डंक मारते यू-ट्यूब पत्रकारों से कई व्यापारी हलकान



जगदीश जोशी 'प्रचंड'
इंदौर. अण्डरकवर जर्नलिज्म यानी स्टिंग ऑपरेशन के नाम पर इंदौर में फर्जी पत्रकार गैंग की वसूली का दौर निरंतर चल रहा है। अखबारों, अलंकार, अनुप्रास और शब्दों के जाल से कोसों दूर इस गैंग ने अलग-अलग नाम से कई तरह के यू-ट्यूब चैनल बना रखे हैं, जिस पर केवल और केवल स्टिंग ऑपरेशन कर बद्नीयति से वीडियो लोड किया जाता है, उसके बाद वसूली का खेल शुरू हो जाता है। जिसमें एक से अधिक लोग मिलकर इस वसूली के षड्यंत्र को अंजाम देते हैं। 
    वसूली का यह गोरख धंधा शहर के कई फर्जी पत्रकार, जिन्हें कलम पकडऩा तक नहीं आती वे सवेरे से शिकार की तलाश में निकल पड़ते हैं। 'सच एक्सप्रेस' के पास ऐसे कई यू-ट्यूब कथित पत्रकारों की शिकायत मिली हैं, जो समय-समय पर वसूली को लेकर कई स्टिंग ऑपरेशनों के माध्यम से व्यापारियों से अच्छाखासा पैसा ऐंठ चुके हैं। ऐसी घटनाओं के बाद यह सवाल जरूर उठने लगे हैं कि चैनल का स्टिंग ऑपरेशन करने वाला विंंग यानी एसआईटी का उद्देश्य आखिर होता क्या है?, क्या धन की उगाही करना? इन कथित यू-ट्यूब पत्रकारों के खिलाफ मिली शिकायत पर यदि गौर किया जाता तो यह सामने आता है कि सच को दिखाने का दावा करने वाली इस वसूली गैंग का मकसद केवल धन उगाना है। जहां तक पुलिस प्रशासन की बात की जाए तो एक मोबाइल और आईडी के सम्मान में वह इस लुटेरी गैंग से पूछताछ करने में भयभीत होती है। 
    स्टिंग ऑपरेशन को घात पत्रकारिता या डंक पत्रकारिता भी कहा गया है। दरअसल घात पत्रकारिता खोजी पत्रकारिता की कोख से ही निकली है, लेकिन इस तरह की गैंग स्टिंग ऑपरेशन के नाम पर वसूली को अंजाम दे रही हैं। इन ऑपरेशनों में बड़े व्यापारियों को पुख्ता सबूतों के साथ फंसा लिया जाता है और उसके बाद सोशल मीडिया पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इमेज डालकर वसूली का खेल खेला जाता है। फर्जी पत्रकार कहें या मार्केट माफिया इस तरह की गैंग विज्ञापनों के खेल में भी लाखों के वारे-न्यारे करती है। इनमें ऐसे कई यू-ट्यूब चैनल संचालक भी हैं, जो कई मर्तबा कानून के हाथों में आ चुके हैं, लेकिन कभी सन्नाटा, मिर्ची, तड़का, बुलंब आवाज, बंदरबांट जैसे अलग-अलग नामों से फिर यू-ट्यूब पर अपना खाता खोलकर दोबारा वसूली की दुकान शुरू कर देते हैं। हालांकि साइबर सेल के वरिष्ठ अधिकारी इस तरह के फर्जीवाड़ा और वसूली करने वाले यू-ट्यूब चैनलों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। 
    उल्लेखनीय है कि राजस्थान के बीकानेर कलेक्टर ने इस तरह के स्टिंग ऑपरेशन को लेकर कड़े नियम की दरकार करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखा था। उसके बाद राजस्थान सरकार ने इस तरह के फर्जी यू-ट्यूब पत्रकारों पर शिकंजा कसने की कार्रवाई शुरू की थी।  
इंदौर शहर में इस तरह के यू-ट्यूब पत्रकारों की बाढ़ आई हुई है। इन यू-ट्यूब पत्रकारों के पास किसी भी तरह के दैनिक या साप्ताहिक अखबार का आरएनआई नहीं है और न ही ये फर्जी पत्रकार शहर की मुख्यधारा की पत्रकारिता में सक्रिय हैं। इनकी सक्रियता इंदौर महानगर के बड़े व्यापारियों के अलावा टैक्स चोरी करने वालों पर बनी रहती है, जिनका स्टिंग ऑपरेशन कर 'समन्वय राशि' की जुगाड़ में पूरी टीम लग जाती है। कुछ मामलों में व्यापारी डर से सेटिंग कर लेता है, तो कुछ मामलों में शिकायत पुलिस की चौखट तक पहुंच जाती है। कई मामलों में इन यू-ट्यूब फर्जी पत्रकारों को मानहानि के नोटिस भी जा चुके हैं।
बहरहाल डंक पत्रकारिता से ये यू-ट्यूब चैनल वाले पत्रकारिता के पवित्र पेशे को बदनाम करने में लगे हुए हैं। इस पर सायबर सेल शिकायतों के आधार पर शीघ्र कार्रवाई करने का कदम उठाना चाहिए।