नहीं रहे मसाले वाले 'महाशय'

 मसालों के असली शंहशाह,महाशय धरमपाल गुलाटी का सफर 




- नरेंद्र तिवारी (एडवोकेट)

सेंधवा (बड़वानी).  मसाला उद्योग में अग्रणी कम्पनी एमडीएच के मालिक महाशय धरमपाल गुलाटी का देवलोक गमन हो गया है। वे विभाजन के बाद पाकिस्तान के सियालकोट से दिल्ली आए थे। उन्होंने प्रारम्भिक दिनों में दिल्ली की सड़कों पर तांगा भी चलाया फिर मसालों की एक छोटी सी दुकान से दुनियां में मसाला उद्योग का ख्यातनाम चेहरा बनने का मुकाम हासिल किया। एमडीएच मसालों के विज्ञापन में दिखाई देने वाले पगड़ीधारी बुजुर्ग भारतीय मसाला उधोग की पहिचान बन चुके थे। असली मसाले सच-सच के ये 98 वर्षीय चिरयुवा का देवलोकगमन भारतीय उधोग जगत की अपूरणीय क्षति है।
      मसाला किंग के नाम से मशहूर ओर मसालों की ख्यातनाम कम्पनी एमडीएच के मालिक धरमपाल गुलाटी का निधन हो गया है। वे कोरोना वायरस से भी संक्रमित हुए थे। जिससे ठीक होने के कुछ दिन उपरांत 3 दिसम्बर को दिल का दौरा पड़ने के बाद उनका निधन हो गया।



      धरमपाल गुलाटी ने भारत के मसाला उद्योग को राष्ट्रीय ख्याति प्रदान की उनका जीवन संघर्षो की कहानी है। भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद 1947 में पाकिस्तान के सियालकोट से दिल्ली पहुचे धरमपाल के पास कुल जमा 1500/-रु थे जिसमे उन्होंने 650/-रु में घोड़ा ओर तांगा खरीदा ओर दिल्ली में तांगा चलाना शुरू किया कुछ दिन बाद तांगा अपने भाई को देकर करोलबाग के अजमल खां रोड पर मसाले बेचना शुरू कर दिया। उनकी मसाले की दुकान के बारे में जब लोगो को सियालकोट के देगी मिर्च वाले अब दिल्ली में है, पता चला तो उनका कारोबार चल निकला। यहां यह बताना जरूरी है कि श्री गुलाटी स्यालकोट पाकिस्तान के थे। जहां उनका महाशियन दी हट्टी नाम से पारवारिक कारोबार था। जो देगी मिर्च वाले के नाम से मशहूर थे। गुलाटी परिवार ने मसालों की सबसे पहली फैक्ट्री 1959 में देश की राजधानी दिल्ली के कीर्ति नगर में शुरू की थी। उसके बाद करोलबाग में एक ओर फैक्ट्री शुरू की 1960 में एमडीएच करोलबाग में मसालों की सबसे चर्चित दुकान बन गयी।
        जायके से भरपूर एमडीएच मसाले भारतीय घरो में खूब पसंद किए जाने लगे, जिसका कारण इन मसालों में गुणवत्ता का होना रहा है। एमडीएच मसालों के मालिक सेठ धरमपाल की शिक्षा तो महज 5वी कक्षा तक कि थी वे 5 वी फेल थे। पढाई में कमजोर धरमपाल में ईमानदारी, शुध्दता ओर भारतीयता कूट-कूट भरी थी, जो उनकी सफलता का कारण बनी। आरम्भिक समय मे जब जिस चक्की में वह मसाला पिसवाने का कार्य करते थे उन्होंने कुछ मिलाते हुए देख लिया था। वह बेहद दुखी हुए उन्होंने फिर स्वयं की चक्की डालने का फैसला किया।
      एमडीएच के विज्ञापनों में आने वाले मसालों के शंहशाह धरमपाल गुलाटी लम्बे समय तक टेलीविजन की स्क्रीन पर दिखाई देने वाला चर्चित चेहरा बन चुके थे। उनके विज्ञापनों में भारतीयता साफ नजर आती थी। समय के साथ उनका मसाला कारोबार बढ़ता चला गया। एमडीएच मसालों में सबसे बड़ा ब्रांड बन चुका है। जो 50 प्रकार के मसालों का उत्पादन करता है यह सिर्फ भारत मे ही नही दुनियां के अनेको देशो में अपने मसाले बेचता है। दुबई ओर लन्दन में एमडीएच मसाला कम्पनी के बड़े-बड़े ऑफिस स्थित है ।
     भारतीय रसोई में स्वाद, सुंगध ओर जायका देने वाले महाशय धरमपाल की अधिक आयु होने के बाद भी सक्रियता में कोई कमी नही आई थी। उनकी मेहनत ओर परिश्रम से मसालों का कारोबार लगातार बढ़ता चले गया। उन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया है।आईआईएफएल हुरून इंडिया रिच 2020 की सूची में मसालों के शंहशाह धरमपाल गुलाटी  भारत के सबसे बुजुर्ग अमीर की सूची में शामिल थे।
      सामाजिक कार्यो में भी उनकी भूमिका सदैव अग्रणी रही महाशय चुन्नीलाल चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम से 250 बिस्तरों का अस्पताल, गरीब और झुग्गी बस्तियों में मोबाइल हॉस्पिटल का संचालन साथ ही 4 स्कुलो का संचालन भी यह ट्रस्ट करता है।
       भारत के भोजन को अपने मसालों के माध्यम से स्वादिष्ट बनाने वाले मसाला कारोबारी एमडीएच मसालों के मालिक मसालों के शंहशाह हमारे बीच नही रहे उनका देवलोकगमन भारतीय कारोबारी जगत की महत्वपूर्ण क्षति है। एक 98 वर्षीय चिरयुवा उम्र के इस पड़ाव में भी चेहरे पर प्रसन्नता ओर मूंछो पर ताव देते महाशय धरमपाल गुलाटी का जीवन प्रेरणास्त्रोत बन गया है। अपने  कारोबार में अथक परिश्रम, शुध्दता ओर स्वाद के प्रति  सजगता ने उन्हें मसालों का असली शंहशाह बना दिया था। मसालों के असली शंहशाह को भावपूर्ण श्रंद्धाजलि।