रैली करो, बैठकें करो, पर विधानसभा सत्र और संसद की बैठक मत बुलाओ



भोपाल. मध्यप्रदेश सरकार व केंद्र सरकार के लिए कोरोना इतना खतरनाक हो चुका है कि न तो विधानसभा और न संसद की बैठकें हो सकती हैं, जबकि अनेक प्रांतों में विधानसभा की बैठकें हो रही हैं। भारत को छोड़ कर सभी लोकतांत्रिक देशों में संसदीय बैठकें हो रही हैं, लेकिन भगवान राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा उगाने के लिए जुलूस निकाले जा सकते हैं, दंगा भडकाने वाले नारे लगाए जा सकते हैं। भाजपा की बैठकें हो सकती हैं, विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। अमित शाह की चुनावी रैलियां, सभाएं हो सकती हैं। फिर विधानसभा व संसद की बैठकें क्यों नहीं हो सकती। 


    यह बात पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्विटर के माध्यम से कही है। शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा के सिर्फ दो ही सत्र हो सके हैं। सरकार अब तक विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव तक नहीं करा पाई है। विधानसभा की 7वीं और 8वीं बैठक के लिए अधिसूचना जारी हुई, लेकिन कोरोना के कारण बैठक निरस्त कर दी गई। विधानसभा सत्र 28 दिसंबर को आहूत किया गया था, लेकिन विधानसभा के बड़ी संख्या में कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव आने से सत्र स्थगित कर दिया गया। इसी को लेकर अब कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार पर कटाक्ष किया है। दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा है कि मध्यप्रदेश सरकार व केंद्र सरकार के लिए कोरोना इतना खतरनाक हो चुका है कि न तो विधानसभा और न ही संसद की बैठकें हो सकती हैं, जबकि अनेक प्रांतों में विधानसभा की बैठकें हो रही हैं। भारत को छोड़कर सभी लोकतांत्रिक देशों में संसदीय बैठकें हो रही हैं, लेकिन भगवान राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा उगाने के लिए जुलूस निकाले जा सकते है, दंगा भड़काने वाले नारे लगाए जा सकते हैं। भाजपा की बैठकें हो सकती हैं, विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। अमित शाह की चुनावी रैलियां, सभाएं हो सकती हैं। फिर विधानसभा व संसद की बैठकें क्यों नहीं हो सकतीं. क्योंकि मोदी-शाह किसानों के आंदोलन, बिगड़ी अर्थव्यवस्था, बढ़ती हुई महंगाई व बेरोजगारी पर चर्चा नहीं कराना चाहते। इन्हें लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास नहीं है और जब तक ईवीएम है, जनता की नाराजगी व चुनाव हारने की चिंता भी नहीं है। उनके लिए कोरोना आपदा में अवसर है। दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि राहुल गांधी अपनी नानी से मिलने चले जाएं तो मीडिया की बड़ी खबर, लेकिन संसद व विधानसभा की बैठकें न हो तो कोई खबर नहीं। कोरोना के कारण संसद व विधानसभा नहीं चल सकती। चुनाव हो सकते हैं, भाजपा के सम्मेलन हो सकते हैं व जुलस निकल सकते हैं। वाह जी.. मोदी-शिवराज वाह!

अब तक सिर्फ 7 बैठकें हुई

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 24 से 27 मार्च 2020 तक के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया था, जिसमें उन्हें बहुमत साबित करना था। कोरोना संक्रमण के कारण यह संक्षिप्त सत्र चार बैठकों का बुलाया था। इसमें विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्य नहीं पहुंचे और नौ मिनट में शिवराज सिंह चौहान ने बहुमत साबित करने के बाद सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया था। इसके बाद 20 से 24 जुलाई तक के लिए मानसून सत्र बुलाया गया था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से सर्वदलीय बैठक में इसे निरस्त कर दिया गया। राजनीतिक परिस्थितियों और कोरोना महामारी के कारण मध्य प्रदेश के संसदीय इतिहास में इस बार विधानसभा की सबसे कम 7 बैठके हो सकी हैं। चार बैठकें कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में हुई थी। इसके बाद शिवराज सरकार ने बहुमत साबित करने के लिए 24 मार्च को बैठक की थी। सितंबर 2020 में दो घंटे में ही सत्र बुलाने की औपचारिकता पूरी कर ली गई। इससे पहले मध्य प्रदेश विधानसभा के इतिहास में 1993 में छह बैठक हुई थीं, लेकिन तब राष्ट्रपति शासन के बाद केवल दिसंबर में ही विधानसभा का सत्र हुआ था। विधानसभा सत्र बुलाए जाने से लगभग एक महीने पहले राज्यपाल द्वारा विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी की जाती है। इसमें अधिकृत तौर पर बैठकों की संख्या भी शामिल होती है। इसके बाद विधानसभा सचिवालय द्वारा कम से कम 15 दिन पहले तक विधायकों के लिए विभागवार तारीख जारी की जाती है। इन तारीखों में विधायक अपने सवाल दाखिल कर सकते हैं, लेकिन अल्प सूचना मिलने पर विधायकों को सवाल लगाने का मौका नहीं मिल पाएगा।