सीएम के निर्देशों पर कितना अमल किया कलेक्टरों से मांगी रिपोर्ट

भोपाल. मप्र को तीन वर्षों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोडमैप जारी करने के बाद राज्य सरकार अब पूरी तरह एक्शन मोड में आ गई है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने मंत्रालय के सभी आला अफसरों के साथ ही कमिश्नर, कलेक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर अपनी प्राथमिकताएं गिनाई थी और उन्हें तत्काल अमल में लाने के निर्देश दिए थे। अब सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभाग प्रमुखों, कमिश्नर और कलेक्टरों को पत्र लिखकर पालन प्रतिवेदन मांग लिया है। यह पालन प्रतिवेदन देने के लिए 4 दिसंबर तक का समय दिया गया है, इससे प्रशासनिक क्षेत्र में बेचैनी की स्थिति बन गई है।


दरअसल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 13 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर अपनी प्राथमिकताएं गिनाई थी। इसमें उन्होंने प्राथमिकता के सभी विषयों को शामिल किया था। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता का कल्याण और उनका भविष्य बेहतर बनाने के लिए निर्देश दिए थे। उन्होंने इसके लिए किसी भी तरह के नवाचार की नसीहत दी थी। उन्होंने यह भी ताकीद किया था कि इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को मासिक लक्ष्य तय करने के निर्देश दिए थे, जिससे कि मन को देश का नंबर वन राज्य बनाया जा सके। मुख्यमंत्री ने सबसे पहले खरीफ उपार्जन की स्थिति की समीक्षा करते हुए सीमावर्ती जिलों से प्रदेश में धान सहित अन्य उपज को बेचने के लिए मप्र लाने के चलन पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने धान खरीदी में स्व सहायता समूहों का सहयोग लेने के निर्देश भी दिए थे। इन निर्देशों पर कितना अमल किया गया, इसकी रिपोर्ट कलेक्टरों के साथ ही खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को देना है। इधर मुख्यमंत्री ने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के दौरान मैदानी अफसरों को फ्री हैंड दे दिया था। उन्होंने कानून -व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए फ्री-हैंड से काम करने के आदेश दिए थे। इसी क्रम में भू-माफिया, राशन माफिया सहित अन्य ऐसे माफिया जो कि समाज में भय का माहौल पैदा करते हैं, उन सभी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उन्होंने आला अफसरों को कानून - व्यवस्था की स्थिति की लगातार समीक्षा करने भी कहा था। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद इन पर कितना अमल हुआ, प्रदेश में किस तरह की कार्रवाई हुई। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय द्वारा पालन प्रतिवेदन दिया जाना है, जो कि अब तक नहीं मिला है। मुख्यमंत्री ने कानून - व्यवस्था की स्थिति की हर सप्ताह समीक्षा करने के भी निर्देश भी दिए थे। वैध रेत ठेकेदारों को संरक्षण प्रदान करने और अवैध रेत का कारोबार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी बात कही थी। इसी क्रम में उन्होंने चिटफंड चलाने वाली कंपनियों पर भी सख्ती दिखाई थी, लेकिन अब तक प्रदेश स्तर पर कार्रवाई का ब्यौरा राज्य सरकार को नहीं मिला है। प्रदेश में मिलावटखोरी की समस्या बड़ी समस्या है। इसे लेकर भी मुख्यमंत्री ने बेहद गंभीरता दिखाई थी। उन्होंने इसे लेकर रासुका की कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए थे। उन्होंने न सिर्फ कानूनी कार्रवाई करने बल्कि उनकी आर्थिक रूप से कमर तोड़ने की भी बात कही थी। नकली वस्तु बनाने वालों की जानकारी हासिल करने के लिए उन्होंने नागरिकों का सहयोग लेने और उनका नाम गुप्त रखने के साथ ही जानकारी देने वालों को पुरस्कृत करने के भी निर्देश दिए थे, लेकिन इन निर्देशों पर कितना अमल हुआ, यह जानकारी भी अब तक शासन स्तर तक नहीं पहुंची है। वर्चुअल बैठक में नवीन पात्रता पर्ची धारी लोगों को राशन देने के निर्देश भी दिए गए थे। इधर लॉकडाउन के दौरान पथकर विक्रताओं की दयनीय हालात होने पर उन्हें 10 हजार रुपए का लोन बिना ब्याज के देने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया था। यह काम बेहद प्राथमिकता के साथ किया गया था। प्रदेश में बड़ी संख्या में पथकर विक्रताओं को इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन किया गया था जिस अनुपात में रजिस्ट्रेशन किया गया है, उस अनुपात में उनके बैंकों से ऋण के प्रकरण स्वीकत नहीं हो पा रहे हैं। यह राज्य सरकार की बड़ी चिंता है। इसे देखते हुए ही मुख्यमंत्री ने इस काम में तेजी लाने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक यह जानकारी भी नहीं मिल सकी है।