माता लक्ष्मी का वह मंदिर बेलवन में स्थित है। बेलवन वृंदावन से यमुना पार मांट की ओर जाने वाले रास्ते में आता है। यह मंदिर काफी पुराना और प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस जगह पर पहले बेल के पेड़ों का घना जंगल था। इसीलिए इसे बेलवन के नाम से जाना जाता है। इन जंगलों में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम अपने मित्रों के साथ गइया चराने आते थे और इन्हीं जंगलों के बीच स्थित है मां लक्ष्मी का यह प्रसिद्ध मंदिर। कथा मिलती है कि एक बार ब्रज में श्रीकृष्ण राधा और 16,108 गोपियों के साथ रासलीला कर रहे थे। माना जाता है कि मां लक्ष्मी को भी भगवान श्रीकृष्ण की इस रासलीला के दर्शन करने की इच्छा हुई। इसके लिए वह सीधे ब्रज जा पहुंची। लेकिन गोपिकाओं के अलावा किसी अन्य को इस रासलीला को देखने के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं थी। ऐसे में उन्हें रोक दिया गया। इसके बाद वह नाराज होकर वृंदावन की ओर मुख करके बैठ गई और तपस्या करने लगी। कहते हैं कि जब माता लक्ष्मी तपस्या करने बैठी थीं तो उस समय श्रीकृष्ण रासलीला करके थक चुके थे और मां लक्ष्मी से उन्होंने भूख लगने की बात कही। ऐसे में मां लक्ष्मी ने अपनी साड़ी का हिस्सा फाड़कर उससे अग्नि प्रज्ज्वलित की और उन्हें अपने हाथ से खिचड़ी बनाकर खिलाई। इसे देख श्रीकृष्ण प्रसन्न हो गए। इसी दौरान मां लक्ष्मी ने उनसे ब्रज में रहने की इच्छा जताई। इस पर श्रीकष्ण ने उन्हें अनुमति दे दी। मान्यताओं के अनुसार यह किस्सा पौष माह का है। इसलिए यहां हर पौष माह में बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि माता लक्ष्मी आज भी यहां कन्हैया की पूजा कर रही हैं।
ब्रज में रहने की मां लक्ष्मी की इच्छा को कृष्ण ने किया पूरा