लव जिहाद बना कांग्रेस के लिए गले की हड्डी


भोपाल. मप्र में 28 सीटों के लिए हुए उपचुनाव के बाद अब भाजपा का फोकस अब नगरीय और पंचायत चुनाव पर है। निकाय चुनाव से पहले भाजपा ने लव जिहाद का मुद्दा छेड़कर अपनी तैयारी बता दी है। भाजपा सरकार आगामी विधानसभा सत्र में लव जिहाद विधेयक लाने की तैयारी कर रही है, वहीं इस विधेयक को लेकर कांग्रेस अपना स्टैंड अभी तक स्पष्ट नहीं कर सकी है। यह विधेयक कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बन गया है। इसका विरोध और समर्थन दोनों कांग्रेस को नगरीय निकाय चुनाव में भारी पड़ सकता है। नगरीय निकाय चुनाव से पहले सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेलकर भाजपा ने कांग्रेस को निरुत्तर कर दिया है। लव जिहाद मामले में अब तक तोल-मोल कर बोल रही कांग्रेस अपना रुख अभी तक तय नहीं कर पाई है। कांग्रेस का लीगल सेल लव जिहाद के खिलाफ तैयार हुए ड्राफ्ट पर आपत्ति जता रहा है। कांग्रेस नेता जेपी धनोपिया 1968 में बने पुराने कानून के होते हए नए कानुन बनाने पर आपत्ति जता रहे हैं तो वहीं पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि विधानसभा में गुण दोष के आधार पर लव जिहाद से जुड़े मसौदे पर विपक्ष फैसला लेगा। शर्मा ने लव जिहाद कानून के नाम पर माहौल बनाने का आरोप भाजपा सरकार पर लगाया है। उनका कहना है कि प्रदेश में लव जिहाद से ज्यादा गरीब किसान और बेरोजगारों से जुड़े मुद्दों के समाधान की जरूरत है। लव जिहाद का माहौल बना रही भाजपा दूसरे मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। बात भोपाल की करें तो पुराने शहर में इसका लाभ सीधे तौर पर भाजपा को मिलेगा। नए भोपाल में भी अनेकों ऐसे प्रकरण है, जो लव जिहाद के दायरे में है। हिन्दूवासी संगठन इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस नेता इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। पीसीसी चीफ कमल नाथ द्वारा लिए जाने स्टैंड के बाद ही कांग्रेस नेता कह पाएंगे।


घिर गई कांग्रेस


लव जिहाद पर भाजपा नेता हर दिन एक नया बयान देकर इस मामले को गरमाने की कोशिश में लगे हैं, ताकि कानून के मूर्त रूप लेने से पहले उसके मसौदे को पूरे प्रदेश में प्रचारित किया जा सके,लेकिन अब नजरें विधानसभा में पेश होने वाले विधेयक पर हैं। सत्ता पक्ष के इस कदम पर विपक्ष कांग्रेस का क्या रवैया होता है। कांग्रेस समर्थन करती है या विरोध करती है, क्योंकि विधानसभा में गसौंदे पर मुहर लगना तय माना जा रहा है। यदि विपक्ष के नात कांग्रेस का पूरा समर्थन करती है तो भाजपा इसका पूरा क्रेडिट नहीं ले सकेगी। साथ ही उसका वोट बैंक खिसकने का भी डर है लेकिन विपक्ष यदि विधानसभा में इसका विरोध करता है तो कांग्रेस को घेरने का एक और गौका भाजपा को गिल जाएगा।


कांग्रेस की अपील


जिस विधायक की बात भाजपा सरकार कर रही है, उस तरीके के विधेयक पर पहले ही कानून बन चुका है। वह कानून 1968 के दौरान बना था। अब कांग्रेस यह सवाल कर रही है कि इस कानून के तहत कितने केस दर्ज हुए कितने आरोपी बनाए गए। इस कानून से जुड़े सभी तत्वों को सरकार को उजागर करना चाहिए। 1968 के कानून के दौरान 2 साल की सजा का प्रावधान था और थाने से जमानत मिल जाती थी। इसके अलावा धर्मांतरण को लेकर भी कलेक्टर को जानकारी नहीं दी जाती थी।