किसान नेताओं ने बदली रणनीति में बदलाव, अब दूसरे राज्यों में तेज होगा आंदोलन

चंडीगढ़.  केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली कूच के एक माह बाद अब किसान नेताओं ने आंदोलन की रणनीति में बदलाव करने शुरू कर दिए हैं। रणनीति के तहत ही अब वे आंदोलन को दूसरे राज्यों तक ले जाने में फोकस कर रहे हैं। दिल्ली बॉर्डर पर बैठे कई किसान संगठनों ने इसकी पहल शरू कर दी है। किसान नेता पटना, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के साथ ही अन्य राज्यों के किसान संगठनों से संपर्क साधने में लगे हैं। साथ ही वहां आयोजित होने वाले विरोध-प्रदर्शनों में भी हिस्सा लेकर उनका समर्थन हासिल कर रहे हैं। केंद्र के नेता किसान आंदोलन को लेकर आए दिन बयान दे रहे हैं कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का यह आंदोलन सिर्फ पंजाब तक ही सीमित है। उसे वहां की सत्तासीन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल हवा देने में लगे हुए हैं। केंद्र की तरफ से आने वाले ऐसे बयानों को किसान संगठनों ने गंभीरता से लेते हुए रणनीति में बदलाव करने शुरू कर दिए हैं। इसी के तहत अब दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे कई किसान संगठनों ने दूसरे राज्यों में आंदोलन तेज करने के उद्देश्य से वहां के किसान संगठनों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।

अन्ना का अंतिम अल्टीमेटम

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा है कि अगर अगले साल जनवरी के आखिर तक केंद्र सरकार किसानों से संबंधित मुद्दों पर उनकी मांगों को पूरा नहीं करते हैं तो वो भूख हड़ताल पर चले जाएंगे और कहा कि यह हड़ताल उनका अंतिम विरोध होगी। रविवार को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में अपने रालेगाँव सिद्धि गाँव में पत्रकारों से बात करते हए अन्ना हजारे का कि पिछले तीन सालों से खेती करने वालों के लिए विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन सरकार ने मुद्दों को हल करने के लिए कुछ नहीं किया है। 83 साल के अन्ना हजारे ने कहा, सरकार सिर्फ खाली वादे दे रही है, जिसके कारण मुझे सरकार में कोई भरोसा नहीं बचा है ..आइए देखते हैं, केंद्र मेरी मांगों पर क्या कार्रवाई करती है। उन्होंने एक महीने का समय मांगा है इसलिए मैंने उन्हें जनवरी-अंत तक का समय दिया है। अगर मेरी मांग पूरी नहीं हुई तो मैं अपनी भूख हडताल फिर से शुरू करुंगा।