भोपाल. मौजूदा वित्तीय वर्ष में अंशपूंजी की कमी से जूझ रहे सहकारी बैंकों के लिए राहत की खबर है। अब सहकारी बैंकों के लिए राज्य सरकार अंशपूंजी का प्रावधान करने जा रही है। इस संबंध में सहकारिता विभाग ने वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में अंशपूंजी के लिए एक हजार करोड़ रुपए की मांग की गई है। इस प्रस्ताव के आधार पर संभावना जताई जा रही है कि अंशपूंजी के लिए वित्त विभाग कम से कम 500 करोड़ रुपए का प्रावधान करेगी। मौजूदा वित्तीय वर्ष में सहकारी बैंक लगातार आर्थिक संकट से जूझते रहे। सहकारी बैंकों को अंशपूंजी के लिए इस वर्ष कम से कम एक हजार करोड़ रुपये की जरूरत थी, लेकिन राज्य सरकार ने इतनी पूंजी की व्यवस्था नहीं की। इससे सहकारी बैंकों को आने वाले समय में परिचालन के लिए वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा।
सहकारी बैंकों के संचालन के लिये उन्हें अंशपूंजी राज्य सरकार ही उपलब्ध कराती है, लेकिन इस बार राज्य सरकार ने राशि का प्रावधान नहीं किया। केवल मद को बनाये रखने के लिये तीन हजार रुपये का बंदोबस्त किया गया था। पिछली सरकार ने अंशपूंजी के लिए एक हजार करोड़ रुपये का इंतजाम किया था, लेकिन इस बार पूरी तरह उपेक्षा की गई। कोरोना के कारण सरकार की आमदनी पर पड़े असर के चलते विभाग के बजट में पिछले वर्ष के मुकाबले 1880 करोड़ रुपये से अधिक की कमी कर दी गई थी। इसका सबसे ज्यादा असर सहकारी बैंको की अंशपूंजी के लिये मिलने वाली राशि पर पड़ा। राज्य सरकार ने किसानों को दिये जाने वाले अल्पकालिक ऋण के लिए भी राशि में कटौती कर दी थी। पिछले वर्ष विभाग के लिये बजट में 2583 करोड़ 86 लाख 83 हजार रुपये का इंतजाम किया गया था, लेकिन इस बार 70 फीसदी से अधिक कटौती कर दी गई। इस बार मात्र 703 करोड़ 39 लाख 14 हजार रुपये का ही प्रावधान किया गया।
अल्पकालिक ऋण पर भी पड़ा असर
विभाग की कमोबेश सभी योजना पर ही पैसों की तंगी का असर रखा। सहकारी बैंकों के माध्यम से किसानों को अल्पकालिक ऋण पर ब्याज अनुदान के लिये मात्र 225 करोड़ रुपये का ही प्रावधान किया गया, वही पिछले वर्ष 699.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। राज्य सरकार प्रदेश के किसानों को शून्य फीसदी ब्याज पर अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराती है। अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराने पर ब्याज की राशि की भरपाई सहकारी बैंकों को की जाती है, लेकिन इस बार सहकारी बैंकों को ब्याज की भरपाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ा इस मद में सरकार को 700 करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत होती है, लेकिन पर्याप्त बजट प्रावधान नहीं होने से सरकारी बैंकों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा। सरकार द्वारा किसानों को जीरो प्रतिशत पर अल्पकालिक ऋण देने की योजना इन बैंकों के लिये फायदेमंद है। यह इसलिये कि ब्याज अनुदान की राशि सरकार की ओर से समय पर मिल जाती है। हालाकि किसान बड़ी राशि समय पर बैंको को नहीं चुका पाते इस कारण ऐसे किसानों से सामान्य ब्याज दर पर वसूली में दिक्कतो का सामना करना पड़ा। इसी तरह प्राकृतिक आपदा की स्थिति बनने या फिर फसलों को नुकसान होने की स्थिति में राज्य सरकार कई बार अल्पकालिक ऋण की वसूली को कुछ समय के लिये स्थगित भी कर देती है। इसके लिये राज्य सरकार अल्पकालिक ऋण को मध्यकालीक ऋण में बदल देती है। इससे किसानों को राहत मिल जाती है। पिछले 94 करोड़ 57 लाख रुपये की व्यवस्था की गई थी। इस बार इसमें मामूली बढ़ोतरी कर 96 करोड़ 70 लाख रुपये करने से ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा।