रानी गणेशकुंवरी के कहने पर ओरछा आए थे श्रीराम


बुंदेलखंड की राजधानी ओरछा में संवत १६३१ ईस्वी में जब यहां भगवान श्री राम अयोध्या से ओरछा आए उस समय यहां के राजा मधुकर शाह ने उनके लिए करोड़ों रुपए की लागत से भव्य और विशाल मंदिर का निर्माण कराया था, लेकिन उस समय भगवान श्री राम इस मंदिर में नहीं बैठे और तब से लेकर आज तक यह मंदिर खाली पड़ा है.


अयोध्या से ओरछा कैसे आए राम
ओरछा के राजा मधुकर शाह कृष्ण भक्त थे. जबकि महारानी कुंवर गणेश भगवान श्री राम की बड़ी उपासक थीं. एक दिन राजा ने रानी को अपने साथ मथुरा जाने को कहा, लेकिन रानी ने मथुरा जाने से मना कर दिया और अयोध्या जाने की बात कहने लगीं. राजा और रानी में विवाद हो गया और राजा मधुकर शाह ने रानी से कहा कि अगर आप राम की इतनी बड़ी उपासक हैं तो अयोध्या से राम को अपने साथ ओरछा लाकर बतलाओ. रानी को राजा की बात हृदय में चुभ गई और वह राम को अयोध्या से ओरछा जाने के लिए निकल पड़ीं. रानी ने राम को पाने के लिए तपस्या की, लेकिन जब भगवान राम नहीं मिले तो रानी ने सरयू नदी में छलांग लगाकर प्राण त्यागने का प्रयास किया. जैसे ही रानी सरयू नदी में कूदी तभी भगवान श्री राम उनकी गोद में आकर बैठ गए. रानी ने भगवान राम से ओरछा चलने का आग्रह किया और वह चलने के लिए तैयार हो गए. भगवान श्रीराम ने रानी के सामने अपनी तीन शर्तें रखते हुए कहा कि यदि आप इनको मानोगे तभी हम आपके साथ चलेंगे.


ओरछा आने के लिए भगवान राम ने रखी थी शर्त


अयोध्या से ओरछा चलने से पहले भगवान श्री राम ने रानी के सामने सबसे पहली रात शर्त रखी थी कि पुख नक्षत्र में ही हम पैदल चलेंगे, वहीं दूसरी शर्त रखी थी पहुंचने के बाद ओरछा में एक बार जहां आप हमें बैठा देंगी फिर हम वहां से दूसरी जगह के लिए नहीं उठेंगे. जबकि तीसरी और अंतिम सर्त थी जहां हम आपके साथ चलेंगे वहां के राजा हम ही होंगे. रानी ने भगवान को ओरछा लाने के लिए तीनों शर्तें स्वीकार की और पुख नक्षत्र में राम अयोध्या से ओरछा के लिए रानी के साथ चले. भगवान जैसे ही चलने के लिए तैयार हुए तो रानी ने राजा के लिए संदेशा भिजवाया कि भगवान ओरछा आ रहे हैं वहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया जाए.


इधर राजा मधुकर शाह ने ओरछा में एक भव्य चतुर्भुज मंदिर का निर्माण का काम शुरू कराया. जैसे ही भगवान श्री राम ओरछा पहुंचे तो मंदिर का काम पूरा हो चुका था, लेकिन राजा ने सोचा कि शुभ मुहूर्त और विधि विधान से क्यों ना भगवान को इस मंदिर में बैठाया जाए, तब तक के लिए भगवान श्री राम को रानी के रनवास में ही बैठाया दिया गया. रानी राम की दूसरी शर्त भूल गईं और अपने रनवास में भगवान श्री राम को पहले बैठा दिया जब भव्य मंदिर में भगवान को बैठा ना चाहा तो रानी के रनवास से भगवान नहीं उठे. हालांकि राजा ने काफी प्रयास किया, लेकिन भगवान को वहां से नहीं उठा पाए. आखिरकार इसी रानी के रनवास को ही राजा ने मंदिर का रूप दिया और तब से लेकर आज तक राम इसी जगह विराजमान हैं.ओरछा के राजा बने भगवान श्री राम
ओरछा के राजा मधुकर शाह ने अपना राजपाट छोड़कर भगवान श्री राम को ही सत्ता सौंप दी थी और उनका राज्य अभिषेक किया था, जिसके बाद ओरछा में भगवान की सत्ता कायम हुई. मजेदार बात ये है कि यहां आज भी भगवान श्री राम का ही राज चलता है. ओरछा में दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान श्री राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. दिन के चारों पहर भगवान को पुलिस के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. सुबह जब भगवान उठते हैं तो उसके बाद दिनभर उनका दरबार लगा रहता है और देश विदेश से भक्त भगवान श्री राम के दर्शन के लिए ओरछा पहुंचते हैं.