प्रदेशभर में फैली सिंधिया समर्थकों की फौज को स्पेशल ट्रीटमेंट की आस
भोपाल. मध्यप्रदेश में व्यापक स्तर पर दल बदल के बाद बीजेपी में आंतरिक हलचल का दौर जारी है। जैसा कि पहले कयास लगाया जा रहे थे, कि सिंधिया के साथ बीजेपी में आए हजारों कांग्रेसियों को एडजस्ट करना सत्तारूढ़ पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा, कमोवेश वैसे ही हालात अभी नजर आ रहे हैं। शिवराज सिंह द्वारा कैबिनेट विस्तार को फौरी तौर पर टालना और व्यापक स्तर पर मंथन के बाद टीम वीडी का फाइनल न हो पाना इसी तरफ संकेत कर रहा है। आलम कुछ यह हो गया है, कि खुद बीजेपी के लिए यह चुनौती सिरदर्द साबित हो रही है और वह ज्योतिरादित्य सिंधिया से को-ऑपरेट करने की मांग कर रहे हैं।
किस बात पर फंस रहा है पेंच?
सिंधिया के साथ बीजेपी के दिगजों के दबाव के चलते शिवराज सिंह ने तो मंत्रिमंडल विस्तार को टाल दिया है, लेकिन इस वक्त बीजेपी कार्यकारिणी के गठन में होती एक एक दिन की देवी पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रही है और इस विस्तार के पीछे अगर कोई पेंव है तो वे ज्योतिरादित्य सिंधिया। दरअसल उपचुनाव के बीच बीजेपी ने महामत्रियों की नियुक्ति कर दी थी, उस दौरान सिधिया खेमे को किसी तरह की तरजीह नहीं दी गई. लेकिन उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद सिंधिया पूरा हिसाब करने के मूड में है और उपाध्यक्ष पद पर अपनों को एडजस्ट करने की कोशिश में लगे हुए हैं। सिंधिया ने इसके लिए तीन नाम आगे भी बढ़ा दिए हैं और उनका कहना है, कि मीडिया पेनलिस्ट के अलावा इन तीन नामों को सम्मानजनक पद दिया जाए।
केंद्रीय नेतृत्व सिंधिया के पक्ष में
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया में काफी पोटेंशियल है। महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलना, प्रदेश और कर्नाटक के चुनाव में ज्योतिरादित्व सिंधिया का उपयोग करना है। इसलिए सबसे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को व्यवस्थित किया जाए। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश से फिलहाल छह मंत्री हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री पद देना है या फिर संगठन में कोई प्रमुख पद इस पर फैसला नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि सबसे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया का फैसला होगा उसके बाद उनके समर्थकों के बारे में विचार किया जाएगा।
सत्ता-संगठन में नियुक्ति की बाट जोह रहे समर्थक
कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने और भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाने में प्रदेश भर में फैली सिंधिया समर्शकों की फौज कारगर साबित हुई है। अब इस फौज को आस है कि भाजपा संगठन और सरकार में उसे स्पेशल ट्रीटमेंट अवश्य मिलेगा। एक ओर जहां सिंधिया समर्थक संगठन में उच्च पदों की आस लगाए बैठे है, वहीं कई दिग्गज सरकार के नियम मंडलों व अन्य मलाईदार पदों पर नियुक्ति की बाट जोह रहे हैं।
खाटी संघी भाजपा नेता हो सकते हैं उपेक्षित
दरअसल सिंधिया का कहना है कि हाटपिपल्या विधायक मनोज चौधरी, भांडेर विधावक रक्षा संतराम और पंकज चतुर्वेदी को संगठन में सम्माजनक पद पर एडजस्ट किया जाए। महामंत्रियों की नियुक्ति के बाद अब संगठन में सम्मानजनक पद के नाम पर सिर्फ उपाध्यक्ष पद ही रह गया है, जिसके लिए भी बीजेपी के दर्जनों दावेदार तैयार बैठे हैं। खबर तो यह भी है कि मंत्री पद के कई दावेदारों को भी बीजेपी उपाध्यक्ष ही बनाएगी और अगर सिंधिया समर्थक चेहरों को इस पोस्ट पर एडजस्ट किया जाता है, कि तो एक बार फिर बीजेपी के खांटी नेता उपेक्षित रह सकते हैं। हालाकि बीजेपी इन तीन चेहरों को संगठन में एडजस्ट करने की बात तो मान गई है, लेकिन अब कह उनकी जिम्मेदारियों को लेकर मंथन कर रही है। जिससे पार्टी के अन्य नेता भी सम्मानजनक पद पर काबिज ले सकें। इसके लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया से पार्टी के साथ को-ऑपरेट करने की मांग की गई है।