सोनिया गांधी की सेहत के मद्देनजर खोजा जा रहा विकल्प

शरद पवार के हाथ आएगी यूपीए की कमान

नई दिल्ली. नए कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर राष्ट्रपति से विपक्षी नेताओं की मुलाकात के बाद इस अटकल को पर लग गए हैं कि राकांपा अध्यक्ष शरद पवार संयुक्त प्रगतिशील मोर्चे (यूपीए) के नए अध्यक्ष हो सकते हैं। हालांकि, कांग्रेस की ओर से पुष्टि नहीं हुई है, पर यूपीए की मौजूदा अध्यक्ष एवं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के स्वास्थ्य के मद्देनजर पवार के हाथ में ही यूपीए की कमान आने की संभावना है।

    यूपीए के भीतर कुछ दिनों से इस मुद्दे पर मंथन चल रहा है। पवार 12 दिसंबर को 80 वर्ष के होने जा रहे हैं। यूपीए में सबसे ताकतवर एवं सूझबूझ वाले नेता के तौर पर उनका नाम सम्मान से लिया जाता है। सभी सहयोगी दलों के नेताओं से पवार के संबंध अच्छे हैं। राकांपा के क्षेत्रीय पार्टी होने के बावजूद पवार सभी दलों को साथ लेकर चलने में समर्थ हैं और वे ही तीसरा मोर्चा बनाए बिना मोदी सरकार के खिलाफ ताकतवर लामबंदी कर सकते हैं। इन गुणों की वजह से सहयोगी दलों के बीच चर्चा है कि यूपीए के अध्यक्ष के तौर पर उनके नाम पर मुहर लगा दी जाए।

    महाराष्ट्र में शिवसेना को साथ लेकर महाविकास आघाड़ी बनाने का पैटर्न सफल बनाने का श्रेय पवार को है। उन्होंने महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद, देश के रक्षा मंत्री और लगातार दस साल तक कृषि मंत्री का पद संभाला है। फिलहाल देशभर में कृषि कानूनों को लेकर सरकार विरोधी माहौल है।

विपक्ष ने भी किसानों की मांगों का समर्थन किया है। शरद पवार के नेतृत्व में ही विपक्षी दलों के नेता राष्ट्रपति से मिले। यूपीए के सहयोगी दलों में चर्चा है कि पवार ने जो प्रयोग महाराष्ट्र में कर दिखाया है, वे उसे पूरे देश में भी दोहरा सकते हैं। सिर्फ कांग्रेस की ओर से ही पवार के नाम पर एतराज जताया जा सकता है। कांग्रेस के सत्रों ने कहा है कि कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और अगर सोनिया गांधी यूपीए अध्यक्ष पद पर रहने की इच्छुक नहीं होंगी, तो पार्टी के ही किसी अन्य नेता को यह पद सौंपा जाएगा। एक नेता ने अनाम रहने की शर्त पर बताया इस चर्चा के पीछे कांग्रेस के चिट्ठी बम खेमे का हाथ है।

नेताओं ने पार्टी नेतृत्व पर सवालिया निशान लगाते हुए पत्र लिखा था। राकांपा ने भी इस खबर का बयान जारी करके खंडन किया है। बयान में कहा गया है कि किसानों के आंदोलन से ध्यान भटकाने के लिए यह शरारतपूर्ण चर्चा चलाई जा रही है। शरारतपूर्ण सहयोगी दलों में इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई है। लिहाजा. राकांपा प्रमुख शरद पवार के यूपीए का अध्यक्ष पद स्वीकार करने का सवाल ही नहीं है।