'मिश्र' का जाना और 'मिश्र' का पुनः आना

इंदौर। सरकार बदलते ही मध्यप्रदेश में अफसरों की अदला बदली भी शुरू कर दी गई है।कुछ अफसर 'थप्पड़ की गूंज' के कारण तो कुछ 15 माह में भाजपा नेताओं से बगावत के कारण।



अफसरों के तबादले की इस प्रक्रिया में इंदौर की डीआइजी श्रीमती रुचिवर्धन मिश्र को हटाकर एक बार फिर तेजतर्रार आईपीएस हरिनारायण चारी मिश्र को डीआईजी इंदौर बनाया गया हैं। इस फेरबदल के पीछे भले ही राजनीतिक कारण हो लेकिन एक तेजतर्रार डीआईजी मिश्र के जाने और एक गम्भीर डीआईजी मिश्र के आने से इंदौर की पुलिस व्यवस्था में कोई खास परिवर्तन नही होगा।  श्रीमती मिश्र ने अपने कार्यकाल में बड़ी दबंगता से कई मामलों को निपटाया।अपराधिक व ठगी के मामलों में भी मिश्र ने त्वरित कार्यवाही कर आर्थिक अपराधों पर अंकुश लगाया।

संझा लोकस्वामी के मालिक/संपादक जितेंद्र सोनी पर ताबड़तोड़ की गई कार्यवाही श्रीमती मिश्र के कार्यकाल की सबसे बड़ी कार्यवाही मानी जाती है।

जहां तक श्री हरिनारायण चारी मिश्र की कार्यशैली की बात करे तो वे इंदौर में डीआईजी पद पर ही एक सफल कार्यकाल पहले पूर्ण कर चुके हैं।हरिनारायण चारी मिश्र ने नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट की जब कमान संभाली तो नक्सली यहां हावी थे लेकिन मिश्रा ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए यहां से नक्सलियों का सफाया कर दिया। धीर-गम्भीर अफसर समझे जाने वाले श्री मिश्र जन सेवा -देश सेवा को चरितार्थ करते आए हैं। हरिनारायण मिश्र बिहार के सिवान जिले से हैं। वे वहां अपनी स्कूली शिक्षा ले कर सिवान से बीएचयू आ गए। यहां से इतिहास विषय पर पोस्टग्रेजुएशन में टॉप किया। उसके बाद सिविल सर्विस की ओर कदम बढ़ा दिया और उनका आईपीएस में चयन हो गया। हरिनारायण मिश्र इकलौते अफसर हैं जो किसी भी विषय पर बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं, दर्शन पर भी इनकी गहरी रुचि है ,सरलता सहजता और बेदाग चरित्र ही इस अफसर की पहली पहचान है।

बहरहाल श्रीमति 'मिश्र' के जाने व श्री 'मिश्र'के आने से पुलिस व्यवस्था और माकूल होगी

 

- जगदीश जोशी "प्रचंड"