तेलंगाना से राहत के बावजूद ...

राधेश्याम की जमानत का प्रयास संदिग्ध!



जगदीश जोशी 'प्रचण्ड'
इंदौर। लगभग 16 माह से जेल की सलाखों के पीछे रहकर न्याय मिलने की राह देख रहे फ्यूचर मेकर कंपनी के सीएमडी राधेश्याम के खिलाफ बुना हुआ षड्यंत्र कोई भी भेद नहीं पा रहा है। 7 सितंबर, 2018 को गिरफ्तारी के बाद से चली न्यायिक प्रक्रिया में झोल चलता रहा। कभी वकीलों को लेकर, तो कभी जमानत को लेकर निर्णय का अभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा था। लाखों-लाख डिस्ट्रीब्यूटरों ने इन 16 माह में भगवान कहे जाने वाले सीएमडी राधेश्याम का बहुत साथ दिया, लेकिन न्यायालयीन कार्यवाही को अंजाम देने में लगे कुछ विभीषण और स्वार्थी तत्वों ने जानबूझकर लेट-लतीफी की। जिसके चलते पीडी एक्ट से राहत मिलने के बावजूद राधेश्याम को सलाखों के पीछे से अब तक नहीं निकाला जा सका।



अपने बड़े दिग्गज और करोड़पति लीडरों के सहारे लाखों लोगों की आर्थिक उन्नति का दावा करने वाले राधेश्याम की रिहाई को लेकर अब तक कोई खास ठोस रणनीति नहीं बन पाई, जहां तक कंपनी के बड़े लीडरों का सवाल है गिरफ्तारी के बाद से ही यह लोग गायब हैं। इन लीडरों में से 4 लीडर कैलाश आर्य, मुकेश परमार, राजपाल कलोया एवं प्रवीण कदम को तेलंगाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बाकी 252 बड़े लीडरों की लिस्ट तेलंगाना कमिश्नर वीसी सजनार की फाइल में दबकर रह गई, जबकि इन लीडरों ने लाखों लोगोंं को फ्यूचर मेकर कंपनी के व्यापार से जोड़कर रुपया कमाने का लालच दिया था। देश के अलग-अलग प्रांतों में सैंकड़ों एफआईआर राधेश्याम और बंशीलाल के खिलाफ दर्ज हुई हैं, लेकिन कहीं भी इन लीडरों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं किया गया। परिणामस्वरूप आज भी यह लीडर दूसरी कंपनियों में बेखौफ होकर काम कर रहे हैं। 



राधेश्याम की रिहाई को लेकर बना तमाशा
राधेश्याम की रिहाई को लेकर वकीलों के चयन में हर बार हड़बड़ाहट की गई या यूं कह लें कि नए-नवेले वकीलों को कमीशनबाजी के चलते मौका दिया गया। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की नौटंकीबाजी में महीनों गुजर गए, लेकिन नतीजा सामने नहीं आ सका। 
25 वर्षों में फ्यूचर मेकर लाइफ केयर कंपनी का यह पहला मामला है, जब इस कंपनी के सीएमडी को लेकर डिस्ट्रीब्यूटरों ने लंबे समय तक समर्थन किया हो, लेकिन यही समर्थन अब दम तोडऩे की स्थिति में है। देशभर में कार्यरत रहे डिस्ट्रीब्यूटरअब मरने की कगार पर हैं। कंपनी बंद होने के बाद उनकी जमा राशि न मिलने के कारण आर्थिक स्थिति विकट हो गई है। कई डिस्ट्रिीब्यूटरों ने केडिट कार्ड व लोन लेकर लाखों रुपए लगाया, जिसके चलते इन डिस्ट्रीब्ूयटरों को अब बैंक के नाटिस आने लगे हैं। कई डिस्ट्रीब्यूटरों के कमान पर सीज की कार्यवाई भी की गई है। राधेश्याम की रिहाई तमाशा बनकर रह गई है। तो दूसरी ओर रिहाई में लगे लोग अपने-अपने स्वार्थ की पूर्ति कर रहे हैं। 



कथित कोर कमेटी का कारनामा
22 दिन पहले शहडोल प्रकरण में समझौते के बाद बाले-बाले बनी कोर कमेटी कटघरे में है। शहडोल प्रकरण में समझौते का श्रेय इस कमेटी को नहीं जाता है, क्योंकि इस मामले में निरंतर बातचीत चल रही थी। उसके बाद यदि कोर कमेटी के कार्यों को देखे तो 3 जनवरी, 2020 के बाद आज पर्यंत कमेटी कोई विशेष कार्य नहीं कर पाई। नीमच, धुलिया, गोरेगांव, दमोह, हनुमानगढ़ सहित कई मामलों में आपसी विचार-विमर्श का अभाव तो है ही साथ ही कोर कमेटी के सदस्यों में भी आपसी फुटव्व्ल के चलते डिस्ट्रीब्यूटरों को निराशा ही हाथ लग रही है। कथित कोर कमेटी ने 16 फरवरी, 2020 तक ठोस निर्णय का दावा करते हुए राधेश्याम को जेल से रिहा करने का वीडियो डाला था, जबकि परिस्थितियां इसके विपरीत हैं। 


सदैव डिस्ट्रीब्यूटरों के साथ
दैनिक लोकहित खबर सदैव से डिस्ट्रीब्यूटरों के हितों को लेकर सजग रहा है। अपने निरंतर प्रयासों के दौरान संपादक जगदीश जोशी पर अनरगल आरोप भी लगाए गए, लेकिन हमने डिस्ट्रीब्यूटरों के हित में कभी भी मैदान नहीं छोड़ा। विभीषण की तर्ज पर काम करने वाले तत्वों ने हमें हर बार दूर धकेलने का प्रयास किया, लेकिन हमारी टीम अभी भी डटी हुई है। राधेश्याम की रिहाई और जमा करोड़ों रुपया डिस्ट्रीब्यूटरों को जल्द ही मिलने की कार्रवाई को लेकर कदम बढ़ाया जा रहा है। इस प्रक्रिया में कंपनी चलने के दौरान समस्त विभागों की जवाबदेही मे लापरवाही को लेकर याचिका पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। परिणाम शीघ्र ही डिस्ट्रीब्यूटर हित में होगा।