पार्टी में टूट के डर से उपचुनाव में भितरघात पर बड़ी कार्रवाई से कतरा रही कांग्रेस


भोपाल.
नवंबर माह में मध्यप्रदेश में संपन्न हुए 28 उपचुनाव में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ रहा है। जिन इलाकों में कांग्रेस की हार हुई है। वहां चुनाव परिणाम के बाद शिकायतों का सिलसिला भी बढ़ गया है। भीतरघात के मामलों को लेकर पार्टी फोरम पर कई शिकायतें की जा रही हैं। भिंड की मेहगांव सीट को लेकर तो पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया गया है। लेकिन दूसरी तरफ मध्यप्रदेश कांग्रेस अनुशासनहीनता और भीतरघात के मामलों में कोई बड़ी कार्रवाई के मूड में नजर नहीं आ रही है। माना जा रहा है कि सख्ती करने पर पार्टी में और भी टूट-फूट हो सकती है, जिसका नुकसान कांग्रेस को ही होगा 28 उपचुनाव के बाद जिन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की हार हुई है। वहां से पार्टी को भीतरघात की शिकायतें मिलना शुरू हो गई है। खासकर भिंड जिले की मेहगांव सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे की हार के बाद वहां की जिला कार्यकारिणी ने पूर्व मंत्री गोविंद सिंह के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर उन्हें पार्टी से निष्कासित करने की मांग की है। इसी तरह सागर जिले की सुरखी विधानसभा में एक ऑडियो वायरल हुआ है, जिसमें कांग्रेस पार्टी के जैसीनगर ब्लॉक के अध्यक्ष भाजपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को बधाई देते हैं और उनके पक्ष में कई कांग्रेसी नेताओं के काम करने की बात कर रहे हैं। इसके अलावा मंदसौर की सुवासरा विधानसभा से भी भीतरघात की शिकायतें आई थी। हालांकि इस मामले में कांग्रेस ने तीन लोगों को पार्टी से बेदखल कर दिया है।

शिकायतों को भी किया अनसुना

इस तरह की शिकायतों को लेकर कांग्रेस का रुख ज्यादा सख्त नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस का मानना है कि जब उप चुनाव का प्रचार-प्रसार चल रहा था, तब इस तरह की शिकायतें ना के बराबर सुनने को मिली। पार्टी द्वारा हर  विधानसभा का पर्यवेक्षक और प्रभारी भी नियुक्त किए गए थे, जो चुनाव आयोग की गाइडलाइन के मद्देनजर मतदान के 24 घंटे पहले तक चुनाव क्षेत्र में रहे हैं और उन्होंने इस तरह की शिकायतें पार्टी से नहीं की हैं। पार्टी का मानना है कि चुनाव परिणाम के बाद इस तरह की शिकायतें और चर्चाएं सुनने को मिलती हैं। लेकिन इस मामले में पूरी जांच पड़ताल के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।

आज एकजुटता पहली प्राथमिकता

उपचुनाव में भीतरघात और दूसरी शिकायतों को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस का रुख सख्ती वाला बिल्कुल नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस के रुख को देखकर लगा रहा है कि कांग्रेस इसलिए सख्ती नहीं करना चाह रही है, क्योंकि इससे पार्टी की एकजुटता पर खतरा बढ़ेगा और गुटबाजी बढ़ सकती है। पार्टी हाल ही में बड़ी बगावत का सामना कर चुकी है और परिस्थितियां ऐसी हैं कि बीजेपी और सिंधिया खेमा लगातार कांग्रेसी नेताओं को तोड़ने की कोशिश कर रहा है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर कांग्रेस संगठन को एकजुट रखने पर ज्यादा फोकस कर रही है ना कि सख्ती दिखाने पर।

शिकायतों पर जांच के बाद होगी कार्रवाई

मध्यप्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कांग्रेस पार्टी में इस बार हमें पूरे विधानसभा चुनाव में कहीं से कोई बड़ी शिकायत नहीं मिली है। केवल एक-दो जगह से इस तरह की शिकायतें आई हैं। उनको संज्ञान में लिया जाएगा और पहले यह देखा जाएगा कि किस वजह से वह बात सामने आई है। क्योंकि चुनाव के दौरान किसी भी उम्मीदवार ने पार्टी फोरम पर कोई बात नहीं रखी थी कि किसी ने उनका विरोध किया है। जब परिणाम आते हैं और परिणाम के बाद जब कार्यकताओं के रुझान आते हैं, तब इस तरह की बातें सामने आती हैं। हम उम्मीदवारों के लगातार संपर्क में थे। हर विधानसभा में हमारे पर्यवेक्षक थे और चुनाव आयोग की गाइडलाइन के हिसाब से एक दिन पहले विधानसभा क्षेत्र को छोड़ा। जिन इलाकों से शिकायतें आई है। उसमें काफी वरिष्ठ पदाधिकारी प्रभारी के रूप में काम कर रहे थे और लगभग पूरे समय वही रहे हैं। कहीं से कोई बात आती है, तो प्रदेश अध्यक्ष उनसे चर्चा करेंगे कि चुनाव के दौरान भी इस तरह की बात सामने आई थी या बाद में कुछ लोगों ने अलग से शिकायत दर्ज कराई है। पूरे प्रदेश में कांग्रेस पार्टी एकजुट होकर चुनाव लड़ा है। कहीं से कोई इस तरह की बातें सामने नहीं आई है।