग का प्रजेंटेंशन मुख्यमंत्री के सामने देंगे। दोनों ही समीक्षा बैठकें शाम को होंगी। लोक निर्माण विभाग इस समय बजट की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में केवल उन कामों को हाथ में लिया गया है, जिनको कराया जाना बेहद जरूरी है। बजट की कमी के कारण विभाग में ठेकेदारों का भुगतान नहीं हो रहा है। इस कारण भी विभाग की रफ्तार सुस्त हुई है। इधर विभाग ने ठेकेदारों पर दबाव बनाते हुए विभाग ने काम नहीं करने वाले ठेकेदारों को ब्लेक लिस्टेड करने की चेतावनी दे दी है। इधर लोक निर्माण विभाग ने सड़क, पूल और भवन कार्यों के लिए बनाए गए नए एसओआर को मंजूरी दे दी है और इसे अब प्रदेश में बताया जा रहा है कि इस दौरान दोनों ही विभाग लागू कर दिया गया है। हाल के वर्षों में विभाग में किया गया यह सबसे बड़ा बदलाव है। इस एसओआर में आधुनिक नवीन तकनीकी आयटमों को समाहित किये जाने से शासकीय निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में सुधार होगा। निर्माण गतिविधियों में आई अनेक आधुनिक तकनीकों के बाद उनका समावेश आसानी से शासकीय निर्माण कार्यों में हो सके, इसके लिये एसओआर दरों में संशोधन की मांग लम्बे समय से की जा रही थी। इससे पूर्व अगस्त-2014 में एसओआर का निर्धारण किया गया था। 

    लगभग 6 वर्ष के इंतजार के बाद नया एसओआर लागू किया जा सका है। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में लोक निर्माण सहित अन्य विभागों के निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण और समय की मांग अनुसार किये जा सकेंगे। वर्ष 2014 के बाद विभाग द्वारा एसओआर में परिवर्तन किये गये हैं, जिन्हें आधुनिक तकनीक और समय की मांग के अनुसार बनाया गया है। सिविल एवं इलेक्टिकल कार्यों के समस्त आयटम्स में केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग स्पेशिफिकेशन्स, नेशनल बिल्डिंग कोड, ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिसियंसी तथा इण्डियन स्टेण्डर्ड का पालन किया गया है। इसके अतिरिक्त ऐसे आयटम्स, जिनके संबंध में मानक मापदण्ड उपलब्ध नहीं हैं, इण्डस्ट्री बेस्ट प्रेक्टिसेस के आधार पर मापदण्ड निर्धारित किये गये हैं। इधर स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री रिक्त पदों को शीघ्र भरने को लेकर निर्देश दे सकते हैं। इससे पहले भी अध्यापक संवर्ग में रिक्त पदों को भरने के लिए परीक्षा हो चुकी है, लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं दी जा सकी है। बताया जा रहा है कि इसे लेकर भी मुख्यमंत्री निर्देश देंगे।