वर्षों बाद बना संयोग सूर्य, संक्रांति के साथ सावन माह की शुरुआत

आज 17 जुलाई से पवित्र सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है। हिंदू धर्म में सावन बहुत ही पवित्र महीना माना गया है। इस पूरे महीने शिव भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार कांवड़ ले जाते हैं जहां वे शिवलिंग पर जल चढाते हैं। सावन महीने के चारों सोमवार को शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। पौराणिक कथाओं के अऩुसार इस महीने में जो शिव भक्त पूरे मनोयोग से उनकी पूजा-अर्चना करता है उसकी मुराद भगवान शिव और पार्वती अवश्य पूरी करते हैं।
सावन की शुरुआत के साथ सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश भी
इस बार 19 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि सूर्य संक्रांति के साथ ही सावन की शुरुआत हो रही है। सावन मास का आरंभ होगा। कर्क राशि में सूर्य का प्रवेश होने के साथ ही सावन की शुरुआत भी शुभ मानी जा रही है। सावन की शुरुआत में सूर्य राशि बदलकर अपने मित्र ग्रह मंगल के साथ आ जाएगा। वहीं मकर राशि के चंद्रमा का मंगल के साथ दृष्टि संबंध होने से महालक्ष्मी योग भी बनेगा। ग्रहों की इस शुभ स्थिति के कारण सावन का महत्व और भी बढ़ जाएगा।



हर सोमवार रहेगा खास



  • सावन में कुल चार सोमवार आ रहे है, जो 22 जुलाई, 29 जुलाई, 5 अगस्त और 12 अगस्त को हैं।

  • 22 जुलाई को सावन सोमवार के साथ मरुस्थली नाग पंचमी है।

  • 29 जुलाई को सावन सोमवार को सोमप्रदोष और स्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग बन रहा है।

  • 5 अगस्त को देशाचारी नागपंचमी और सावन सोमवार है, जबकि 12 अगस्त को सोमप्रदोष और सावन सोमवार का योग बना है।

  • गुरुवार, 15 अगस्त श्रावण मास का अंतिम दिन

  • इनके अलावा जुलाई में 20 तारीख को श्रावणी चतुर्थी और रविपुष्य का सिद्धिदायक योग बन रहा है। इसी महीने 28 जुलाई को कामदा एकादशी है और 30 जुलाई को महाशिवरात्रि का पर्व है।


व्रत और पूजन विधि



  • सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें।

  • पूजा स्थान की सफाई करें।

  • आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें।

  • भोलेनाथ के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें।

  • दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें।

  • भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें।

  • ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं।

  • सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाएं।

  • पूजा का प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें।


१० शुभ संयोगों के साथ सावन की शुरुआत


श्रावण मास में भगवान शिव सर्व सुलभ हो जाते हैं। इस बार 10 शुभ संयोगों के साथ सावन के महीने की शुरुआत होगी। इस बार सावन का महीना पूरे 30 दिनों तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी के मुताबिक सावन में चार सोमवार आएंगे। तीसरे सोमवार में त्रियोग का संयोग बनेगा। हरियाली अमावस्या पर पंच महायोग का संयोग बन रहा है। ऐसा संयोग 125 वर्षों के बाद बन रहा है। नाग पंचमी विशेष संयोग में मनाई जाएगी। नागपंचमी और सोमवार दोनों ही दिन भगवान शिव की आराधना के लिए श्रेष्ठ होता है। कई वर्षों के बाद 15 अगस्त और रक्षाबंधन श्रवण नक्षत्र के संयोग में मनाया जाएगा। एक अगस्त को पहला सिद्धि योग, दूसरा शुभ योग, तीसरा गुरु पुष्यामृत योग, चौथा सर्वार्थ सिद्धि योग और पांचवां अमृत सिद्धि योग का संयोग है। 


फूलों के प्रकार और रंग से जानें फल प्राप्ति के योग


बेल पत्र चढ़ाने से रोग मुक्ति, धतूरे का फूल पुत्र की प्राप्ति, चमेली का सफेद फूल चढ़ाने से वाहन सुख, धन की प्राप्ति के लिए कमल का फूल, शंखपुष्पी या जूही का फूल चढ़ाएं, विवाह के लिए बेला के फूल चढ़ाएं, मन की शांति के लिए शेफालिका के फूल चढ़ाना चाहिए, जबकि पारिवारिक कलह से मुक्ति के लिए पीला कनेर का फूल चढ़ाएं। 


सावण माह का पौराणिक महत्व


भोलेनाथ ने राजा दक्ष को वरदान दिया था कि सावन महीने में वह कैलाश पर्वत से उतर कर दुनिया के हर शिवलिंग में वास करेंगे। इस दौरान कोई भी श्रद्धालु शिवलिंग पर जल चढ़ाएगा तो वह गंगाजल बनकर स्वयं शिव को प्राप्त होगा। इसलिए भगवान शिव को जल धारा प्रिय है। शिव को जल धारा प्रिय है। इसके अलावा बेलपत्र चढ़ाने से श्रद्धालुओं को दैविक, दैहिक व भौतिक दुखों से मुक्ति प्राप्त होती है। 


क्यों है सावन इतना महत्वपूर्ण


जब सती ने अपने पिता दक्ष के निवास पर शरीर त्याग दिया था उससे पूर्व महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। पार्वती ने सावन के महीने में ही निराहार रहकर कठोर तप किया था और भगवान शंकर को पा लिया था। इसलिए यह मास विशेष हो गया और सास वातावरण शिवमय हो गया।