11 माह में 22 बाघों की मौत

कैसे बचेगा मध्यप्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा ?


इस साल हई बाघों की मौत




  • 70 अप्रैल को खितौली में एक बाघ शावक की मौत। शावक एक साल का वा दूसरे साधने संघर्ष में मार दिया।



  • 22 अप्रैल को पनपथा में 10 वर्षीय बाघ की मौत। शव झाड़ियों में छिपा मिला था। "



  • 14जून कोवाला में दो शावकों की मौत,15 से 20 दिन के थे।



  • 24 सितंबर को धामोखर मे बाघिन की बाघ से संघर्ष में मौत। "



  • 10 अक्टूबर को बांधवगढ़ में दो बाघ शावकों की रहस्यमय से मौत।



  • 17 अक्टूबर को सोलो बाघिन 42 और उसके दो शावकों की मौत और उसके दो शावक लापता बे गाए, अभी तक पता नही चला।



  • 15 नवंबर को शहडोल के ब्यौहारी में बाध का जमीन में दफन शव मिला, इसका शिकार हुआ था।




टाइगर स्टेट का दर्जा पा चुके मध्य प्रदेश में लगातार बाघों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। पिछले 11 माह में प्रदेश के 22 बाघों की मौत हो चुकी है, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा है। बांधवगढ़ में बाघों की मौत के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।


उमरिया. 2018 में मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था। इस साल मप्र में 526 बाघ मिले थे। लेकिन बांधवगढ़ सहित प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में 11 माह में 21 बाघों की मौत से पार्क प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं। बांधवगढ पार्क में 500 से एक हजार कर्मचारियों की फौज है, यहां पार्क में एक माह में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके बाद भी बाघों की मौत रोकने में यह अमला नाकाम साबित हो रहा है। मार्च- अप्रैल माह में फिर बाघों की गिनती होने वाली है। यदि इस तरह बाघों की मौत होती रही, तो प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा और बांधवगढ़ में सबसे अधिक बाघ होने का तमगा बरकरार रखने में दिक्कत हो सकती है।


बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की स्थिति


बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 1530 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इस पार्क में 2018 की गणना के मुताबिक 124 है। उमरिया, शहडोल, कटनी और सीधी चार जिलो को कवर करने वाले इस पार्क में 500 से अधिक कर्मचारी है। जिन पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। 8 माह में 11 बाघों की मौत हुई है। बीते आठ महीनों में कम से कम 5 बाघों का शिकार बांधवगढ टाइगर रिजर्व के अंदर हुआ है। जबकि जिले में तीन तेदुओं का शिकार करंट लगाकर किया गया है। इसके बावजूद एंटी पोचिंग  टीम का कहीं पता नहीं चला। इस टीम के खुफिया तंत्र की कमजोरी ही सामने आई। जबकि इसके लिए अच्छा खासा पैसा खर्च किया जाता है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मंगलवार को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंच रहे हैं। वे यहां शाम को वन विभाग के अधिकारियों के साथ वन विभाग के कार्यों की समीक्षा करेंगे। इसमें बाघों की मौतों पर सवाल उठ सकता है।


शिकार हो रहे प्रदेश के बाघ


17 अक्टूबर को परासी बीट के महामन गांव के पास सोलो बाघिन 42 और उसके दो शावकों का साफ तौर पर शिकार किया गया है। बाधिन के दो शावक अभी भी लापता है।15 नवम्बर को बांधवगढ़ के पनपथा रेंज से लगे शहडोल जिले के ब्यौहारी रेंज में जमीन में दबा मिला बाघ का शव भी शिकार का ही परिणाम था। इससे पहले 23अपै्रल को पनपथा रेंज में ही कटनी जिले की तरफ एक बाघ का शव पाया गया था। जिसे मारने के बाद झाडिय़ों में छिपा दिया गया था। यह भी शिकार का ही परिणाम था, लेकिन इसके बाद भी बांधवगढ प्रबंधन हमेशा ढीला बना रखा।


बांधवगढ़ में 7 बाघों की मौत


इस साल बांधवगढ़ में जिस तरह से बाघों की मौत हुई है, वैसा कभी नहीं हुआ जहां सिर्फ तीन बार में सात बाघों की मौत हुई है। इसमें छह शावक शामिल हैं। दो बार एक साथ दो-दो शावकों की मौत हुई। जबकि तीसरी बार दो शावक और मां सोलो बाधिन-42 भी साथ में मौत का शिकार हो गई। यह घटनाएं 14 जून, 10 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को हुई। 10 और 17 अक्टूबर के बीच महज एक सप्ताह में चार शावक और एक बाघिन की मौत हुई। इसके बाद भी बांधवगढ़ के आला अधिकारियों को किसी भी प्रकार का संकोच नहीं हुआ और वे बाघों की मौतों को जंगल की सामान्य घटना बता रहे हैं।


प्रबंधन नहीं कर रहा शिकार की पुष्टि


सोलो बाधिन 42 और उसके दो शावकों की मौत के मामले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन शुरू से ही गोलमोल जवाब देते आ रहा है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए काम करने वाले एक एनजीओ डब्ल्यूपीएसआईवाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया की तरफ से बाधिन 42 और उसके दो शावकों के शिकारियों को पकड़वाने वालो को पच्चीस हजार का इनाम देने की घोषणा की गई है। जबकि पार्क प्रबंधन का कहना है कि अभी हम बाघिन के शिकार की पुष्टि नहीं कर सकते, क्योंकि अभी रिपोर्ट नहीं आई है। वही दूसरी तरफ पार्क प्रबंधन द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह की घोषणा कोई भी कर सकता है। इल्यूपीएसआई की घोषणा से साफ पता चलता है कि शिकारियों की तलाश की जा रही है, लेकिन फील्ड डायरेक्टर शिसेंटरटीम ने शिकार की बात की पुष्टि नहीं की है।


हाथियों का संकट


बांधवगढ़ ताइगर रिजर्व में झारखंड और छत्तीसगढ़ से आए हुए हाथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह हाथी किसानों की फसलों को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन पार्क प्रबंधन ग्रामीणों की कोई मदद नहीं कर रहा है। इस मामले में ग्रामीणों में नाराजगी बनी हुई है।