नगरीय निकाय चुनाव के लिए कांग्रेस का बड़ा फैसला

प्रत्याशियों के नाम पीसीसी नहीं, डीसीसी करेगी तय

भोपाल. मप्र में नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही न हुआ हो, लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने चाल चलना शुरू कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) ने निकाय चुनाव में जीत का जो फॉर्मूला ईजाद किया है। उसके तहत उम्मीदवार का चयन पीसीसी नहीं करेगी। यह अधिकार डीसीसी यानी डिस्ट्रिक्ट कांग्रेस कमेटी (डीसीसी) को दे दिया गया है। वो स्थानीय स्तर पर उम्मीदवारों को चुनेगी। डीसीसी की सिफारिश पर ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी उम्मीदवार के नाम का ऐलान करेगी। मध्य प्रदेश में लंबे समय से अटके नगरीय निकाय चुनाव को लेकर अब सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं। नगरीय निकाय चुनाव में महापौर अध्यक्ष पद के आरक्षण के बाद कांग्रेस पार्टी में सरगर्मी तेज हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने देवास, इंदौर सहित कई जिला अध्यक्षों के साथ बैठक कर चुनाव की रणनीति पर मंथन किया। कांग्रेस पार्टी ने तय किया है कि स्थानीय स्तर पर ही उम्मीदवारों के नाम तय किए जाएंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर ने बताया कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए पार्टी अलग-अलग कमेटियों का गठन करने जा रही है। इस चुनाव में 50 फीसदी महिलाओं और ज्यादातर युवाओं को मौका दिया जाएगा। उम्मीदवारों के चयन के लिए जिला इकाइयों को निर्देश जारी किए गए हैं। 28 विधानसभा सीटों के लिए हुए उप चुनाव के बाद अब पीसीसी चीफ कमल नाथ की अग्नि परीक्षा प्रदेश में होने जा रहे नगरीय निकाय के चुनाव में होगी। यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही निकाय चुनाव की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। छोटे-छोटे शहरों की सरकारों के लिए मचने वाला घमासान किसी बड़े चुनाव से कम नहीं है। प्रदेश को 16 नगर निगम के महापौर सीट, 99 नगर पालिका और 292 नगर परिषदों के अध्यक्ष पद का आरक्षण हो जाने के बाद अब दोनों दलों ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। उपचुनाव की जंग फतह करने के बाद भाजपा के हौसले बुलंद हैं, लेकिन कांग्रेस ने भी निकाय चुनाव की बाजी जीतने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। हालांकि अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के लिए खाता खोलने की चुनौती है, जबकि भाजपा को शहरी इलाके में अपनी पकड़ को बनाए रखने का चैलेंज है। पिछले चुनाव में प्रदेश के सभी 16 नगर निगमों में भाजपा ने अपना कब्जा जमाया था, वहीं 15 नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस का था, जबकि एक सिंगरौली नगर निगम में बीएसपी का नेता प्रतिपक्ष था।

नगर पालिका के आरक्षण

सामान्य वर्ग के लिए 53 नगर पालिका आरक्षित की गई है। इनमें सारंगपुर, सिवनी मालवा बेगमगंज, टीकमगढ़, नौगांव, पोरसा, अशोकनगर, डोंगर.परासिया, सोहोरा, कोतमा, पसान, सोचो, बड़नगर, गंजबासौदा, नरसिंहगढ़, सीहोर, पोशमपुर, बड़वाह, नरसिंहपुर, सेंधवा, गाडरवारा अनूपपुर आगर, शाजापुर,उरिया, दगोह और खाचरौद सामान्य महिला के लिए आरक्षित.बैतूल, विदिशा, राजगढ, पिपरिया, महाकोट, पन्ना खरगोन, बालाघाट, नैनपुर, धनपुरी, गहिदपुर, शिवपुरी, बैरसिया, मुलताई, देवरों, दतिया, गुना, वारासिवनी, चौरई, सौसर, अगरवाडा, करेलो, नौगव, अबाह, मंडीदीप, शुजालपुर शामिल है। ओबीसी वर्ग के लिए भी कई नगर पालिका आरक्षित की गई है इसमें से सबलगढ़, धार, आष्टा, रायसेन, सिरोंज, होशंगाबाद, छत्तरपुर, शहडोल, पन्ना, राधोगढ़, गंदसौर जनारदेव मनावर, मैहर, सनावद, श्योपुर कला, सिवनी, मंडला, ब्यावर, रहली, पांढूर्णा, इटारसी, जावरा और नेपानगर शामिल हैं।