समुद्र पार करने के लिए भगवान राम ने किया था विजया एकादशी का व्रत


आज 19 फरवरी को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। पद्मपुराण में भगवान श्रीकृष्ण ने ज्येष्ठ पांडु पुत्र युधिष्ठिर को बताया है कि इस एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। अपने नाम के अनुसार यह बहुत ही कल्याणकारी और विजय दिलाने वाली एकादशी है। इस एकादशी की महत्ता को संसार तक पहुंचाने के लिए स्वयं भगवान राम ने भी इस एकादशी का व्रत पूजन किया था।


पौराणिक कथा


भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि, लंका विजय के लिए जब भगवान राम सागर तट पर वानर सेना के साथ पहुंचे तब उनके सामने सबसे बड़ी चिंता यह थी कि वह सेना सहित सागर पार कैसे करें। ऐसे में लक्ष्मणजी ने भगवान राम को संबोधित करते हुए कहा कि हे प्रभु आप सबको जानते हुए भी जो यह मानवीय लीला कर रहे हैं उस कारण से आप इस छोटी समस्या को लेकर चितित हैं। आपकी चिंता को दूर करने के लिए आपसे निवेदन करता हूं कि आप यहां पास में ही निवास करने वाले ऋषि बकदालभ्य से मिलें। ऋषि यहां से आगे का मार्ग सुझा सकते हैं। लक्ष्मणजी के अनुनय पूर्ण वचनों को सुनकर भगवान राम बकदाल्भ्य ऋषि के पास गए। ऋषि को अपनी सारी परेशानी बताई और कोई मार्ग सुझाने के लिए कहा। ऋषि ने बताया कि आप सेना सहित फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सेना सहित भगवान नारायण की पूजा करें। यह विजया नाम की एकादशी ही आपको आगे ले जाने का मार्ग बनाएगी।


एकादशी का महत्व


पद्मपुराण के अनुसार विजया एकादशी के व्रत से धन-धान्य का लाभ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कठिन तपस्या से आप जितना फल प्राप्त कर सकते हैं, उतना ही पुण्यफल आप विजया एकादशी का व्रत करने से कर सकते हैं। व्रतधारी को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।