राज्य सरकार ने दी केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर सहमति

जीएसटी से नुकसान की भरपाई कर्ज लेकर करेगी सरकार



भोपाल. केंद्र सरकार ने मप्र सरकार को अब जीएसटी कॉम्पन्सेशन की पूरी भरपाई से साफ इंकार कर दिया है। इन नुकसान की भरपाई के लिए अब राज्य सरकार सीधे केंद्र सरकार से बैर लेने के मूड में नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। अब राज्य सरकार जीएसटी कॉम्पन्सेशन की भरपाई कर्ज लेकर करेगी। राहत की बात यह है कि यह कर्ज बगैर ब्याज का होगा। यानी राज्य सरकार को इस कर्ज के लिए कोई ब्याज नहीं चुकाना होगा। सामान्य तौर पर बाजार से कर्ज लेने पर लगभग 6.50 फीसदी के आसपास ब्याज चुकाना होता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं होगा। राज्य सरकार की गणना के हिसाब से केंद्र सरकार ने मन को ब्याज मुक्त कर्ज की सीमा भी तय कर दी है। मप्र अधिकतम 4542 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लोन ले सकेगा। केंद्र सरकार ने पहले ही राज्यों की कर्ज लेने की सीमा को जीएसडीपी के 3.50 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी कर दिया है। 5 फीसदी केवल एक वित्तीय वर्ष के लिए किया है। इससे मप्र की कर्ज लेने की क्षमता में जबर्दस्त इजाफा हो गया है। मप्र अब जीएसडीपी के अनुपात के हिसाब से एक वर्ष की अवधि में ही लगभग 42 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले सकता है। ब्याज मुक्त लोन की राशि अतिरिक्त है। कोरोना काल में आर्थिक संकट से राज्य के साथ ही केंद्र सरकार भी जूझ रही है। इस कारण जीएसटी से होने वाली आय भी कम हो गई है। इसे देखते हुए ही केंद्र सरकार ने राज्य को जीएसटी कॉम्पन्सेशन की पूरी भरपाई नहीं कर पाने के एवज में ब्याजमुक्त कैपिटल लोन लेने का प्रस्ताव दिया था।


14 फीसदी से कम जीएसटी पर नुकसान की की भरपाई नहीं कर पा रही केंद्र सरकार


देश में जब से जीएसटी कानून प्रभावी हुआ, तब से केंद्र सरकार ने राज्यों को आश्वस्त किया था कि राज्यों को यदि 14 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी उनके राजस्व में नहीं होती है तो उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को 89710 14 फीसदी से कम आमदनी पर केंद्र सरकार ने भरपाई की, लेकिन कोरोना काल में अब इस राशि का भगतान करना केंद्र को अखर रहा है। यह इसलिये कि राज्यों के साथ केंद्र की भी आमदनी पर विपरीत असर पड़ा है। इस कारण राज्यों को जीएसटी से होने वाले नकसान की भरपाई करने में केंद्र सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में पहले ही आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे राज्यों की की मुसीबत और बढ़ सकती थी। इसी को देखते हए केंद्र सरकार ने राज्यों के सामने ब्याज मुक्त कैपिटल लोन लेने का प्रस्ताव किया था। इसमें राज्यों के लिए केंद्र सरकार कर्ज लेगी और राज्यों को वह राशि देगी। इसके लिए राज्यों को केवल मूलधन हो चुकाना होगा, ब्याज की भरपाई नहीं करेगी। केंद्र सरकार द्वारा तय की गई व्यवस्था के हिसाब से यह राशि राज्यों को बतौर कर्ज के रूप में दी जाना थी। इससे दोहरा फायदा हुआ। एक तो केंद्र सरकार पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ा। यह इसलिए कि जीएसटी से होने वाले नुकसान के एवज में ब्याजमुक्त कर्ज राज्यों को दे दिया. उससे केंद्र पर अतिरिक्त कर्ज का बोझ नहीं बढ़ा, वहीं दूसरी तरफ राज्यों को बिना ब्याज के ही यह राशि मिलना तय हो गई । राज्य को केवल मूलधन ही चुकाना है। यह राज्य और केंद्र दोनों के लिए ही फायदे का सौदा था। लिहाजा मप्र ने इस पर सहमति दे दी है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह मामला प्रमुखता से आया था। इधर केंद्र सरकार को भी इस बात से राहत मिल गई है कि राज्य को जीएसटी से होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं करना पड़ेगी। अब मप्र को केंद्र सरकार से 4542 करोड़ रुपये ब्याज मुक्त कैपिटल लोन मिल सकेगा। मध्यप्रदेश देश के शुरुआती राज्यों में शामिल है, जिसने केंद्र सरकार के प्रस्ताव के साथ कदमताल कर उसे भी राहत दी है। इसका फायदा भी मिला है। पहले तो इसके तहत 4056 करोड़ रुपये ही मिल रहे थे, लेकिन उसे 486 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फायदा मिलेगा। केंद्र सरकार से इतनी राशि अब ज्यादा मिल सकेगी। इसी स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने अब कर्ज लेने की रफ्तार बढ़ा दी है। अब प्रतिमाह तीन से चार हजार करोड़ रुपए तक कर्ज लिया जा रहा है। आने वाले माह में इसमें और तेजी आएगी। अब नवंबर को छोड़ दें तो वित्तीय वर्ष के मात्र चार माह ही बाकी हैं।