शिवजी को झाडू चढ़ाने से दूर हो जाते हैं चर्म रोग


सावन में शिव मंदिरों में कई भक्त दर्शन के लिए आते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों के अलावा भारत में गई ऐसे प्रसिद्द शिवालय हैं, इस शिवालयों में भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए कई प्रकार की चीजें उन्हें चढ़ाते हैं। कई जगहों पर भगवान को फूल, प्रसाद की जगह झाडू चढ़ाई जाती है। जी हां, आपको जानकर हैरानी जरूर होगी लेकिन यह अनोखा शिव मंदिर उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले में स्थित है। यह शिव मंदिर पातालेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।



पातालेश्वर शिव मंदिर को लेकर लोगों का मानना है की शिव जी को झाडू चढ़ाने से उनकी मनोकामना जल्दी पूरी होती है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां कांवडिय़े शिव जी का जल से अभिषेक करने के साथ-साथ उन्हें झाडू अर्पित करते हैं। सोमवार के दिन मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है साथ ही सावन में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
इसलिए झाडू चढ़ाने की है मान्यता
मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग पर झाडू चढ़ाने से त्वचा संबंधि सभी विकार दूर हो जाते हैं। सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि मंदिर में आने से चर्म रोगों के अलावा अन्य बिमारियां भी ठीक हो जाती हैं। इसके अलावा भक्तों की अन्य मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती है। यही कारण है कि यहां हर समय लोगों की कतारें लगी रहती हैं। यहां के रहने वाले लोग बताते है कि ये मंदिर करीब 150 साल पुराना है। मंदिर में लोग भगवान शिव को दूध, जल, फल-फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरे भी अर्पित करते हैं।
ये है पातालेश्वर शिव मंदिर से जुड़ी मान्यता
मान्यताओं के अनुसार इस गांव में भिखारीदास नाम का एक व्यापारी रहता था, जो बहुत धनी था। लेकिन उसे त्वचा संबंधी एक बड़ा रोग था। एक दिन वह इस रोग का इलाज करवाने जा रहा था कि अचानक से उसे प्यास लगी। तब वह महादेव के इस मंदिर में पानी पीने आया और वह मंदिर में झाड़ू लगा रहे महंत से टकरा गया। जिसके बाद बिना इलाज ही उसका रोग दूर हो गया। इससे खुश होकर सेठ ने महंत को धन देना चाहा पर महंत ने वह लेने से मना कर दिया। इसके बदले उसने सेठ से यहां मंदिर बनवाने के कहा, तभी से इस मंदिर के लिए यह बात कही जाने लगी कि त्वचा रोग होने पर यहां झाड़ू चढ़ानी चाहिए। जिससे लोगों की तकलीफ दूर हो जाती है। इसलिए आज भी श्रद्धालु यहां आकर झाड़ू चढ़ाते हैं।