75 हजार करोड़ के घोटाले की खुलेंगी परतें


भोपाल. ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच जल्द ही पटरी पर आने वाली है। कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी)को टेम्परिंग की टेक्निकल रिपोर्ट ली जाएगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद 75 हजार करोड़ रुपए के 32 टेंडरों की परतें खुलेंगी। ईओडब्ल्यू ने टेंडर टेम्परिंग के 9 मामलों की हार्डडिस्क को जांच के लिए सीईआरटी को भेजा था। इनमें तीन टेंडर में टेम्परिंग पर संबंधित कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। तीन टेम्परिंग के मामले छोड़कर बाकी छह टेंडर ऐसे थे, जिनकी तकनीकी जांच में तथ्यों की कमी पाई गई थी। इसकी दोबारा जांच के लिए सीईआरटी के दो अफसरों की टीम फरवरी में भोपाल आई थी। इन्होंने संदिग्ध छह टेंडरों के रिकॉर्ड खंगाले। प्राभिक जांच में पोर्टल में छेड़छाड़ के तथ्य मिले हैं, तभी से ईओडब्ल्यू को सीईआरटी की इस टेंडरों में टेमिकल रिपोर्ट का इंतजार है। सीईआरटी ने अगले सप्ताह सभी टेंडरों की तकनीकी जांच रिपोर्ट भेजना का आश्वासन दिया है। उल्लेखनीय है कि 8 माह से कोरोना के कारण दिल्ली में भी कामकाज लगभग ठप उप था। सूत्रों के मुताबिक तीन हजार करोड़ रुपए के पांच विभाग जल निगम, एमपीआरडीसी, पीडब्ल्यूडी, पीआईय, जल संसाधन के टेंडर घोटालों की जांच के अलावा ईओडब्ल्यू ने एनवीडीए और एग्रीकल्चर के 75 हजार करोड़ रुपए से अधिक के 32 टेंडर घोटाले के प्रोक्योरमेंट पोर्टल की हार्डडिस्क को फोरेंसिक जांच के लिए सीईआरटी को भेजा है। इनकी टेक्निकल रिपोर्ट आने के बाद इन मामलों में ईमोडब्ल्यू अलग से कार्रवाई करेगा। उल्लेखनीय है कि जल निगम को छोड़कर अन्य चारों विभागों में स्थानांतरित अफसरों के स्थान पर आए दूसरे अफसर पूर्व अफसरों के डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से टेंडर जारी करते रहे। जांच में साक्ष्यों के आधार पर इनकी पुष्टि हो चुकी है। इन मामलों में उक्त विभागों के ओपन अथॉरिटी अफसरों को नामजद किया है। सीईआरटी की रिपोर्ट में टेम्परिंग सामने आती है तो उक्त अफसरों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया जाएगा। इधर, एनवीडीए और एग्रीकल्चर के 2017 में 32 टेंडरों के एग्रीमेंट के बाद संबंधित विभागों द्वारा वर्क ऑर्डर जारी किए गए थे। इनमें सात टेंडरों का काम पूरा हो चुका है, जबकि 25 प्रोजेक्ट में 20 का काम 95 फीसदी पूरा चुका है, जबकि पांच प्रोजेक्ट का काम 50 फीसदी से ज्यादा हो चुका है। 32 टेंडरों में भी बेंगलुरू की एंट्रेंस सिस्टम प्रालि. तथा ऑस्मो सॉल्यूशन प्रालि की मिलीभगत सामने आ सकती है।


फिर चलेगा पूछताछ का दौर


ईओडब्ल्यू को ई-टेंडरिंग घोटाले मे सीईआरटी की रिपोर्ट के अपर पर कुछ कंपनी सचालकों से पूछताछ करना है। चूंकि ज्यादा कंपनी अन्य राज्यों की हैं। इस कारण इनके संचालकों को पूछताछ के लिए भी नोटिस जारी नहीं किए गए हैं। ई-टेंडर घोटाले में गिरफ्तार मनीष खरे और सर्विस कंपनियों और निर्माण कंपनियों के ठेकेदारों का भी आमना-सामना कराना है। उसने पूछताछ में ईओडब्ल्यू को बताया था कि सोराठिया वेल्जी रत्ना एंड कंपनी के संचालक हरेश सोराठिया से उसने पीडब्ल्यूडी का ठेका दिलाने का सौदा किया था। इसके लिए उसने हरेश से टेंडर राशि का पहले डेढ़ फीसदी कमीशन मांगा, लेकिन वह देने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसके बाद इसके बाद उसने एक फीसदी कमीशन में सौदा कर सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन के मालिक विनय चौधरी के जरिए ई-टेंडर में छेड़छाड़ कर टेंडर स्वीकृत करा दिया था।