प्रदेश कांग्रेस का कलेवर बदलेंगे कमल नाथ


भोपाल. मप्र विधानसभा की 28 सीटों पर हुए उपचुनाव के नजीतों ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को आइना दिखाया है। सबसे ज्यादा सदमा कांग्रेस को लगा है। 2018 के चुनाव में निर्दलीय के सहयोग से सत्ता प्राप्त करने वाली कांग्रेस सरकार को नहीं बचा सकी। कमल नाथ के कंधों पर सत्ता और संगठन का बोझ था, लेकिन वह दोनों की पदों के साथ न्याय नहीं कर पाए और अब जबकि उपचुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा तो कांग्रेस मप्र में बदलाव करने की सोच रही है। कमल नाथ अपनी टीम को बदलना चाहते है और अब पीसीसी की टीम में वहीं होगा तो भाजपा के गढ़ में सेंधमारी कर सके। उपचुनाव में कांग्रेस ने सिंधिया के गढ़ में सेंध लगा दी है। 28 सीटों के उपचुनाव में ग्वालियर- चंबल की कई सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है और अब भाजपा के गढ़ कांग्रेस के निशाने पर हैं। कमल नाथ की टीम गोपनीय तरीके से भाजपा के अभेद किलों को गिराने का प्लान बना रही है। 2018 और उसके बाद 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपना गढ़ बचाने की थी। अब 2023 के चुनाव में दोनों ही सियासी दल एक-दूसरे के प्रभाव वाले इलाकों में अपनी पैठ मजबूत करने की तैयारी में हैं। आगामी चुनाव में भले ही तीन साल का समय हो, लेकिन अभी से लॉन्ग टर्म प्लान के तहत भाजपा और कांग्रेस एक- दूसरे को कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव होने में भले ही अभी तीन साल का समय बाकी है, लेकिन कांग्रेस-भाजपा ने अभी से एक-दूसरे की घेराबंदी का प्लान बनाना शुरू कर दिया है। 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस गोपनीय तरीके से भाजपा का गढ़ भेदने की प्लानिंग में जुट गई हैं। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने भी अपने विधानसभा क्षेत्र पर फोकस करना शुरू कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और मीडिया विभाग के प्रमुख होने केनाते अपनी जिम्मेदारियों को संभालने के साथ जीत पटवारी अपने विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहे हैं। सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के विधायक कि नहीं निर्दलीय विधायक भी 2023 के चनाव के टेंशन में हैं और निर्दलीय विधायकों ने भी चुनाव के तीन साल पहले अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने विधानसभा में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए बूथ स्तर पर टीम तैयार करना शुरू कर दिया है। सुरेंद्र सिंह शेरा का कहना है कि उन्होंने अगले 3 साल का रोड मैप तैयार किया है। स्थानीय मुद्दों पर जनता की शिकायतों का समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं।


मेहनती और युवाओं को मिलेगा मौका


इस टीम में वरिष्ठ विधायकों को भी शामिल किया जाएगा। साथ ही 2018 का चुनाव हारे वरिष्ठ नेताओं को भी इसमें मौका मिलेगा। जिन विधानसभा प्रभारी पूर्व मंत्रियों ने उपचुनाव में मेहनत की है उनको भी कमल नाथ अपनी टीम में शामिल करेंगे। इसके अलावा कांग्रेस कांगे्रस के जो आगे रहने वाले संगठन और प्रकोष्ठ है, उनकी जिम्मेदारी भी युवा नेताओं को दी जाएगी। कमल नाथ ने अपनी टीम टीम का खाका दिल्ली में ही खंच लिया है। इस संबंध में उनकी बात पार्टी हाईकमान समेत प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक और अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी हो चुकी है।


निकाय चुनाव में जीत का जिम्मा


नई टीम का गठन कर कमल नाथ अभी से निकाय चुनाव का जिम्मा नेताओं को सौंप देगे। 16 नगर निगम को जिम्मेदारी भी विधानसभा उपचुनाव की तरह एक-एक प्रभारी बनाकर दी जाएगी। इसके अलावा उन गर निगम के विधायकों को भी इसके लिए तैनात किया जाएगा। नगरीय निकाय के लिए एक-एक टीम बनाकर अभी से चुनाव की तैयारियों में जुटने के निर्देश दिए जाएंगे।


उपचुनाव जीतने वाले विधायकों को मिलेगी जिम्मेदारी


प्रदेश कांग्रेस  अध्यक्ष कमल नाथ का फोकस अब संगठन को मजबूत करने पर है। दिल्ली से लौटे कमल नाथ ने इस पर काम करना शुरु कर दिया है। कमल नाथ ने पार्टी नेताओं से मुलाकात कर इस संबंध में चर्चा की। कांग्रेस की नई वेग में युवा और अनुभव दोनो तह के नेताओं को मौका दिया जाएगा। कमलनाथ की ये टीम 2023 के विधानसभा चुनाव को लक्ष्य रखकर बनाई जा रही है। यही कारण है कि इस टीम को छोटा और मजबूत बनाने पर जोर दिया गया है। कमलनाथ की नई टीम में उपचुनाव जीते विधायकों को भी विशेष जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। कमलनाथ को नई टीम में उपवनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाले विधानसभा प्रभारी, विधायक,पूर्व विधायकों को मौका दिया जाएगा। इनके अलावा उपचुनाव में जीत हासिल कर कांग्रेस की लाज बचाने वाले विधायकों को भी विशेष जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इन विधायकों में पांच विधायक ऐसे हैं, जो दूसरे दलों से कांग्रेस में शामिल हुए है, लेकिन जीत हासिल कर पार्टी की इज्जत बचाने में कामयाब रहे। इन विधायकों में मेवाराम जाटव प्रागीलाल जात्य, विपिन वनखेड़े, सतीश सिकरवार, रविंद्र सिंह, सुरेश राजे, अजय सिंह कुशवाह, रामचंद्र दांगी और राकेश मावई शामिल हैं।