युयुत्सु धृतराष्ट्र का ऐसा पुत्र था जो महाभारत युद्ध समाप्त होने के बावजूद बचा रहा। दरअसल युयुत्सु का जन्म धृतराष्ट्र की पत्नी से नहीं हुआ था। वो दासी का बेटा था। दासी से युयुत्सु का जन्म हुआ। युयुत्सु की उम्र लगभग दुर्योधन की उम्र के बराबर थी। दुर्योधन का विवाह पहले से ही कलिंग की राजकुमारी भानुमती से हो चुका था और दुर्योधन ने अपनी पत्नी को वचन दिया था कि वह दोबारा किसी से विवाह नहीं करेगा इसलिए दुर्योधन ने द्रौपदी के स्वयंवर में भाग नहीं लिया। धृतराष्ट्र के पुत्र युयुत्सु और विकर्ण ने पांडवों के खिलाफ किये कौरवों के ऐक्शन का विरोध किया था। उन्होंने भरे दरबार में द्रौपदी के चीरहरण का भी विरोध किया। वास्तव में एकलव्य का जन्म वासुदेव के भाई देवाश्रव के यहां हुआ था, लेकिन वे जंगल में खो गए थे और उनका पालन-पोषण एक निषाद हिरण्यधनु ने किया। एकलव्य बाद में जरासंध के यहां तीरंदाजी करते थे। जब कृष्ण रुक्मिणी को विवाह के लिए लेकर जा रहे थे तब जरासंध और शिशुपाल ने उनका पीछा किया। एकलव्य ने जरासंध का साथ दिया। कृष्ण ने एकलव्य का वध कर दिया। लेकिन एकलव्य की गुरू निष्ठा के कारण उसे अवतार का वरदान दिया। दूसरे जन्म में एकलव्य द्रौपदी के जुड़वां भाई के रूप में जन्में। उनका नाम धृष्टद्युम्न था।
युयुत्सु धृतराष्ट्र का वह पुत्र, जो महाभारत युद्ध समाप्त होने के बावजूद बचा रहा